Amazing: बुलेट ट्रेन के युग में भी एेसा होता है क्या...रेलवे को अब भी चूना-पटाखा पर है भरोसा
कहने को हम बुलेट ट्रेन के युग में जी रहे हैं जहां अत्याधुनिक तकनीकों का प्रयोग किया जा रहा है। लेकिन भारतीय रेल अब भी कोहरे से बचने के लिए चूना और पटाखे का ही प्रयोग करती है।
भागलपुर [रजनीश]। भारत में राष्ट्रीय स्तर पर वंदे भारत और हाई स्पीड बुलेट ट्रेनें चलाने की बात हो रही है। लेकिन मालदा मंडल में 21वीं सदी में भी घने कोहरे के बीच ट्रेनें चूना और पटाखा के भरोसे ही चलती हैं, क्योंकि यहां किसी भी ट्रेन में फॉग डिवाइस नहीं लगाई गई है।
दरअसल, ठंड में घने कोहरे को देखते हुए सुरक्षित परिचालन के लिए वर्ष 2017 में ही रेल मंत्रालय ने महत्वपूर्ण ट्रेनों में फॉग डिवाइस लगाने की बात कही थी। इसके लिए सभी जोन और रेल मंडलों को निर्देश भी जारी किया गया था, लेकिन दो साल बाद भी यहां की ट्रेनों में यह डिवाइस नहीं लग सका।
दूसरे मंडलों में फॉग डिवाइस से चलती हैं ट्रेनें
नॉर्थन रेलवे, इलाहाबाद मंडल, लखनऊ रेल मंडल, दानापुर रेल मंडल, मुगलसराय रेल मंडल, वाराणसी रेल मंडल हावड़ा रेल मंडल, नॉर्थ फ्रंटियर रेल, हावड़ा मंडल, खडग़पुर मंडल से चलने वाली ट्रेनों में फॉग डिवाइस सिस्टम से ट्रेनों का परिचालन किया जा रहा है।
क्या है फॉग डिवाइस
फॉग सेफ डिवाइस एक कंप्यूटराइज यंत्र है। इसका डिसप्ले लोको पायलट के पास लगा रहता है। यह डिवाइस सिग्नल और समपार फाटक के 500 मीटर पहले ही चालक को सूचना दे देती है। इससे चालक सतर्क हो जाते हैं और दुर्घटना की संभावना क म हो जाती है।
कोहरे की वजह से नहीं दिखाई देता है सिग्नल
कोहरे की वजह से लोको पायलट को कभी-कभी सिग्नल दिखाई नहीं देता है, इसलिए गेटमैन पटाखा फोड़कर लोको पायलट को परिचालन संबंधित निर्देश देते हैं। रेल अधिकारी ने बताया कि कोहरा होने पर आउटर सिग्नल पर पटाखे लगाए जाएंगे। इसके बजते ही लोको पायलट को होम सिग्नल का आभास हो जाएगा और ट्रेन की गति कम कर देंगे।
बरती जा रही विशेष चौकसी
संभावित कोहरे को देखते हुए सिग्नल ओवरशूट की घटनाएं न हों, इसके लिए विशेष चौकसी बरती जा रही है। ट्रेन चालकों को भी पर्याप्त आराम देने का आदेश दिया गया है। संरक्षा से जुड़े हर बिंदु पर काम किया जा रहा है।
कहा-सीपीआरओ, पूर्व रेलवे ने
ज्यादा कोहरा लगने पर फॉग डिवाइस लगाए जाते हैं। इससे कोहरे में ट्रेनों के सुरक्षित और सुगमता से परिचालन में मदद मिलता है। मालदा मंडल की ट्रेनों में यह सिस्टम लगाने की प्रक्रिया चल रही है। -निखिल चक्रवर्ती, सीपीआरओ, पूर्व रेलवे।
कोहरे के कारण रद होती कई ट्रेनें
दृश्यता कम होने से ट्रेनों की रफ्तार अभी से कम होने लगी है। कोहरा छंटने के बाद ही रेल ट्रैफिक सामान्य होता है। कई जगहों पर दृश्यता पचास मीटर से भी कम रह जाती है। कोहरे के कारण साप्ताहिक ट्रेन जम्मूतवी एक्सप्रेस ट्रेन को 21 और 28 नवंबर को रद कर दिया गया है। रेलवे का कहना है कि ज्यादा दिक्कत लंबी दूरी की गाडियों के साथ है। रात में कोहरा घना होने से चालकों को सिग्नल देखने में परेशानी होती है। इससे ट्रेनों की रफ्तार धीमी हो जाती है।
यह भी पढ़ें:
Indira Gandhi Birth Anniversary: जब बेलछी के उस 'दांडी मार्च' से 'मॉम जनरल' को मिला था सियासी नवजीवन
Bihar Board 10th and 12th Exam: 03 से 24 फरवरी तक होंगी परीक्षाएं, यहां देखें पूरा शेड्यूल