बालू के अवैध धंधे में वर्चस्व के लिए जुटा रखे हैं हथियारों का जखीरा, लगातार हो रही हत्याएं
कमाई का एक हिस्सा हथियार की खरीद में लगाते हैं माफिया। जिस इलाके में बालू का करते हैं उत्खनन उस इलाके के कमजोर तबके के लोगों को बालू ढुलाई खोदाई और रतजगा कर गतिविधियों पर नजर रखने के लिए देते हैं मेहनताना। विरोधियों पर भी रखी जाती नजर।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। बालू के अवैध धंधे में शामिल माफिया इस जरायम धंधे में वर्चस्व के लिए हथियारों का जखीरा जुटा रखे हैं। जब बालू घाटों की बंदोबस्ती हुआ करती थी तब बंदोबस्त धारकों से नजर बचाकर इलाके के शातिर चोरी-छिपे बालू का उत्खनन करा बंदोबस्त धारकों के चालान की स्कैन कर बिल्कुल उसी तरह का चालान अपने बालू ढुलाई में लगे ट्रैक्टर चालकों को देकर भेजा करते थे। इस तरह पहले जगदीशपुर के सैदपुर, टहसुर, वादे हसनपुर, आजमपुर कनेरी, फतेहपुर, हड़वा, सन्हौली, उस्तू, दोस्तनी, भड़ोखर, कजरैली, सजौर के अलावा बांका के रजौन, अमरपुर और धोरैया इलाके में बालू चोरी का खेल शुरू हुआ। बंदोबस्त धारकों ने जब उसकी शिकायत पुलिस और जिलाधिकारी तक पहुंचाई तो सख्ती हुई। सख्ती में पहले तो उनके पांव उखड़ने लगे। फिर स्थानीय पुलिस बालू चोरों को संरक्षण दे बालू चोरी कराना शुरू कर दिया। फिर देखते ही देखते बालू चोर इलाके के बालू माफिया बन गए। पुलिस को समय पर एकमुश्त राशि पहुंचने लगी। बंदोबस्त धारक भी भयभीत होने लगे। बालू माफिया अपनी कमाई का एक हिस्सा मुंगेरिया हथियारों के जखीरे जुटाने में खर्च करने लगे। देखते ही देखते जगदीशपुर, सजौर, रजौन, अमरपुर, मधुसूदनपुर और कजरैली का इलाके में बालू के अवैध उत्खनन कराने में लगे बालू माफियाओं के पास सैकड़ों बदमाश शरण लेने लगे। उन्हें हथियारबंद कर बालू घाटों के इर्दगिर्द पहरेदारी में लगा दिया गया। उनके पास पहले मास्केट, पिस्तौल, पिस्टल, सिक्सर बाद में राइफल, बंदूक, कारबाइन और अब सेमी ऑटोमेटिक राइफल, मारूति गन आदि भी उपलब्ध बताए जा रहे हैं। बीते 20 सालों में बालू माफियाओं के विरुद्ध् उंगली पर गिनती करने वाली संख्या में चलाए गए अभियान में पांच बार हथियारों की बड़ी खेप पकड़ी भी गई। जगदीशपुर के थानाध्यक्ष रहे चेतनानंद झा, रत्न किशोर झा, राजकिशोर सिंह, रामरेखा पांडेय, सुभाष वैद्यनाथन, प्रवीण कुमार झा आदि के कार्यकाल में कारबाइन, राइफल, मास्केट, बंदूक, हैंड ग्रेनेड पकड़े जा चुके हैं। हथियारों के साथ तीन दर्जन से अधिक गुर्गों की गिरफ्तारी हो चुकी है। लेकिन बालू माफियाओं के हथियारों के जखीरे में इजाफा ही होता रहा। बालू चोरी और उसकी बिक्री से होने वाली आय काले धंधे में अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए हथियारों की खरीद भी करते रहे हैं।
एसएसपी निताशा गुड़िया के कार्यकाल में भी बालू उत्खनन जोरो पर है। लेकिन मोदीपुर, सैदपुर, आजमपुर कनेरी जख बाबा स्थान, हड़वा, फतेहपुर, बलुआबाड़ी, जगदीशपुर, सिमरिया, कजरैली, मनियारपुर, भीमकिता, भड़ोखर में स्थानीय पुलिस और बालू माफिया के गठजोड़ में बालू का अवैध उत्खनन और उठाव हो रहा है। पुलिस पदाधिकारियों की बालू माफियाओं के साथ साठगांठ को लेकर चल रही जांच में जल्द ही कई पुलिस पदाधिकारियों के चेहरे भी बेनकाब हो जाएंगे।