'यदि आप उपेक्षा नहीं चाहते हैं तो किसी से अपेक्षा न करें'

Jain Temple Bhagalpur दशलक्षण महापर्व के सातवें दिन उत्तम तप धर्म की हुई उपासना। गुरु सिखाते भी हैं और अपने जीवन से दिखाते भी हैं। मध्य प्रदेश से पधारे ब्रह्मचारी विकास जी यहांं प्रवचन हो रहा है। उन्‍होंने कहा-आप अगर किसी से अपेक्षा नहीं करेंगे तो आपकी उपेक्षा नहीं होगी।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Fri, 17 Sep 2021 11:58 AM (IST) Updated:Fri, 17 Sep 2021 11:58 AM (IST)
'यदि आप उपेक्षा नहीं चाहते हैं तो किसी से अपेक्षा न करें'
Jain Temple Bhagalpur: दशलक्षण महापर्व में हो रहा प्रवचन।

संवाद सूत्र, नाथनगर (भागलपुर)। दशलक्षण महापर्व के सातवें दिन उत्तम तप धर्म की उपासना की गई। धूप दशमी के पावन प्रसंग पर आज भगवान के समक्ष विश्व को सुभाषित करने हेतु श्रद्धालुओं ने सुगंधित धूप अर्पण किया। विश्व शांति धारा सुशील जैजानी, मुंबई प्रथम कलश प्रतीक जैन, राजस्थान द्वितीय कलश पवन अर्पित जैन, मध्य प्रदेश ने किया।

मध्य प्रदेश से पधारे ब्रह्मचारी विकास जी ने कहा कि यदि आप उपेक्षा नहीं चाहते तो किसी से भी अपेक्षा ना करें। गुरु सिखाते भी हैं और अपने जीवन से दिखाते भी हैं। थोड़ी सी तारीफ में संतुष्ट होने वाले कभी बड़े कार्य नहीं कर पाते। गिराने वालों को भी उठाना सीखो, बहुत आनंद आएगा। सहयोग लेने की अपेक्षा देने की सोचें, आप महान बन जाएंगे। छोटी-छोटी बातों को बड़ा बनाकर लडऩा सज्जनों का लक्षण नहीं है। सफलता के लिए ताकत नहीं सही नीयत चाहिए। आपका चरित्र ही आपकी छवि बनाता है। जो लोग समय पर कार्य नहीं करते, समय उन्हें कार्य करने के लिए फिर समय भी नहीं देता।

जिनका वर्तमान आचरण शुद्ध है, उनका भविष्य उज्जवल होगा दशलक्षण महापर्व के छठे दिन उत्तम संयम धर्म की उपासना की गई। समारोह में उपस्थित श्रद्धालुओं ने उत्तरी उद्यान में स्थापित भगवान पदम प्रभु जिनालय में आराधना की।

मध्य प्रदेश से पधारे ब्रह्मचारी विकास जी ने कहा कि जो मृत्यु पर विजय प्राप्त करा दे, उसे संयम कहते हैं। कार्य को कल पर टालने वाले आज का सदुपयोग नहीं करते। जो समय गया वह लौटता नहीं इसलिए एक-एक छन को सार्थक करें। जिनका वर्तमान आचरण शुद्ध है, उनका भविष्य उज्जवल होगा। जो स्वयं पर अनुशासन नहीं रखता वह दूसरों पर कैसे अनुशासन रखेगा। उन्होंने कहा कि संयमी व्यक्ति इस बात का सदा ध्यान रखते हैं कि मेरी खुशी में किसी की आंखों में आंसू तो नहीं आ रहे। सुखी बनने का उपाय धन का ढेर लगाने में नहीं है। जीव दया संयम है। संयम से धर्म का आधार मजबूत होता है। बड़ों से धोखा करने वाला कभी बड़ा नहीं बन पाता। सबको गलत नजरिए से देखने वाला व्यक्ति सबसे ज्यादा गलत होता है ।

कोतवाली चौक स्थित श्री दिगंबर जैन मंदिर में भी उत्तम संयम धर्म पूरे भक्ति भाव एवं उल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर मंगलाचरण राजीव पाटनी ने किया। सुनील जैन ने बताया कि दशलक्षण महापर्व समारोह में कल उत्तम तप धर्म की आराधना पूजन की जाएगी।

इस अवसर पर विजय रारा, जयकुमार काला, अशोक पहाडिय़ा, अशोक पाटनी, प्रकाश बडज़ात्या, निर्मल विनायका, अजीत कुरमावाला, सूरज जैन, मनोज पाटनी, महेश सेठी, संजय विनायका, सुनील रारा, आलोक बडज़ात्या, नवीन छाबड़ा, मनु जैन, विजय जैन, अजय जैन, शत्रुघ्न जैन आदि मौजूद थे।

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