किशनगंज पंचायत चुनाव 2021: गांव की सत्ता की ऐसी चाहत की रिश्तों में पड़ी दरार, कहीं देवरानी-जेठानी तो कहीं दो भाई चुनावी मैदान में

सत्ता की चाहत में रिश्ते में पैदा हो रही दरारें। किशनगंज पंचायत चुनाव 2021 में कई पंचायतों में एक ही आंगन से कई प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतर पड़े। शेष बचे चरणों में भी कई प्रत्याशी ऐसे हैं जो संगे संबंधी हैं और आमने-सामने हैं।

By Shivam BajpaiEdited By: Publish:Wed, 01 Dec 2021 09:39 AM (IST) Updated:Wed, 01 Dec 2021 09:39 AM (IST)
किशनगंज पंचायत चुनाव 2021: गांव की सत्ता की ऐसी चाहत की रिश्तों में पड़ी दरार, कहीं देवरानी-जेठानी तो कहीं दो भाई चुनावी मैदान में
बिहार पंचायत चुनाव 2021: एक ही आंगन से कई प्रत्याशी।

जागरण संवाददाता, किशनगंज : बिहार पंचायत चुनाव 2021 में गांव की सत्ता की चाहत में रिश्तों के कोई मायने नहीं दिख रहे हैं। कुर्सी की चाहत में रिश्ते में दरारें पैदा हो रही हैं। एक ही परिवार के सगे संबंधी चुनावी मैदान में उतर आए हैं, जो क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। वहीं उस परिवार से जुड़े मतदाता भी विवश हैं कि आखिर किसके पक्ष में अपना मतदान करें और किसे नजरअंदाज करें।

कोचाधामन प्रखंड में ऐसे कई उम्मीदवार हैं जो अपने रिश्तेदार के विपक्ष में चुनावी मैदान में उतरकर टक्कर दे रहे हैं। कहीं देवरानी-जेठानी तो कहीं भाई चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं जो चुनाव को और अधिक रोचक बनाए हुए है। सबसे अधिक चर्चा क्षेत्र के पूर्व मंत्री रहे रफीक आलम के परिवार से तीन लोग मुखिया उम्मीदवार हैं। एक ओर जहां पुत्र चुनावी मैदान में उतरे हुए हैं उनके भतीजे भी चुनाव लड़ रहे हैं और भतीज बहु भी मुखिया पद से भाग्य आजमा रही हैं, जो पूर्व में जिला परिषद सदस्य भी रह चुकी हैं।

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इधर, डेरामारी पंचायत में पंचायत समिति पद के लिए जेठानी एवं देवरानी आमने सामने हैं। दोनों एक ही आंगन से निकलकर पंचायत चुनाव में वोट मांग रही हैं। एक ही परिवार से उम्मीदवार बने सदस्य क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।

ऐसी स्थिति सीमावर्ती जिले किशनगंज की नहीं है। बिहार के अन्य जिलों के प्रखंडों की पंचायतों से कई खबरें सामने आ चुकी हैं। जहां कभी आमने-सामने सास बहू रही। तो कहीं भाई-भाई। चुनावी मौसम के बीच प्रत्याशियों की प्रशंसा में भी रिश्ते शर्मसार हुए हैं। कहीं भाई ने अपने छोटे भाई को इसलिए पीट दिया क्योंकि उसने बड़े भइया के पसंदीदा प्रत्याशी को वोट नहीं दिया।

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