भारतीय रेलवे: नवंबर से ट्रेनों को मिलेगी वास्तविक पहचान, जीरो की जगह एक लगेगा

भारतीय रेलवे नवंबर से कोरोना स्पेशल नहीं मिलेगी वास्तविक पहचान। कोरोना की पहली लहर के बाद ट्रेनों के नंबर में हुआ बदलाव आगे में एक की जगह जीरो लगा कर परिचालन। स्पेशल की वजह से कई ट्रेनों का नियमित किराये में आरक्षण के नाम पर लिया जा रहा ज्यादा शुल्क।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Tue, 24 Aug 2021 05:06 PM (IST) Updated:Tue, 24 Aug 2021 05:06 PM (IST)
भारतीय रेलवे: नवंबर से ट्रेनों को मिलेगी वास्तविक पहचान, जीरो की जगह एक लगेगा
ट्रेनों का नंबर और परिचालन नियमित होने से यात्रियों को होगी काफी सहूलियत।

मुंगेर [रजनीश]। मालदा रेल मंडल सहित देश के कई रेलवे जोन में लगभग डेढ़ वर्ष से ट्रेनों का परिचालन कोरोना स्पेशल के नाम पर हो रहा है। ट्रेनों के परिचालन की अवधि दो से तीन माह आगे बढ़ाई जा रही है। सभी ट्रेनों के नंबर के आगे एक की जगह जीरो लगाया गया है। अब कोरोना के केस कम होने के बाद भारतीय रेल पुरानी ट्रेनों को वास्तविक पहचान देने की कवायद शुरू कर रहा है। देश के सभी जोनों के आलाधिकारी इस पर मंथन भी कर रहे हैं। कोरोना की तीसरी लहर का प्रकोप नहीं आया तो नवंबर से ट्रेनों को वास्तविक पहचान मिलना शुरू होने की उम्मीद है, फिर आपकी ट्रेन ट्रेनें पुराने नंबरों पर चलेंगी।

दरसअल, 2020 में कोरोना की पहली लहर में लगभग पांच से छह माह तक ट्रेनों का परिचालन पूरी तरह बंद कर दिया गया था। मालदा मंडल की ओर से पिछले वर्ष जुलाई में पहली ट्रेन ब्रह्मपुत्र मेल को चलाया गया, इसके बाद विक्रमिशला एक्सप्रेस का परिचालन स्पेशल बनकर शुरू हुआ। धीरे-धीरे बीते वर्ष के अक्टूबर तक सभी एक्सप्रेस ट्रेनें और कई पैसेंजर ट्रेनों का परिचालन स्पेशल बनाकर शुरू हुआ। वर्तमान में सभी ट्रेनों का परिचालन सामान्य हो गया। ट्रेनें अपने निर्धारित समय पर चल रही है, पर नंबर में बदलाव किया गया है।

जनरल कोच में आरक्षण का बाध्यता हो सकती है समाप्त

कोरोना स्पेशल के नाम पर जितनी एक्सप्रेस ट्रेनें या सुपरफास्ट चल रही है सभी के जनरल क्लास में सफर करने के लिए आरक्षण कराना होता है। इससे ग्रामीण तबके के यात्रियों को परेशान होना पड़ रहा है। पुराने नंबर लागू होने के बाद आरक्षण की बाध्यता बंद होने की उम्मीद है। इस पर भी रेलवे के अधिकारी मंथन कर रहे हैं।

एक्स्ट्रा फेयर से मिलेगा छुटकारा

जब से ट्रेनों को स्पेशल बनाकर चलाया जा रहा है, तब से एक्सप्रेस ट्रेन में सफर के लिए आरक्षण जरूरी है। ऐसे में यात्रियों को आरक्षण शुल्क का झटका भी लग रहा है। पहली लहर से पहले साधारण टिकट काउंटर पर एक्सप्रेस का टिकट मिलते थे, इससे वास्तविक भाड़ा लगता था, अब उसी टिकट को लेने के लिए यात्रियों को 15 से 20 रुपये ज्यादा चुकाना पड़ रहा है। इससे यात्रियों की जेबों पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। ट्रेनें वास्ताविक होगी तो ज्यादा पैसा देने से बच सकते हैं।

अभी कई राज्यों में कोरोना का प्रकोप है। तीसरी लहर की संभावना जताई जा रही है। तीसरी लहर नहीं आया तो नंवबर से इस दिशा में प्रयास शुरू होगा। ट्रेनों को नियमित या पुराने नंबर कर दिये जाएंगे। -एकलव्य चक्रवर्ती, सीपीआरओ, पूर्व रेलवे, कोलकाता।

chat bot
आपका साथी