बिहार के मेदीनगर का पेड़ा न खाया तो क्या खाया, ऐसे ही थोड़े न होती है लाखों की सेलिंग
बिहार के मेदीनगर का पेड़ा प्रसिद्ध होता जा रहा है। इसकी डिलीवरी प्रदेश के कोने-कोने में हो रही है। वजह इसका शानदार स्वाद और सुगंध है। पेड़ा व्यवसाय से यहां लोग आत्मनिर्भर तो हो ही रहे हैं साथ ही अब उनका व्यापार बढ़ रहा है।
चितरंजन सिंह, संवाद सूत्र, चौथम (खगड़िया): खगड़िया पेड़ा व्यवसाय को लेकर प्रसिद्ध है। यहां हर महीने लाखों का कारोबार होता है। सैकड़ों लोगों को रोजगार है। इसकी एक चेन बनी हुई है। इससे पेड़ा व्यवसायियों के साथ-साथ दूध विक्रेता, चीनी विक्रेता आदि भी जुड़े हुए हैं। पहले खगड़िया में पेड़ा व्यवसाय के दो प्रमुख केंद्र थे करुआमोड़ और आवास बोर्ड। लेकिन अब तीसरे केंद्र के रूप में मेदनी नगर भी उभरा है।। मेदनी नगर जयप्रभा नगर के समीप एनएच 107 पर स्थित है। आवागमन की सुविधा होने के कारण यहां का पेड़ा व्यवसाय फल-फूल रहा है।
बेहतर तकनीक से तैयार किया जाता है खोआ
मेदनी नगर निवासी सह पेड़ा व्यवसायी बबलू साह, पप्पू साह, भूषण साह, सुबोध साह आदि ने बताया कि पेड़ा को लेकर खोआ तैयार करने के लिए चूल्हे में आग के बदले स्टीम का उपयोग किया जा रहा है। इससे जलावन व मजदूर की भी बचत होती है। दूध से खोआ तैयार करने के समय मोटर चालित छोलनी का भी उपयोग किया जा रहा है। जिससे खोआ के जलने की समस्या भी नहीं रहती है।
व्यवसायियों ने बताया कि ब्यालर के स्टीम द्वारा एक बार में पांच बड़े लोहिया में दूध से खोआ तैयार किया जाता है। इससे समय व मजदूरी की काफी बचत होती है। व्यवसायियों का कहना है कि पहले पांच बर्तन में खोआ तैयार करने में पांच भी जलाना पड़ता था। लेकिन नई तकनीक से घंटों का काम मिनटों में होता है। उक्त तकनीक पर सात से आठ लाख रुपये का खर्च आता है।
प्रति माह लाखों रुपये का होता है कारोबार
व्यवसायियों से मिली जानकारी के अनुसार यहां प्रति माह लाखों रुपये के पेड़ा का कारोबार होता है। यहां से तैयार किए गए पेड़ा राज्य के कोने-कोने तक पहुंच रहे हैं। बाहर के व्यापारी भी यहां से पेड़ा ले जाकर व्यवसाय कर रहे हैं। व्यवसायियों ने बताया कि शुद्ध पेड़ा तीन सौ रुपये प्रति किलोग्राम बिक्री की जाती है। जिसमें शुद्धता की एक सौ प्रतिशत गारंटी रहती है। इस पेड़ा में चीनी कम मात्रा में रहती है। पेड़ा व्यवसाय से यहां के जीवन स्तर में भी काफी सुधार हुआ है।