सिर पर पगड़ी, हाथ में खुरपी, करने चले हैं हम खेती किसानी, जानिए... डेजी की कहानी
कटिहार में गृहणियों को किसान बना रहीं डेजी। खुद पगड़ी बांध बदल दी समाज की धारणा गांव 18 महिलाएं खुद कर रही किसानी। महिलाओं को खेती की ओर कर रही प्रेरित। आत्मनिर्भर बनाने के लिए खेती किसानी की अहम भूमिका है।
कटिहार [रमण कुमार झा]। कटिहार जिले के मनसाही प्रखंड क्षेत्र के चितौरिया गांव की डेजी देवी अपनी जुनून से सफलता की नई इबारत लिख रही है। आज उनकी पहचान न केवल एक सफल किसान के रूप में है, बल्कि उनके प्रयास से गांव की डेढ़ दर्जन महिलाएं सफल किसान की कतार में खड़ी हो चुकी है। खुद सिर पर पगड़ी बांध कुदाल व खुरपी थामने वाली डेजी की इस साहसिक पहल ने समाज की धारणा भी बदल दी है।
गांववासी बिनोद सिंह की पत्नी डेजी देवी सात एकड़ भूमि की मालकिन है। तकरीबन 15 वर्ष पूर्व शादी के बाद जब उसने ससुराल में कदम रखा तभी कुछ अलग करने की ठान ली थी। पहले उसने अपने किसान पति के काम में हाथ बंटाना शुरू किया और फिर पूरा मोर्चा ही खुद संभाल लिया। डेजी ने खुद खेती करते हुए महिला किसानों के दो समूहों का भी गठन किया। आज दोनों समूह की कुल 18 महिलाएं खुद खेती कर रही है और अपने परिवार की दशा-दिशा को भी बदल दी है।
विभाग से भी रखती है जुड़ाव, वैज्ञानिक तरीके से कर रही खेती
डेजी हर मायने में नया प्रयोग की पक्षधर रही है। 35 वर्षीय डेजी खेती को लेकर लगातार कृषि विभाग व कृषि विज्ञान केंद्र के संपर्क में भी रहती है। डेजी सहित ग्रुप की सभी महिलाएं विभिन्न फसलों की खेती को लेकर विभागीय प्रशिक्षण में भी भाग लेती रही है और पूरी तरह वैज्ञानिक तरीके से खेती कर रही है। जैविक खेती को न केवल वे प्राथमिकता दे रही है, बल्कि अन्य महिलाओं को भी इसके लिए प्रेरित कर रही है।
सब्जी व केला की खेती में गांव की है अलग पहचान
चितौरिया गांव पूरे जिले में सफल किसानी के लिए जाना जाता है। हर प्रकार की सब्जी व केले की खेती के लिए इस गांव की अलग पहचान है। अभी भी डेजी सहित अन्य किसानों के खेतों में गोभी सहित अन्य मौसमी सब्जियां लहलहा रही है। इसके अलावा खरीफ में धान व रबी में मक्का की अच्छी पैदावार भी यहां होती है। किसानी के बूते आर्थिक विकास की नई कहानी यह गांव लिखता रहा है। महिलाओं में किसानी के प्रति आकर्षण ने इस विकास को नई रफ्तार दे दी है।