जैन मंदिर भागलपुर: किसी से ना लें बदला, बल्कि खुद को बदल लें: ब्रह्मचारी विकास

जैन मंदिर भागलपुर में उत्तम शौच धर्म श्रद्धा व भक्ति पूर्वक मनाया गया। मध्य प्रदेश से आए ब्रह्मचारी विकास जी ने कहा कि लोभ का त्याग करें। तन मन और वाणी का शुद्धीकरण ही उत्तम शौच धर्म है। किसी ने बदला ना लें बल्कि खुद को बदल लें।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Tue, 14 Sep 2021 11:49 AM (IST) Updated:Tue, 14 Sep 2021 11:49 AM (IST)
जैन मंदिर भागलपुर: किसी से ना लें बदला, बल्कि खुद को बदल लें: ब्रह्मचारी विकास
जैन मंद‍िर में पहुंचे श्रद्धालु। इस दौरान प्रवचन हुआ।

संवाद सूत्र, नाथनगर (भागलपुर)। जैन मंदिर भागलपुर में दशलक्षण महापर्व के चौथे दिन उत्तम शौच धर्म श्रद्धा भक्ति पूर्वक मनाया गया। पंच बाल यति जिनालय में श्रद्धालुओं ने अष्ट मंगल द्रव्य से विशेष पूजा अर्चना की और तत्वार्थ सूत्र ग्रंथ का पाठ किया। मध्य प्रदेश से पधारे ब्रह्मचारी विकास जी ने कहा कि लोभ का त्याग, तन, मन और वाणी का शुद्धीकरण उत्तम शौच धर्म है।

उन्होंने कहा कि गलत रास्ता अच्छा लग रहा है इसका मतलब है कि आपका भविष्य खराब होने वाला है। किसी से बदला लेने की नहीं, बल्कि अपने को बदलने की सोचो। गलतफहमी संबंधों को धराशाई कर देती है। विरोध से नहीं हृदय जीतकर ही किसी को बदला जा सकता है। जहां माता-पिता का सम्मान नहीं होता वह घर श्मशान होता है। दिल दुखाने वाले सदा दुखी रहते हैं। बीजारोपण के पूर्व भूमि की सफाई आवश्यक है उसी प्रकार धर्म के आगमन के लिए आत्मा की सफाई आवश्यक है।

उत्तम शौच धर्म का अर्थ है लालच को मिटाना। जिस प्रकार कंकड़ मिले खीर में स्वाद का आनंद नहीं आता, उसी प्रकार लालच मिले जीवन में धर्म का आनंद नहीं मिलता। धन को परोपकार और दान में लगाना चाहिए। धन जमा करने का भूत जिस पर सवार हो जाता है उसे रात दिन कुछ भी दिखाई नहीं पड़ता है। आश्चर्य की बात है कि व्यक्ति जीवन की सुरक्षा करने के लिए धन कमाता है और धन की सुरक्षा करते-करते प्राण निकल जाते हैं।

महोत्सव के दौरान भक्तिमय संगीत की धुन के बीच सज्जन विनायका द्वारा भक्ति गीत प्रस्तुत किया गया। मंगलाचरण मदन सेन जैन ने किया। प्रथम कलश अभिषेक अशोक निर्मल जयपुरिया ने किया। इस अवसर पर विजय रारा, पदम पाटनी, निर्मल कुरमा वाला, सुशील जैजानी, अशोक पाटनी, राम जैन उत्तम पाटनी, विनोद काला, सुमित बडज़ात्या आदि उपस्थित थे। इस दौरान काफी संख्‍या में जैन समुदाय के लोग उपस्थित थे। सभी ने पूरे आध्‍यत्मिक समारोह का आनंद ल‍िया। 

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