JLNMCH Bhagalpur: अस्‍पताल से नर्स ने लिया छुट्टी, साथ ले गईं ओपीडी की चाभी, फ‍िर

JLNMCH Bhagalpur यहां की व्यवस्था चरमरा गई है। मेडिसिन विभाग का ओपीडी चार घंटे तक बंद रहा। 90 से अधिक मरीज इलाज के अभाव में लौट गए। बताया जा रहा है कि ओपीडी में प्रतिनियुक्त नर्स छुट्टी पर हैं। चाभी उसी के पास है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Wed, 20 Oct 2021 11:52 AM (IST) Updated:Wed, 20 Oct 2021 11:52 AM (IST)
JLNMCH Bhagalpur: अस्‍पताल से नर्स ने लिया छुट्टी, साथ ले गईं ओपीडी की चाभी, फ‍िर
JLNMCH Bhagalpur: अस्‍पताल से नर्स ने लिया छुट्टी। साथ ले गईं चाभी।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। मायागंज अस्पताल की कार्यालय व्यवस्था चरमरा गई है। मंगलवार को मेडिसिन विभाग का ओपीडी करीब चार घंटे तक बंद रहा। इससे इलाज के लिए पहुंचे करीब 90 से अधिक मरीजों को निराश लौटना पड़ा। ओपीडी में प्रतिनियुक्त नर्स में चाभी लेकर अवकाश पर चली गईं। नर्स ने कार्यालय को चाबी तक उपलब्ध नहीं कराया। इससे मरीज को इंतजार करना पड़ा। मरीजों के बीच अफरा-तफरी के बीच दूसरी चाभी जिस कर्मी के पास था, वह ड्यूटी से गैरहाजिरी था। अस्पताल अधीक्षक को जब सूचना मिली तो महिला वार्ड को किसी तरह खोला गया। जबकि पुरुष वार्ड का ताला तोड़ कर इलाज शुरू किया जा सका।

इस विभाग की एक चाभी नर्स सुनैना भारती के पास, तो दूसरी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पिंटू के पास थी। सुबह नौ बजे तक मरीज के साथ डॉक्टर चाभी का इंतजार करते रह़े जब नौ बजे तक ओपीडी को नहीं खोला गया, तो इसकी शिकायत चिकित्सक ने अधीक्षक से कर दी। नर्स से दूरभाष पर जवाब तलब किया गया तो उन्हेांने बताया कि वो बीमार है। इसपर अस्पताल अधीक्षक डा. एके दास ने कहा कि नर्स व चतुर्थ वर्गीय कर्मी के साथ ओपीडी इंचार्ज नीलम से स्पष्टीकरण के साथ पर कार्रवाई होगी।

सदर अस्पताल में मरीजों को मिलेगी एक्सरे की सुविधा

सदर अस्पताल में मंगलवार को एक्सरे मशीन के खराब हो चुके एक्सपोजर को ठीक कर लिया गया। 12 अक्टूबर से इसकी सुविधा नहीं मिले से मरीजों को निराश लौटना पड़ रहा था। अब पहले की तरह करीब 25 मरीजों का एक्सरे होगा। इससे जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कालेज अस्पताल में एक्सरे कराने वाले मरीजों का दबाव भी कम होगा। टेक्नीशियन ने बताया कि ओपीडी के मरीजों का फिर से दबाव पड़ा तो फिर एक्सरे मशीन खराब हो सकती है, क्योंकि मायागंज के मरीजों का एक्सरे वहां नहीं होता है, सिर्फ इमरजेंसी में भर्ती मरीजों का ही किया जाता है। इससे मरीजों को या तो निजी लैब व सदर अस्पताल आना पड़ता है।

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