Khagaria Flood: जिनके हाथों में होनी चाहिए किताब, वो थामे हैं पतवार, ऐसे सफर हो रहा पार
Khagaria Flood खगड़िया हर साल बाढ़ की विभीषिका झेलता है। ऐसे में प्रशासन और सरकार को पहले से तैयारी करने की जरूरत होती है। लेकिन जिले में ऐसा होते दिख नहीं रहा। यही वजह है कि नियमों को ताक पर रखा जा रहा है। पढ़ें पूरी खबर
संवाद सूत्र, बेलदौर (खगड़िया)। Khagaria Flood: जिले होकर बहने वाली कोसी-काली कोसी उफान पर है। बाढ़- बरसात का पानी कई गांवों के मुख्य सड़कों पर फैल जाने से उन गांवों का प्रखंड मुख्यालय से सड़क संपर्क एक तरह से भंग हो गया है। करीब आधे दर्जन स्थलों पर सड़क को आर- पार निजी नाव के सहारे लोग कर रहे हैं। अधिकांश नावों की पतवार किशोरों के हाथों में है।
निजी नाव संचालक नियमों को ताक पर रख नाव का संचालन कर रहे हैं। इस दौरान कब हादसा हो जाए, इसका कोई ठिकाना नहीं है। असुरक्षित नाव परिचालन का जीता- जागता उदाहरण बेलदौर- बारुण पथ के भरना कटिंग पर देखने को मिल रहा है। यहां सड़क पर बना कुंड बरसात के पानी से लबालब है। करीब डेढ़ माह से यह स्थिति है। यहां निजी नाव चलाई जा रही है, जिसकी पतवार किशोर के हाथों में है।
नाव पर जीवन रक्षक सामग्री लाइफ जैकेट, ट्यूब समेत कोई इंतजाम नहीं रहता है। नाव संचालक कटिंग को आर- पार कराने के नाम पर आमयात्री से पांच, साइकिल सवार से 10 और बाइक सवार से 20 रुपये वसूलते हैं। अंचल प्रशासन की ओर से अब तक कोई नाव कहीं भी नहीं चलाई जा रही है।
नहीं हुआ पुल का निर्माण, लोग कर रहे नाव की सवारी
15 किलोमीटर लंबी बेलदौर- बारुण पथ के भरना कटिंग पर निर्धारित अवधि के 11 माह बाद भी आरसीसी पुल का निर्माण नहीं होने से इसका खामियाजा स्थानीय लोगों को भुगतना पड़ रहा है। यहां लगभग दो करोड़ 10 लाख की लागत से दो स्पेन का 39 पाइंट 12 मीटर लंबा उच्च स्तरीय आरसीसी पुल बनना है। लेकिन अब तक महज पिलर ही खड़ा हो सका है। इससे बरसात के मौसम में लोगों को नाव की सवारी करनी पड़ रही है।
'मामले की स्वयं जांच करूंगा। जहां-जहां जरूरत है, वहां-वहां सरकारी स्तर पर नाव का परिचालन कराया जाएगा।'- सुभाष चंद्र मंडल, एसडीओ, गोगरी।