JLNMCH : टीबी मरीजों के लिए राहत की खबर, दो घंटे के अंदर मिलेगी जांच रिपोर्ट, स्वदेश में निर्मित टूनेट मशीन से होगी जांच
टीबी मरीजों के लिए राहत की खबर है। अब उन्हें जांच रिपोर्ट के लिए पूरे दिन का इंतजार नहीं करना होगा। जांच कराने के दो घंटे के अंदर उनके हाथों में रिपोर्ट होगी। जेएलएनएमसीएच में इसके लिए विशेष मशीन लगाई गई है।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। मायागंज अस्पताल में शुक्रवार को टीबी एंड चेस्ट विभाग में गोवा में निर्मित टूनेट मशीन का उद्घाटन किया गया। मशीन की विशेषता है कि यह बैट्री से संचालित होती है और इसे कही भी ले जाया जा सकता है। टीबी के अलावा एमडीआर टीबी की जांच भी दो घंटे में मिल जाएगी। पहले अमेरिका की मशीन से टीबी की जांच होती थी। काटेज विदेश से मंगाए जाते थे, जो महंगे थे। अब स्वदेशी मशीन में जांच भी सस्ता है। हालांकि अस्पताल में मरीजों की जांच निश्शुल्क होगी।
उद्घाटन अस्पताल अधीक्षक डा. असीम कुमार दास, टीबी एंड चेस्ट विभाग के अध्यक्ष डा. डीपी ङ्क्षसह, डा. एसएन तिवारी ने किया। डा. डीपी ङ्क्षसह ने कहा कि दो घंटे में टीबी एवं एमडीआर टीबी की जांच अब संभव हो गया। उन्होंने लोगों से अपील की है कि अस्पताल में टीबी की जांच करवाएं, जो निश्शुल्क होता है। दो सप्ताह से ज्यादा दिनों तक खांसी है तो जांच अवश्य कराएं। जांच टेक्नीशियन इंद्रजीत कुमार और राजा चौरसिया करेंगे। डा. शांतनु घोष ने कहा कि कोरोनाकाल में भी वर्ष 2020 में करीब तीन हजार मरीजों की जांच की गई। इनमें 665 टीबी और 122 मरीज एमडीआर टीबी के मिले। इस अवसर पर डा. विनय कुमार झा और डा अजय कुमार ङ्क्षसह मौजूद थे।
न्यूरो सर्जरी अब भागलपुर में भी संभव
जागरण संवाददाता, भागलपुर : न्यूरो सर्जरी अब भागलपुर में भी संभव है। न्यूरो सर्जन डा पीके झा ने कहा कि दुर्घटनाग्रस्त एवं मारपीट में लोगों के सिर, रीढ़ की हड्डी में चोट लगती है। इससे जान जाने का भी खतरा रहता था। मरीज सिलीगुढ़ी, पटना, दिल्ली या भेलोर जाते थे। इलाज में काफी पैसे खर्च होते थे, समय पर इलाज भी नहीं होता था। अब इलाज भागलपुर में संभव है। ब्रेन और स्पाइन चोट का ऑपरेशन भी सफलता पूर्वक किया जाता है।
एक वर्ष तक दिल्ली एम्स में सेवा देने के बाद डा झा अब भागलपुर में इलाज कर रहे हैं। सहरसा के विनय ने कहा कि उनकी रीढ़ की हड्डी डिस्क निकलने निकल गया था। डाक्टर दिल्ली जाने की सलाह दे रहे थे। क्योंकि स्पाइन के ऑपरेशन से लकवा होने की संभावना थी लेकिन मरीज का ऑपरेशन डा झा ने किया और दो दिनकें में घर चले गए।