JLNMCH Bhagalpur: इलाज कराने जा रहे हैं तो यह खबर पढ़ लें, आपको हो सकती है परेशानी
JLNMCH Bhagalpur वायरल फीवर सहित अन्य दवाओं का टोटा है यहां। अस्पताल में मरीज के स्वजन गैस निवारक एजीथ्रोमाइसिन मल्टी विटामिन सहित अन्य दवाएं बाहर से खरीदने को विवश अस्पताल प्रशासन बना हुआ है लापरवाह। अस्पताल में भरे पड़े हैं वायरल पीडि़त बच्चे वयस्क भी कम नहीं।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कालेज अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) वायरल फीवर से पीडि़त बच्चों और वयस्क से भरा हुआ है, लेकिन अस्पताल में कोई व्यवस्था नहीं है। गैस निवारक, एजीथ्रोमाइसिन, मल्टी विटामिन सहित अन्य दवाएं उपलब्ध नहीं हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि दवाएं खत्म होने के बावजूद न तो आपूर्ति की मांग की जा रही है और न ही स्थानीय स्तर पर ही दवाओं की खरीदारी की जा रही है। ऐसे में मरीजों के स्वजन को बाहर से दवा खरीदनी पड़ रही है।
अस्पताल में पांच सौ से ज्यादा मरीज भर्ती हैं। आउटडोर विभाग में प्रतिदिन एक हजार से ज्यादा मरीजों का इलाज भी किया जा रहा है। अस्पताल में प्रतिदिन वायरल फीवर से पीडि़त बच्चे आ रहे हैं, लेकिन एंटीबायोटिक दवाएं तक नहीं हैं। बच्चों को अगर पारासीटामोल की सूई देने की जरूरत पड़ती है तो स्वजन को बाहर से खरीदनी पड़ रही है। मल्टी विटामिन सहित कई दवाओं का अभाव है।
दो दिन पहले इमरजेंसी शिशु विभाग में भर्ती शिशु को पारासीटामोल की सूई देनी थी तो स्वजन को सूई खरीदनी पड़ी थी। चिकित्सकों के मुताबिक वायरल फीवर से पीडि़त शिशु अगर सीरप या टेबलेट नहीं खा सकता है तो उसे सूई देनी पड़ती है। वहीं, इंडोर शिशु विभाग में भर्ती शिशु को भी दवा खरीदनी पड़ी। बताया गया कि एक सौ 25 रुपये की टेंजोवैक्टम खरीदी गई। पिछले दो माह से यह दवा नहीं थी। कई बार इंडेंट भी किया गया था। इसकी जानकारी जब शिशु विभाग के अध्यक्ष डा. केके सिन्हा को मिली तो उन्होंने स्टोर से दवा मांगी।
एंटासीड और कब्ज दूर करने की भी दवा नहीं
आउटडोर विभाग के हड्डी रोग विभाग में प्रतिदिन तकरीबन एक सौ मरीजों का इलाज किया जाता है। हड्डी अगर हल्की भी टूटी हो या चोट लगी हो तो अन्य दवाओं के साथ गैस की दवा खाने की सलाह भी चिकित्सक देते हैं। मेडिसीन विभाग में भी ज्यादातर मरीज पेट की बीमारियों की शिकायत लेकर ही इलाज करवाने आते हैं। उनकी संख्या भी प्रतिदिन दो सौ से कम नहीं रहती, लेकिन पिछले एक सप्ताह से गैस की दवा नहीं है।
वहीं गायनी विभाग में गर्भवती महिलाओं को आयरन और मल्टी विटामिन खाने की सलाह चिकित्सक देती हैं। आयरन की दवा तो उपलब्ध है, लेकिन मल्टी विटामिन नहीं है। एंटीबायोटिक दवा एजीथ्रोमाइसिन तक नहीं है। एंटासीड, कब्ज दूर करने की दवा नहीं है। इसके अलावा बीपी और शुगर के मरीजों को भी दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं। मरीज के स्वजन दवा दुकानों से कई दवाएं खरीदते हैं। दुकानों में भीड़ लगी रहती है। आउटडोर में इलाज करवाने वाले मरीजों की भीड़ दवा दुकानों पर लगी रहती है।
स्थानीय स्तर पर भी दवाएं खरीदी जाती हैं। इसके लिए विभाग के अध्यक्षों के साथ बैठक की जाती है। जिन दवाओं की जरुरत होती है और अस्पताल में नहीं हैं उसकी सूची बनाई जाती है। पांच लाख रुपये तक की दवा खरीद सकते हैं। कई दवाएं अस्पताल में मिल चुकी है। जो दवाएं नहीं हैं उन्हें खरीदने की अनुमति सरकार से मांगी गई है। - डा. असीम कुमार दास, अधीक्षक, जेएलएनएमसीएच