Karva Chauth 2021: अपने चांद के लिए सुहागिनों ने की पूजा, भागलपुर में छतें हुईं दीपों से गुलजार, देखें Photos

Karva Chauth 2021 चांद नजर आया ये कहते ही सीमा अपने सास के साथ छत पर पूजा सामग्री लेकर पहुंच गईं। इसी तरह भागलपुर में सुहागिनों ने अपने चांद यानी पति के लिए पूजा अर्चना की। छलनी में दीपक रख अपने पति को दीदार किया....

By Shivam BajpaiEdited By: Publish:Sun, 24 Oct 2021 08:32 PM (IST) Updated:Sun, 24 Oct 2021 08:38 PM (IST)
Karva Chauth 2021: अपने चांद के लिए सुहागिनों ने की पूजा, भागलपुर में छतें हुईं दीपों से गुलजार, देखें Photos
Karva Chauth 2021: चांद का दीदार करतीं सुहागिन महिलाएं।

आनलाइन डेस्क, भागलपुर। Karva Chauth 2021: जिले के विभिन्न क्षेत्रों में रविवार को करवा चौथ का व्रत सुहागिनों ने धूमधाम से मनाया। निर्जला व्रत रख सुहागिनों ने छलनी में पूजा के लिए दीपक जलाकर चांद को देखा, फिर अपने सुहाग का दीदार किया। व्रती सुहागिनों ने अपने पति की दीर्घायु की कामना की। 

मारवाड़ी समाज की महिलाओं ने की विशेष पूजा अर्चना

आज करवा चौथ के पावन मौके पर मारवाड़ी समाज की महिलाओं के द्वारा भी विशेष पूजा अर्चना की गई। साथ ही मारवाड़ी समाज में भी करवा चौथ को प्रमुखता से मनाया जाता है, जिसमें कड़वा का मतलब होता है। मिट्टी के बर्तन में रखा गया पानी जिसे रात में चांद देखकर पिया जाता है।

इस अवसर पर मारवाड़ी समाज की महिलाओं के द्वारा सोलह सिंगार कर मां जगदंबा का पूजन वंदन सामूहिक रूप से किया जाता है। मारवाड़ी समाज में राजस्थानी वेशभूषा संस्कृति रीति रिवाज के साथ यह त्यौहार मनाया जाता है। सुबह से ही पूजन कार्य शुरू होता है एवं दिन व्रत रखने के बाद मां जगदंबा को भोग लगाने के तत्पश्चात चांद देखने की परंपरा है मां जगदंबा की पूजा अर्चना के साथ साथ महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा एवं परिवार की मंगल कामना के लिए यह पूजन करती है साथ-साथ अपने जीवन में परिवार में सुख समृद्धि शांति संतुष्टि संपत्ति समृद्धि की भी कामना करती हैं।

करवा चौथ के दिन चंद्रोदय का अधिक महत्व होता है। इस दिन व्रती स्त्रियों को चंद्रमा का बेसब्री से इंतजार रहता है। आज के दिन चंद्र दर्शन करना जरूरी होता है। भारत के सभी राज्यों में चंद्रमा अलग-अलग समय पर उदित होता है। इस समय में ज्यादा फर्क नहीं होता है। चंद्रमा उदित होने के समय में केवल दो-तीन मिनट का अंतर होता है।

करवा चौथ से जुड़ी हैं कई कथाएं

श्वामन पुराण में भी करवा चौथ व्रत का वर्णन मिलता है। करवा चौथ से जुड़ी अनेक कथाएं भी प्रचलित हैं। एक बार देवताओं और दानवों में युद्ध शुरू हो गया और उस युद्ध में देवताओं की हार हो रही थी। ऐसे में देवता ब्रह्मदेव के पास गए और रक्षा की प्रार्थना की। ब्रह्मदेव ने कहा कि इस संकट से बचने के लिए सभी देवताओं की पत्नियों को अपने-अपने पतियों के लिए व्रत रखना चाहिए और सच्चे दिल से उनकी विजय के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।

(तस्वीर पूर्णिया से) 

ब्रह्मदेव ने वचन दिया कि ऐसा करने पर निश्चित ही इस युद्ध में देवताओं की जीत होगी। ब्रह्मदेव के इस सुझाव को सभी देवताओं और उनकी पत्नियों ने खुशी-खुशी स्वीकार किया। ब्रह्मदेव के कहे अनुसार कार्तिक माह की चतुर्थी के दिन सभी देवताओं की पत्नियों ने व्रत रखा और अपने पतियों यानी देवताओं की विजय के लिए प्रार्थना की। उनकी यह प्रार्थना स्वीकार हुई और युद्ध में देवताओं की जीत हुई। माना जाता है कि इसी दिन से करवाचौथ के व्रत के परंपरा शुरू हुई।

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