जम्मू कश्मीर: भागलपुर वीरेंद्र पासवान का श्राद्धकर्म और बांका के अरबिंद की हत्या, खड़े हुए कई सवाल
शनिवार को जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर से खबर आई कि बिहार के एक और गोल गप्पे बेचने वाले युवक की हत्या कर दी गई है। आतंकवादियों ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसाते हुए अरबिंद कुमार साह को मौत के घाट उतार दिया। कुछ दिन पहले भागलपुर के वीरेंद्र की हत्या इसी तरह...
आनलाइन डेस्क, भागलपुर। शनिवार को दोपहर बाद, जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की गोली के शिकार हुए भागलपुर के वीरेंद्र पासवान के श्राद्ध कर्म का मंत्र जब पढ़ा जा रहा था, तब जम्मू-कश्मीर में आतंकियों ने गोलियों की बौछार कर बिहार के बांका जिले के एक और कामगार युवक की हत्या कर अपने दहशत फैला दी। अविवाहित अरबिंद कुमार साह वीरेंद्र पासवान की तरह ही दस वर्षों से वहां रहकर गोल गप्पे बेचने का काम करता था। इन दोनों हत्याकांड से यह जाहिर हो रहा है कि अब आतंकी टारगेट किलिंग को अंजाम देने में लगे हैं।
वीरेंद्र के श्राद्ध कर्म में भाग लेने केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे जब उनके गांव गए, तब गांव वालों ने मंत्री से सवाल पूछा कि सरकार दावा करती है कि जम्मू कश्मीर में सब कुछ सामान्य है इसके बावजूद टारगेटेड हत्या क्यों हो रही है। इसपर केंद्रीय मंत्री बोले कि जम्मू कश्मीर में शांति है। 370 हटने के बाद छिटपुट घटनाएं हो रहीं हैं। मैं खुद वहां जाता रहा हूं और अभी फिर जाऊंगा। विदेशी षड्यंत्रकारियों को बख्शा नहीं जाएगा। लेकिन देर शाम तक इस खबर ने भागलपुर के ग्रामीणों के सवाल को फिर जीवंत कर दिया।
जम्मू कश्मीर की सड़कों में दस साल से जिन गोल गप्पे वालों के ठेले गुलजार होते थे। वीरेंद्र के स्वजनों के मुताबिक, वहां के स्थानीय लोग जिस तरह अपने परिवार की तरह बिहार के वीरेंद्र को शरण दिए हुए थे। आज वहां इस तरह हुई हत्या, आखिर क्या दर्शा रही है। वीरेंद्र के बाद अरबिंद की हत्या... और यूपी के एक युवक पर पुलवामा में हमला। सवाल उतने ही बड़े हैं, जिनता मुद्दा 370।
वीरेंद्र के स्वजनों का कहना था कि कोरोना काल में भी कई गोल गप्पे वाले वहीं रुके रहे। लाकडाउन में वे वहीं थे। घर आ जाते तो खाना पीना कैसे चलता। जम्मू के लोग तो बहुत अच्छे हैं, जो वहां उन्हें लाकडाउन के दौरान खाना भी देते थे और रहने के लिए छत भी। फिर वो कौन लोग हैं जो चुन-चुनकर हत्या करने की राह पकड़ रहे हैं।
अरबिंद कुमार साह की हत्या श्रीनगर शहर के ईदगाह क्षेत्र के पास हुई। वो अपने ठेले पर ही था। जानकारी मिली की आतंकी एकदम से वहां आए और गोलियां बरसाते हुए न जाने कहां गायब हो गए। क्षेत्र में पुलिस कैंप तो कर रही है लेकिन उनका आतंकियों के बारे में पता नहीं चल सका है। जो इस दिशा में इशारा कर रहा है कि वे लोकल में ही किसी के यहां पनाह लिए हुए हैं। भारतीय सेना के जवान घर-घर पर छापेमारी कर रहे हैं।
अब यहां अश्विनी चौबे के बयान पर लौटते हैं, विदेशी षड्यंत्रकारी... कौन है जो इस तरह की वारदातों को अंजाम देने के लिए उकसा रहा है? आखिर ये आतंकी कैसे श्रीनगर पहुंचे? या फिर कोई स्लीपर सेल। हाल ही में दिल्ली में पकड़े गए आतंकी ने जो खुलासे किए उससे भी स्लीपर सेल वाले मामले की तरफ ध्यान दौड़ रहा है। बहरहाल, इन वारदातों के बाद प्रवासियों में दहशत का माहौल है।