तुलसी पूजन और गीता जयंती : भारतीय संस्‍कृति के पर्याय हैं तुलसी और गीता

तुलसी पूजन और गीता जयंती भागलपुर में युवाओं की टोली लगातार अपनी संस्‍कृति की रक्षा करने के लिए लोगों को प्रेरित करती है। इसी क्रम में जागृत युवा समिति के कार्यकर्ताओं ने 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस मनाया।

By Dilip Kumar shuklaEdited By: Publish:Fri, 25 Dec 2020 09:40 PM (IST) Updated:Fri, 25 Dec 2020 09:40 PM (IST)
तुलसी पूजन और गीता जयंती : भारतीय संस्‍कृति के पर्याय हैं तुलसी और गीता
तुलसी पूजन सह गीता जयंती : सस्‍तु भगत काली मंदिर सह गायत्री मंदिर के पास आयोजित कार्यक्रम।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। जागृत युवा समिति के तत्वाधान में 25 दिसंबर 2020  शुक्रवार को तुलसी पूजन सह गीता जयंती का कार्यक्रम ईश्वरनगर स्थित सस्‍तु भगत काली मंदिर सह गायत्री मंदिर के निकट आयोजित किया गया। उपस्थित सदस्‍यों ने अपनी संस्कृति और सभ्यता की रक्षा हेतु तुलसी पौधा की परिक्रमा की और गीता का वाचन किया। इस मौके पर बड़ी संख्‍या में आसपास के लोग हवन और आरती कार्यक्रम में शरीक हुए और अपनी संस्‍कति को जीवंत बनाए रखने का संकल्‍प लिया। अंत में महाप्रसाद का भी वितरण किया गया। इस अवसर पर गीता का भी वितरण किया गया। कार्यक्रम में आए लोगों को छोटे-छोटे गमले में लगा तुलसी का पौधा दिया।

जागृत युवा समिति के संयोजक प्‍यारे हिंद ने कहा कि संपूर्ण मानव जाति के लिये गीता का ज्ञान आवश्‍यक है। उन्‍होंने कहा कि गीता का प्राकट्य भगवान के श्रीमुख से हुआ है। उसको राष्ट्रीय धरोहर के रूप में स्थापित करने की जरूरत है। उन्‍होंने कहा तुलसी और गीता भारतीय संस्‍कृति के पर्याय हैं। प्‍यारे हिंद ने तुलसी की महिमा का भी बखान किया। कहा कोरोना काल मे लोगों ने मत पंथ से ऊपर उठ कर इस दिव्य औषधि का अनुपम लाभ उठाया है। आज अपनी संस्कृति और सभ्यता की रक्षा हेतु लोगों को सजग होने की की जरूरत है। साथ ही गीता को भी राष्ट्रीय धरोहर के रूप में हम स्थापित करने का संकल्‍प लेनी चाहिए।

 

प्‍यारे हिंद ने कहा कि अन्‍य मत पन्थों के धर्मग्रंथ के पठन पाठन एवं उसे जीवंत बनाए रखने के लिए वैश्विक स्‍तर पर बीस विश्‍वविदयालय स्‍थापित है। परंतु दुर्भाग्य है कि हिंदुस्तान में हिन्दू धर्मग्रंथ गीता के लिए एक भी विश्‍वविदयालय नहीं है। उन्‍होंने गीता को राष्‍ट्रीय ग्रंथ घोषित करने की मांग की। उन्‍होंने कहा कि आज एकादशी है। इस दिन को वैकुंठ एकादशी भी कहा जाता है। एकादशी व्रत करने से लोगों में जीवनी शक्ति की बढ़ोतरी होती है। उन्‍होंने कहा कि जो व्‍यक्ति व्रत नहीं कर सकते हैं, कम से कम एकादशी के दिन चावल नहीं खाएं। उन्‍होंने लोगों को शाकाहारी और दुग्‍ध उत्‍पाद युक्‍त भोजन करने की सलाह दी।

कार्यक्रम में मुख्य रूप से सरोज वर्मा, अमित कुमार सिंह, अमित ओमकार, राजीव यादव, धनंजय मिश्रा, उपेंद्र कुमार, रोशन, मंगल, रामबिलास, अमित कुमार, केशव, मुकेश प्रजपति आदि कार्यकर्ता मौजूद थे। जागृति युवा समिति के संयोजक प्‍यारे हिंद ने बताया कि जिले भर में लगभग सौ स्‍थानों पर तुलसी पूजन और गीत जयंती कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसके अलावा अपने-अपने घरों पर भी लोगों ने तुलसी पूजन किया। साथ ही गीता पाठ किया गया। इसके लिए पिछले कुछ दिनों से लगातार कार्यकर्ता घर-घर संपर्क कर लोगों को प्रेरित कर रहे हैं।

14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस पर होगा भव्‍य कार्यक्रम

प्‍यारे हिंद ने बताया कि इस बार भी 14 फरवरी को मातृ पितृ दिवस पर भव्‍य आयोजन होगा। इस दिन एक सप्‍ताह पूर्व से भी इसका आयोजन किया जाएगा। 14 फरवरी को वृहद कार्यक्रम का कार्यक्रम का समारोप होगा। यहां बता दें कि जागृत युवा समिति पिछले कई वर्षों से 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस पर भव्‍य कार्यक्रम आयोजित करती है, जिसमें सामूहिक रूप से वैदिक मंत्रोच्‍चार के बीच बच्‍चे अपने-अपने माता-पिता की पूजा करते हैं।

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