JLNMCH Bhagalpur: शिशु को बिना इलाज किया लौटाया, निराश होकर बच्‍चे को लेकर लौट गए स्‍वजन

JLNMCH Bhagalpur बकरीद की वजह से अस्‍पताल का आउटडोर विभाग बंद था। प्रत्येक बुधवार को सात माह के बच्चे का मुडा पैर का इलाज करवाने चंद्रिका देवी यहां आतीं हैं। लेकिन चिकित्‍सक ने कहा कि आउटडोर में ही इलाज किया जाएगा यहां नहीं।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Thu, 22 Jul 2021 01:55 PM (IST) Updated:Thu, 22 Jul 2021 01:55 PM (IST)
JLNMCH Bhagalpur: शिशु को बिना इलाज किया लौटाया, निराश होकर बच्‍चे को लेकर लौट गए स्‍वजन
JLNMCH Bhagalpur में बीमार बच्‍चे को गोद में लेकर बैठी उसकी मां।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। बुधवार को सात माह के बच्चे के साथ चंद्रिका देवी सहित कई मरीज बिना इलाज कराए मायागंज अस्पताल से वापस हो गए। बकरीद की वजह से आउटडोर विभाग बंद था, इसकी जानकारी मरीजों को नहीं रहने से इलाज करवाने आए थे। इमरजेंसी में डाक्टर यह कहते हुए लौटा दिया कि आउटडोर में ही इलाज किया जाएगा, यहां नहीं।

गोट खरीक से चंद्रिका देवी प्रत्येक बुधवार को सात माह के बेटे का इलाज करवाने आउटडोर विभाग आती है। बेटा का जन्म से ही एक पैर मुडा हुआ है। बेटा का जन्म दिसंबर में हुआ था। फरवरी में इलाज प्रारंभ हुआ। आउटडोर विभाग में पैर में बैडेज किया जाता है। प्रत्येक बुधवार को यही इलाज किया जाता है। चंद्रिका ने कहा कि पैर थोड़ा सीधा हुआ है, लेकिन बेटा अभी पैर पर खड़ा नहीं हो पाता।

चंद्रिका ने बताया कि मुझे पता नहीं था कि आज आउटडोर बंद रहेगा। कुछ माह तक कोरोना की वजह से इलाज बंद भी रहा। वहीं आउटडोर विभाग में पेट और कमर दर्द की शिकायत लेकर भी कई मरीज इलाज करवाने आए थे। आउटडोर बंद रहने की वजह से इमरजेंसी इलाज करवाने गए लेकिन वहां के डॉक्टर ने कहा आउटडोर में ही इलाज किया जाएगा, यहां नहीं।

नाथनगर रेफरल अस्पताल में ठगी के झांसे में मरीज, निजी क्लीनिक में भर्ती करा मांगा मोटी रकम

नाथनगर रेफरल अस्पताल में भर्ती मरीज को झांसे में लेकर ठगी का मामला प्रकाश में आया है। गरीब व किसान से मोटी रकम लेने का प्रतिनियुक्त स्वास्थ्य कर्मी ने रास्ता निकाला है। दरअसल,भतौडिय़ा के किसान श्याम यादव की सात महीने की गर्भवती बेटी गीता पंडित के साथ नाथनगर रेफरल अस्पताल में पहुंची। यहां डा. अनुपमा सहाय ने निजी स्वार्थ में अपने निजी क्लीनिक में गर्भवती को भेज दिया। यहां भर्ती होने पर पहले जांच के नाम पर चार हजार रुपए जमा करवाए।

ऑपरेशन कक्ष से जुड़वां बच्चे को बाहर निकालने के लिए 50 हजार रुपए की मांग कर दी। स्वजनों कहा कि किसानी कर किसी तरह रोजी रोटी व गृहस्थी चल रही है। भोजन ठीक से नसीब भी नहीं हो पाता है। ऐसे में 50 हजार कहां से लाएंगे। इसके बाद चिकित्सक ने मायागंज अस्पताल रेफर कर देने की सलाह दे डाली। फिर तो गर्भवती की बिगड़ती हालत को देख स्वजनों ने जुगाड़ ठेला से अपनी बेटी को लेकर मायागंज अस्पताल सोमवार की रात लेकर गए। वहां उसे भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। फिलहाल उसे एक यूनिट खून चढ़ाया गया है। गीता की मां रेणु देवी ने बताया कि 14 जुलाई को खगडिय़ा से भागलपुर लाए, 15 को नाथनगर अस्पताल में भर्ती करवाए और इलाज कराए। लेकिन, 19 को डा अनुपमा सहाय ने कहा कि मेरे मुंदीचक स्थित क्लीनिक में आना जाना, वहीं अच्छे से इलाज कर देंगे। इसके बाद हमलोग जुगाड़ ठेला से ही मुंदीचक लेकर चले गए। गीता के पिता श्याम यादव ने कहा कि हमलोग केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के भाई और परिवार के खेत में पहले काम करते थे, उनका नंबर नहीं था, इसलिए उनको काल नहीं कर पाए।

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