सहरसा में 136 जांच पर कुंडली मारकर बैठे हैं आईसीडीएस अधिकारी, बढ़ रहा मुकदमों का बोझ

आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका चयन को लेकर जो खेल चलता है वो किसी से छिपा नहीं है। मामले में अधिकारियों के खेल में बढ़ मुकदमों का बोझ रहा है। 136 जांच पर आईसीडीएस अधिकारी कुंडली मारकर बैठे हैं। मानें ये पूरी नहीं हो पाई हैं।

By Shivam BajpaiEdited By: Publish:Mon, 06 Dec 2021 06:48 AM (IST) Updated:Mon, 06 Dec 2021 06:48 AM (IST)
सहरसा में 136 जांच पर कुंडली मारकर बैठे हैं आईसीडीएस अधिकारी, बढ़ रहा मुकदमों का बोझ
बिहार के सहरसा का मामला, अब तक पूरी नहीं हुई जांच।

संवाद सूत्र, सहरसा: जिले में आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका चयन में अधिकारियों व कर्मियों का खेल रुकने का नाम नहीं ले रहा है। एकतरफ रिक्ति के विरुद्ध दो वर्षों में वार्डसभा पूरा नहीं हो सका। वहीं जहां चयन हुआ, उसको लेकर अधिकांश जगह विवाद गहरा गया। गत वर्ष के वार्डसभा के आधार पर 136 मामलों की जांच शुरू हुई, उसे अबतक पूरा नहीं किया जा सका। जिससे पूर्व से ही सैकड़ों मुकदमा झेल रहे जिला प्रशासन पर अनवरत मुकदमों का बोझ बढ़ता जा रहा है।

अनियमितता की गुत्थी सुलझाने में नहीं लेते रूचि

गत वर्ष के सेविका चयन का विवाद सुलझाने में किसी अधिकारी को रूचि नहीं है। इस बीच कई डीपीओ भी बदलते गए परंतु प्रमाण पत्रों के सत्यापन के नाम पर प्रखंड से जिलास्तर के अधिकारी कुंडली मारकर बैठे हुए हैं। फलस्वरूप ग्रामीण क्षेत्र में तनाव भी बढ़ रहा है और उच्च न्यायालय में मामलों का बोझा भी बढ़ने लगा है। कहीं जांच नहीं हो रही, तो कही अपने चहेते का चयन नहीं हो पाने के कारण चयनित अभ्यर्थी को चयन पत्र नहीं दिया जा रहा है। विभागीय अधिकारी द्वारा अपनी रुचि के एक- दो मामले को निष्पादित किया गया, वहीं अधिकांश मामला यूं ही पड़ा हुआ है। जिन मामलों का निष्पादन किया भी गया, उसमें पक्षपात का आरोप लगाकर दूसरे पक्ष के लोग न्याय की गुहार लेकर ऊपरी अदालत में चले गए हैं। पूर्व से मुकदमों का बोझ झेल रहे जिला प्रशासन के उपर ऐसा मामला बढ़ता ही जा रहा है।

आखिर क्यों नहीं होता है प्रमाणपत्रों का सत्यापन

सेविका- सहायिका चयन के लिए जो 136 मामले सामने आए, उसमें अधिकांश में प्रमाणपत्रों का विवाद सामने आया। संस्कृत शिक्षा बोर्ड, मदरसा बोर्ड व अन्य बोर्ड के फर्जी प्रमाणपत्र वाले अभ्यर्थियों ने वास्तविक प्रमाणपत्र के अभ्यर्थियों को मात दे दी। इन मामलों की जांच के लिए संबंधित बोर्ड को प्रमाणपत्र सत्यापन के लिए पत्र को भेजा गया, परंतु इसकी दोबारा सुधि नहीं ली गई। बोर्ड ने न तो अबतक कोई जवाब दिया और न विभाग स्तर से इसके लिए कोई ठोस पहल की। इस काम को जानबूझकर लटकाया गया है।

'विवादों का निष्पादन चरणबद्ध तरीके से किया जा रहा है। बोर्ड से प्रमाणपत्रों का सत्यापन नहीं हो पाने के कारण कुछ मामलों का निष्पादन लंबित है। इसक लिए बोर्ड को पुन: पत्र भेजा गया है। उम्मीद है कि जल्द ही इन विवादों का निष्पादन कर लिया जाएगा।' -अजमल खुर्शीद, डीपीओ, आईसीडीएस, सहरसा।

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