राजकीय पक्षी महोत्‍सव जमुई : गुमनाम नागी नकटी पक्षी आश्रयणी को मिला नाम, अब बचानी होगी पहचान

राजकीय पक्षी महोत्‍सव जमुई फरवरी 2020 में गुजरात अंतरराष्ट्रीय बर्ड कांफ्रेंस में बनी थी जमुई में सूबे के पहले राजकीय पक्षी महोत्सव की योजना। नागी-नकटी ने छुआ आसमान बाकी जगहों पर भी देना होगा ध्यान। गिद्धेश्वर गंगटा समेत कई जंगली इलाकों में लानी होगी जागरूकता।

By Dilip Kumar shuklaEdited By: Publish:Sun, 17 Jan 2021 09:21 AM (IST) Updated:Sun, 17 Jan 2021 09:21 AM (IST)
राजकीय पक्षी महोत्‍सव जमुई : गुमनाम नागी नकटी पक्षी आश्रयणी को मिला नाम, अब बचानी होगी पहचान
जमुई में राजकीय पक्षी मेला में दुर्लभ पक्षी।

जमुई [आनंद कुमार सिंह]। राजकीय पक्षी महोत्‍सव जमुई : 90 के दशक में पूरा नागी.व नकटी इलाका सन्नाटे के आगोश में था। नक्सलियों का अलग आतंक था। तब इस इलाके में पर्यटक तो दूर सरकारी महकमा भी सम्हल कर पहुंचता था। तब पर्यावरण के कुछ दीवानों का संघर्ष आज आसमान की बुलंदियों पर पक्षी महोत्सव की सफलता बयान कर रहा है। अभी इस इलाके में पर्यावरण को लेकर कई काम हुए हैं। लेकिन अभी इससे लंबा संघर्ष बाकी है। गिद्धेश्वर और गंगटा समेत कई वन्य इलाकों में जागरूकता फैलाकर इसकी शुरुआत की जा सकती है। जिन पर्यावरणविदों ने नागी.नकटी की पहचान के लिए संघर्ष किया उन्हीं में से एक हैं भागलपुर के अरविंद मिश्रा।

कैसे बनी पहले पक्षी महोत्सव की योजना

मंदार नेचर क्लब के संस्थापक अरविंद पूरे इलाके और इलाके से दूर दूसरे राज्यों में जाकर पक्षियों पर अध्ययन करते हैं। ये बताते हैं कि 90 के दशक में नागी.नकटी इलाका अपनी पहचान से दूर हो रहा था। पक्षी अभयारण्य घोषित होने के बाद भी यहां मछलियां मारी जाती थीं। इस कारण दुर्लभ पक्षियों पर संकट मंडरा रहा था।

तब पर्यावरणविद यहां आकर किसी रिश्तेदार या स्थानीय व्यक्ति के घर पर ठहरते थे। पर्यावरणविदों की टीम आती थी तो भूखे-प्यासे पूरे दिन नागी और नकटी इलाके की खाक छानती रहती, ताकि किसी नए पक्षी के बारे में जानकारी जुटाई जा सके। किसी झोपड़ी में चाय मिल जाती थी। लंबे प्रयास के बाद यहां मछलियों का ठेका बंद हुआ। इसके बाद यहां आने और रहने वाले 150 प्रजातियों के पक्षी निर्भीक होकर उड़ान भरने लगे। अरविंद मिश्रा बताते है कि अन्तरराष्ट्रीय स्तर की एक किताब में उनका एक आलेख प्रकाशित हुआ। इसके बाद सरकार का ध्यान इस ओर गया। फरवरी  2020 में गुजरात में आयोजित अंतरराष्ट्रीय बर्ड कांफ्रेंस में

बिहार के प्रधान सचिव और वन महकमे के लोग

शामिल थे। वहीं बिहार के इस पहले राजकीय पक्षी महोत्सव की नींव पड़ी थी। अरविंद मिश्रा को ही नागी.नकटी में पक्षियों की प्रबंध योजना की रूपरेखा तय करने को कहा गया। उन्होंने सरकार को योजना थमा दी। देश का चौथा बर्ड रिंगिंग सेंटर भागलपुर में है। यहां से हर माह पक्षी विज्ञानी आकर नागी.नकटी में काम करेंगे।

आश्रयणी में निडर विचरण करते हैं पक्षी

जमुई निवासी सूरज सिंह और झाझा की सोना वर्णवाल कहती हैं कि यहां अब पर्यटकों के दृष्टिकोण से सुविधाएं बढ़ाने की जरूरत है। विभिन्न माध्यमों से पहुंचने वाले पर्यटकों के लिए सुविधा और सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था होनी चाहिए। नागी की मीनाक्षी हेम्ब्रम बताती हैं कि यहां पर लोग पक्षियों का शिकार करने वालों को हतोत्साहित करते हैं। यदि ऐसे लोग पकड़े जाते हैं तो पूरा समाज उनसे कड़ाई से पेश आता है। इसी कारण आज इस इलाके में पक्षी निडर होकर रहते हैं।

गिद्धेश्वर में भी सुविधाएं बढ़ें

अब भगवान शिव के प्रसिद्ध पौराणिक मंदिर गिद्धेश्वर के बारे में भी सरकार को सोचने की जरूरत है। वहां भी पर्यटकों के लिए आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराने की दरकार है। खैरा निवासी मनोहर सिंह बताते हैं कि गिद्धेश्वर में तब भी गिद्ध दिखते थे, जब वह पूरी दुनिया में विलुप्ति के कगार पर थे। सरकार को इसपर भी ध्यान देना चाहिए। अरविंद मिश्रा समेत अन्य पर्यावरणविदों का मानना है कि गिद्धेश्वर महावीर की जन्मस्थली क्षत्रिय कुंड समेत गंगटा इलाके में अब वन्य जीवों की पहचान बचाने के लिए लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। लोग जागरूकता के अभाव में नेवला समेत अन्य वन्य जीवों को मार देते हैं। पक्षियों के बाद अब सरकार को वन्य जीवों के संरक्षण का प्रयास करना चाहिए।

लोगों में पर्यावरण के संबंध में जागरूकता आई है। लोग वन्य जीवों को बचाने की पहल करने लगे हैं। यह अच्छी बात है। लोगों की अपेक्षाओं पर ध्यान रखते हुए संबंधित क्षेत्रों के विकास की पहल की जाएगी।  - तारकिशोर प्रसाद, उप मुख्यमंत्री, बिहार।

chat bot
आपका साथी