Katihar NEWS : सड़क निर्माण नहीं होने पर सड़कों पर उतरे आदिवासी, झोपड़ी डाल पांच घंटे तक आवागमन किया बाधित
सड़क निर्माण नहीं होने पर आदिवासियों ने नायाब तरीके से जताया विरोध। पंचायत अंतर्गत झलझली से मुकुंदा चौक के बीच दो जगहों पर प्रदर्शनकारी आदिवासी परिवारों ने बीच सड़क पर कब्जा कर आवागमन को पूरी तरह अवरुद्ध रखा।
जागरण संवाददाता, कटिहार। बलरामपुर थाना क्षेत्र के भिमियाल पंचायत अंतर्गत मुकुंदा चौक के समीप लालदीघी भिमियाल गांव के आदिवासी परिवारों ने गांव में सड़क निर्माण नहीं होने के विरोध में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क पर झोपड़ी डाल आवागमन बाधित कर दिया। करीब पांच घंटे तक इस पथ पर आवागमन बाधित रहा। बाद में अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों के समझाने पर जाम हटाया गया।
पंचायत अंतर्गत झलझली से मुकुंदा चौक के बीच दो जगहों पर प्रदर्शनकारी आदिवासी परिवारों ने बीच सड़क पर कब्जा कर आवागमन को पूरी तरह अवरुद्ध रखा। प्रदर्शन कर रहे पितांबर सोरेन, दासमात सोरेन, ङ्क्षसघराम सोरेन, लखीराम सोरेन, किशुन सोरेन, सामु सोरेन, तालू सोरेन, प्रधान सोरेन, राजू सोरेन, हापनमय मुर्मू, करना हेंब्रम, सोना मुर्मू, तलामुई हांसदा सहित कई लोगों ने बताया कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क से भिमियाल लाल दीघी तक सड़क का निर्माण नहीं होने से उक्त गांव के दो दर्जन से अधिक परिवार आवागमन की गंभीर समस्या झेल रहे हैं। लोगों के लिए गांव से निकलना मुश्किल हो गया है। प्रखंड व जिला प्रशासन से कई बार सड़क निर्माण की गुहार लगाई गई, लेकिन उनके अनुरोध पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया। ग्रामीणों का कहना है कि प्रधानमंत्री सड़क से उक्त गांव तक बिहार सरकार की भूमि सड़क बनाने के लिए उपलब्ध है। बिहार सरकार की भूमि पर कई जगह कुछ लोगों द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया है, जिसे प्रशासन द्वारा खाली नहीं कराया जा रहा है। इसी बात से आक्रोशित लोगों ने सड़क पर घर बना कर धरना प्रदर्शन किया। लोगों ने बताया कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क की जमीन दासमात सोरेन, पितांबर सोरेन एवं बेजुन सोरेन के नाम से निबंधित है, जिसका भू लगान हर वर्ष खतियान धारी द्वारा भरा जाता है। सड़क के अभाव में अब लोग प्रधानमंत्री सड़क पर ही घर बनाकर अपना गुजर-बसर करने को विवश हैं। सूचना मिलते ही लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी दिनेश राम, अंचलाधिकारी उदय कांत मिश्र एवं प्रखंड कृषि पदाधिकारी राम बाबू पुलिस बलों के साथ धरना स्थल पर पहुंचे। आदिवासियों से बात करते हुए पदाधिकारियों ने उन्हें आश्वासन दिया कि बिहार सरकार की भूमि की नापी करा कर अवैध रूप से कब्जा किए हुए क्षेत्र को खाली कराया जाएगा। साथ ही अविलंब सड़क निर्माण कार्य शुरू कराया जाएगा। अधिकारियों के अनुकूल आश्वासन पर तकरीबन पांच घंटे बाद आवागमन बहाल हो पाया।