भारतीय रेल: अगले माह से पर्व-त्योहार का आगाज, नि‍श्चिंत होकर करें यात्रा, रेलवे देगी सुरक्षा, नशाखुरानी गिरोह से रहें सतर्क

अक्टूबर से नंवबर के बीच दशहरा दीपावली और लोक आस्था का महावर्प छठ। नशाखुरानी से निपटने के लिए रेल पुलिस तैयार कर रही विशेष कार्य योजना। तीन सप्ताह बाद शुरू है शारदीय नवरात्र। तीन पर्व-त्योहार में खास रहती है नजर।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Thu, 16 Sep 2021 11:50 AM (IST) Updated:Thu, 16 Sep 2021 11:50 AM (IST)
भारतीय रेल: अगले माह से पर्व-त्योहार का आगाज, नि‍श्चिंत होकर करें यात्रा, रेलवे देगी सुरक्षा, नशाखुरानी गिरोह से रहें सतर्क
20 से 25 मिनट में यात्री को बनाते हैं शिकार।

जागरण संवाददाता, मुंगेर। अगले माह से पर्व-त्योहार के मौसम का आगाज हो रहा है। नवरात्र शुरू होने में तीन सप्ताह का समय है। दशहरा के बाद दीपावाली और लोक आस्था का महापर्व छठ है। पर्व-त्योहार पर दूसरे राज्यों से लौटने वाले यात्रियों को नशाखुरानी या जहरखुरानी के सरगना इन्हें टारगेट करने के लिए रणनीति बनाने में जुट गए हैं। त्योहारी मौसम में अक्सर देखा गया है कि बाहर से आने वाले यात्रियों को नशीली दवाइयां खिलाकर नशाखुरानी गिरोह लूटपाट करते हैं।

दरसअल, नशाखुरानी या जहरखुरानी गिराह का नेटवर्क पूर्व बिहार से उत्तर बिहार के जिलों तक फैला हुआ है। गिरोह का मुख्य सरगना यात्रियों को नशीली दवाइयां खिलाकर लूटपाट करने में सदस्य और वेंडर का इस्तेमाल करते हैं। अभी दो वर्ष में पूर्व बिहार के जमालपुर रेल जिला में एक भी केस नहीं आया है, लेकिन उत्तर बिहार के बेतिया-नरकटियागंज स्टेशनों के बीच अक्सर इस तरह की घटनाएं हो रही है। गिरोह का नेटवर्क इतना जबरदस्त है कि इन्हें पहले से मालूम चला जाता कौन सा यात्री अकेला जा रहा है किस कोच में सफर कर रहा। इनके पास सारी जानकारियां होती है।

इसके बाद संबंधित ट्रेन के कोच में बकायदा आरक्षण कराकर सवार हो जाते हैं। सफर के दौरान दो से तीन घंटे जिस यात्री अपना निशाना बनाना होता है, उससे धीरे-धीरे बातचीत का सिलसिला शुरू करते हैं और फिर बातचीत के क्रम में चाय, बिस्किट, केला, सेब या पेयपदार्थ खाने-पीने को देते हैं। इसके खाते ही यात्री 20 से 25 मिनट के अंदर बेहोश हो जाता है और फिर गिरोह के सदस्य उसका सारा सामान और नकदी समेटकर चंपत हो जाते हैं।

यात्री बनकर करते हैं सफर, फिर बनाते हैं निशाना

नशाखुरानी गिरोह के सदस्य ट्रेन के अलग-अलग कोच में यात्री बनकर सफर करते हैं, इसके बाद संबंधित यात्रियों को निशाना बनाते हैं। एटीवान, वैलिकाम नाम नींद की दवा का इस्तेमाल करते हैं। इस टबलेट को हाथ से मसलकर उसे चाय-बिस्कुट में मिलाते हैं। इसके बाद शिकार होने वाले यात्रियों को देते हैं। रेलवे के एक वरीय चिकित्सक ने बताया कि जहरखुरानी गिरोह के सदस्य शिकार को बेहोश करने के लिए आमतौर पर वैलिकाम एटिवान दवा का इस्तेमाल करते हैं। गिरोह के सदस्य दवा के घोल को चाय मिला देते हैं और सिरिंज के जरिए केला, सेब या संतरे में डाल देते हैं और शिकार को खाने को देते हैं।

बिना पेंट्रीकार वाले ट्रेनें में ज्यादा वारदात

नशाखुरानी गिरोग के सदस्य लंबी दूरी की ट्रेनों बिना पैंट्रीकार वाली ट्रेनों को ज्यादा टारगेट करते हैं। नशाखुरानी गिरोह के सदस्य अपने पास रखे या गैर लाइसेंसी वेंडरों की सांठ-गांठ से खाद्य पदार्थ में नशीला पदार्थ मिलाकर उसे अपने शिकार को खिला देते हैं जिससे वह बेहोश हो जाते हैं। नशाखुरानी के शिकार ज्यादातर यात्री जब होश में आते हैं तो वे यही बताते हैं कि सफर के दौरान उनके आसपास बैठे यात्रियों ने उन्हें कुछ खाने अथवा पीने को दिया था और उसे खाते ही उन्हें याद नहीं कि उनके साथ क्या हुआ। आंख खुलती है तो वह स्वयं को अस्पताल में पाते हैं।

हर रूट में पूरी तरह सक्रिय है गैंग

साहबिगंज से किऊल और जसीडीह से किऊल तक गिरोह सक्रिय है। कुछ समय पहले भागलपुर जिले के कहलगांव-पीरपैंती इलाके के अट्ठनी गिरोह काफी सक्रिय था। इस गिरोह में महिलाएं भी शामिल थीं। लेकिन, दो वर्ष पहले गिरोह का सरगना पीरपैंती इलाके के अठनिया गांव का विलास रविदास को रेल पुलिस ने गिरफ्तार हुआ था। पूछताछ के क्रम में उसने कई राज खोले थे। विलास रविदास जिस गिरोह के साथ यात्रियों को लूटने का काम करता था। उसका नेटवर्क पूर्व बिहार, उत्तर बिहार के अलावा झारखंड तक था।

-दो वर्ष में जमालपुर रेल जिला अंतर्गत किसी भी रेल थाना में नशाखुरानी का मामला नहीं आया है। दूसरे जगहों से शिकार होकर आए यात्रियों को भर्ती कराया गया है। गिरोह पर रेल पुलिस की नजर है। विशेष नजर रखा जा रहा है। सभी को निर्देश भी दिया गया है। -सुधीर कुमार, रेल थानाध्यक्ष, जमालपुर।

स्टेशन पर शाम होते ही डरे सहमे उतरते हैं पैसेंजर

मुंगेर स्टेशन अपनी बदहाली पर खुद आंसू बहा रहा है। इस स्टेशन का इतिहास काफी पुराना है, लेकिन चार वर्ष पहले यह स्टेशन नये स्वरूप में आया है। गंगा रेल पुल चालू होने के बाद मुंगेर स्टेशन रेलवे का लाइफ लाइन बन गया है। इस स्टेशन पर यात्रियों का आवागमन तीन से चार हजार के आसपास होती है, पर यात्री सुविधाएं पर कोई सुधार नहीं हो सका। खगडिय़ा, सहरसा और बेगूसराय के लिए पांच ट्रेनें अप और डाउन में हर दिन है। एक एक्सप्रेस ट्रेन जयनगर के लिए चलती है, इसके अलावा अगरतला और गांधीधाम से एक-एक साप्ताहिक ट्रेन मुंगेर होकर गुजरती है। शुद्ध पेयजल, शौचालय, विश्रामालय और लाइट की समूचित सुविधा नहीं है। रोशनी की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण यात्री खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं । अंधेरे का फायदा उठाने के लिए स्टेशन पर बदमाश सक्रिय रहते हैं।

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