Katihar News : दो लाख पौधारोपण से बढ़ा फरकिया का हरित आवरण

Katihar News बाढ़ प्रभावित इलाका होने के बाद भी सामूहिक प्रयास से खगड़िया का हरित आवरण बढ़ रहा है। इस दिशा में जीविका दीदी भी अहम भूमिका निभा रही हैं। उनके द्वार दो लाख से अधिक पौधे लगाए गए है।

By Amrendra TiwariEdited By: Publish:Sat, 28 Nov 2020 01:06 PM (IST) Updated:Sat, 28 Nov 2020 01:06 PM (IST)
Katihar News : दो लाख पौधारोपण से बढ़ा फरकिया का हरित आवरण
जामुन, जल गम्हार, अर्जुन और कदम के पौधे से बढ़ रहा है हरित आवरण। इनमें पानी सहने की क्षमता है।

 खगड़िया, [निर्भय]। Katihar News : बाढ़-पानी का इलाका है फरकिया अर्थात खगडिय़ा। इस धरती पर अब वन विभाग और जीविका की पहल से हरियाली उतर रही है।मालूम हो कि यहां घना वन क्षेत्र 3.18 प्रतिशत है। जबकि खुला वन क्षेत्र 15.27 प्रतिशत है। कुल 18.5 स्कवायर किलोमीटर वन क्षेत्र हैं।

इस वर्ष यहां दो लाख छह हजार पांच सौ पौधे लगाए गए हैं। एक से 31 अगस्त तक जीविका दीदियों के सहयोग से एक लाख 70 हजार पौधे लगाए गए। जबकि जुलाई-अगस्त में वन विभाग की ओर से 36 हजार पांच सौ पौधारोपण हुआ। उसमें 18 हजार पांच सौ पौधे किसानों ने लगाए हैं।

बाढ़-पानी को ध्यान में रखकर लगाए जा रहे पौधे

खगडिय़ा बाढ़ का इलाका है। इसलिए यहां पौधारोपण बाढ़-पानी को सहने की क्षमता को ध्यान में रखकर किया जाता है। ताकि पौधे बचे रहे। इसलिए यहां अर्जुन, जल गम्हार, जामुन, कदम के पौधे अधिक लगाए जा रहे हैं।इनमें पानी को सहने की क्षमता अधिक है। एक पौधे का नाम ही है- जल गम्हार।जबकि सेमल और महोगनी में भी पानी को सहने की क्षमता है। क्षेत्र के लोग भी अपने रूचि से भी पानी को सहन करने की क्षमता रखने वाले पौधों को ही लगाते हैं। ताकि बाढ़ जैसी हालात में उनका मेहनत बेकार न चला जाए। 

तीन नर्सरी में तैयार किए जा रहे पौधे

वन विभाग अगले साल को लेकर भी तैयारी कर रही है। विभाग के खगडिय़ा स्थित दो और अलौली के एक नर्सरी में पौधे तैयार किए जा रहे हैं। अलौली नर्सरी को भारी बारिश से कुछ नुकसान भी पहुंचा, लेकिन तैयारी जारी है। ताकि ग्रीन खगडिय़ा का संकल्प पूरा हो सके।

क्‍या कहते हैं वनों के क्षेत्र पदाधिकारी

वनों के क्षेत्र पदाधिकारी अजय कुमार सिंह ने कहा कि क्षेत्र में अधिक से अधिक पौधे लगे इसको लेकर विभाग की ओर से पूरी तैयारी है। इस वर्ष विभिन्न माध्यम से दो लाख से अधिक पौधे लगे हैं।अगले वर्ष की भी तैयारी की जा रही है। जिले के तीन नर्सरी में पौधे तैयार किए जा रहे हैं।

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