पालिए मुर्गों की विरादरी का 'शेर', सालभर में आमदनी होगी चौगुनी, बांका में किसान हो रहे मालामाल
मुर्गों की विरादरी का शेर का पालन कर आप साल भर में मालामाल हो सकते हैं। इससे आपकी आमदनी दोगुनी नहीं चारगुनी तक बढ़ सकती है। बांका के किसान इसका पालन कर मालामाल हो रहे हैं। अब वे इसे और...!
आनलाइन डेस्क, भागलपुर। मुर्गों की विरादरी का 'शेर' (lion of the chicken community) कहे जाने वाले कड़कनाथ (Kadaknath) की बांग अब बिहार में भी खूब सुनाई देने लगी है। बांका के कुछ किसान इसे पाल रहे हैं। दूसरी प्रजाति के मुर्गे जहां 150 से 300 रुपये तक बिकते हैं, वहीं कड़कनाथ की कीमत 500 से लेकर 700 रुपये तक प्रति किलो है। साथ ही इसके पालन में भी ज्यादा खर्च नहीं आता है। यही कारण है कि महज सालभर में इन किसानों की आमदनी चार गुनी हो गई है।
बांका के धोरैया के किसान सुनील कुमार रोशन बताते हैं कि दो साल पहले तक टेलीकाम सेक्टर में उनका कारोबार था। सब कुछ ठीक चल रहा था। लेकिन लाकडाउन के पहले चरण में ही उनक धंधा पूरी तरह रसातल में चला गया। इसके बाद वे बेरोजगार हो गए। लेकिन इस बीच बांका कृषि विज्ञान केंद्र उनके लिए उम्मीद बन कर आई। केविके से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद उन्होंने कड़कनाथ का पालन शुरू किया।
सुनील बताते हैं कि पहले चरण में उन्होंने कड़कनाथ के एक हजार बच्चे मंगाए थे। सौ रुपये प्रति बच्चे के हिसाब से उन्होंने इसकी खरीद की। इन चूजों को शुरुआती दो महीने बाड़ों में रखा गया। इसके बाद इसे बाहर छोड़ दिया गया। सात से आठ महीने में यह एक किलो से अधिक वजन का तैयार हो जाता है।
सुविधा के अनुसार दे सकते हैं दाना
उन्होंने बताया कि वैसे तो कड़कनाथ को स्पेशल दाना खिलाया जाता है। इसे मक्का, लोबिया, सोयाबीन की बरी, मूंगफली की खल्ली आदि से तैयार किया जाता है। लेकिन यह जरूरी नहीं है। आप अपनी सुविधा अनुसार घर के अनाज को भी खिला सकते हैं।
सेहत का है खजना
बिहार कृषि विवि के पशु विज्ञानी डा राजेश बताते हैं कि सेहत के लिए यह बेहत है। यह ब्रीड मूलरूप से झबुला जिले का है। अब बिहार में भी इसका पालन बड़े पैमाने पर होने लगा है। इसमें मेलानिन ज्याद पाया जाता है। साथ ही यह इम्यून सिस्टम के लिए भी बेहतर है। कोलेस्ट्राल की मात्रा कम होने के कारण इस सेवन ब्लड प्रेशर आदि के मरीज भी कर सकते हैं। साथ ही प्रोटीन भी भरपूर मात्रा में पाई जाती है।
चूजे के लिए अब हैचरी लगाने की तैयारी
सुनील बातते हैं कि वे अब कड़कनाथ का वृहत पैमाने पर पालन करने जा रहे हैं। इसके लिए अंडों से चूजे निकालने के लिए हैचरी लगाने की तैयारी है। इससे आसपास के किसानों को यहीं से चूजे उपलब्ध कराए जाएंगे।