सुपौल के इस अस्पताल में हर संसाधन उपलब्ध पर इलाज के नाम पर मरीज किए जाते हैं रेफर
सुपौल के सरकारी अस्पतालों में इलाज की व्यवस्था ठीक नही हैं। सरायगढ़ अस्पताल की बात करें तो यहां संसाधन तो हैं पर इसके बाद भी मरीजों को रेफर कर दिया जाता है। मामूली जख्म का भी इलाज नहीं हो पाता है। मरीज परेशान रहते हैं।
जागरण संवाददाता, सुपौल। जिले के सरायगढ़-भपटियाही प्रखंड के मुरली गांव में घर के बाहर खेल रही एक 3 साल की बच्ची को आवारा कुत्ते ने कई जगह काट कर घायल कर दिया। जिसके बाद उसे परिजनों ने सरायगढ़ अस्पताल लाया। जहां डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद उसे सदर अस्पताल रेफर कर दिया। आलीशान बिङ्क्षल्डग में चलने वाले इस अस्पताल में भी बच्ची का इलाज नहीं हो सका। इतना ही नहीं 3 साल की इस छोटी बच्ची को एक रेबीज का इंजेक्शन तक नसीब नहीं हो सका और उसे रेफर कर दिया गया।
दरअसल सरायगढ़ के मुरली गांव के अभिषेक झा की भांजी नंदनी अपने घर के बाहर खेल रही थी इसी दौरान आवारा कुत्तों ने उसे अपना निवाला बनाना चाहा लेकिन तब तक बच्ची के परिजन वहां पहुंच गए। जिससे उसकी जान बच सकी। लेकिन सदर अस्पताल में मौजूद डाक्टर ने उसके इलाज करने की जहमत तक नहीं उठाई और रेफर कर दिया। जबकि बच्ची के होंठ और चेहरे को कुत्तों ने कई जगह काटकर जख्मी कर दिया है। स्वजन का आरोप है कि डॉक्टरों ने इलाज करने के बजाय उन्हें प्राइवेट क्लीनिक का रास्ता दिखा दिया।
डॉक्टर ने बड़ी इंजुरी बताकर झाड़ा पल्ला
ड्यूटी में मौजूद डॉ. श्रवण कुमार ने कहा कि चेहरे पर कई जगह जख्म है, होठ में ज्यादा इंजुरी है। बच्ची को प्लास्टिक सर्जरी कराना पड़ेगा, रविवार को रेबीज का इंजेक्शन भी नही दिया जाता है। कारण रेबीज का इंजेक्शन आउटडोर के माध्यम से दिया जाता है और रविवार को आउटडोर बंद रहता है। यूं कहिए तो अस्पताल में एंटीरेबीज की सूई रहते उस बच्ची को यह सूई भी नहीं दी जा सकी। अब सवाल उठता है कि अस्पताल की इतनी बड़ी संरचना और और सरकार के लाख दावे के बीच एक कुत्ता काटे मरीज का इलाज भी सलीके से नहीं हो पाता है और उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है।