सहरसा में सौ शिक्षकों की नौकरी पर लटकी तलवार! 90 शिक्षक दे चुके हैं इस्‍तीफा, छह साल से चल रही जांच

सहरसा में सौ शिक्षकों की नौकरी पर तलवार लटक रही है। निगरानी जांच के दौरान इन लोगों ने अपना प्रमाण पत्र अपलोड नहीं किया है। जांच शुरू होने के साथ ही करीब 90 शिक्षक इस्‍तीफा भी दे चुके हैं।

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 07:37 PM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 07:37 PM (IST)
सहरसा में सौ शिक्षकों की नौकरी पर लटकी तलवार! 90 शिक्षक दे चुके हैं इस्‍तीफा, छह साल से चल रही जांच
सहरसा में सौ शिक्षकों की नौकरी पर तलवार लटक रही है।

संवाद सूत्र, सहरसा। जिले में नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच निगरानी विभाग कई वर्षों से कर रही है। जिले के विभिन्न प्रखंडों में कार्यरत करीब 100 शिक्षकों का प्रमाण पत्र अब तक निगरानी विभाग में जमा नहीं हो पाया है। जिस कारण जांच भी बाधित है। लगातार कई वर्षों से स्मार पत्र देने के बाद भी प्रमाण पत्र जमा नहीं करनेवाले ऐसे शिक्षकों के विरूद्ध शिक्षा विभाग ने सख्त रवैया अपनाया है।

विभाग ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को इन शिक्षकों को अंतिम चेतावनी देते हुए कहा कि अगर शीघ्र ही इन शिक्षकों का प्रमाण पत्र जमा नहीं किया गया तो ऐसे शिक्षकों की सेवा ही समाप्त कर दी जाएगी। विभाग के इस निर्देश के बाद पूरे विभाग में खलबली मच गयी है। विभागीय अधिकारी की मानें तो कई पंचायत नियोजन समिति के पास नियोजन संबंधी कोई फोल्डर ही जमा नहीं है।

2015 में शुरू हुई थी जांच

मालूम हो कि वर्ष 2015 में हाई कोर्ट के निर्देश पर ही जिले में नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच का जिम्मा निगरानी विभाग को दिया गया था। जिले में नियोजित शिक्षकों की संख्या करीब सात हजार है। वर्ष 2003 से लेकर 2015 तक जिले में हुए शिक्षक नियोजन में अनियमितता की शिकायत मिलने के बाद ही हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इसकी जांच निगरानी विभाग को सौंप दी। इसके बाद ही निगरानी विभाग ने पूरे बिहार में शिक्षक नियोजन के प्रमाण पत्रों की जांच करनी शुरू कर दी। वर्ष 2015 से ही इसकी जांच शुरू कर दी गयी। जिले के सभी नियोजन समिति इकाईयों को सभी नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्रों का फोल्डर निगरानी विभाग में जमा होने लगा।

90 शिक्षकों ने खुद ही दे दिया त्यागपत्र

जिले में निगरानी विभाग की जांच के बाद फर्जी प्रमाण पत्रों पर बहाल हुए शिक्षकों के बीच हड़कंप मच गया। हाई कोर्ट ने फर्जी प्रमाण पत्रों पर नौकरी पाने वालों को एक मौका देते हुए कहा कि अगर वे खुद त्यागपत्र दे देंगे तो उनके विरुद्ध कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जाएगी। न ही ली गयी वेतन की राशि वसूल की जाएगी। जांच में पकडऩे के बाद ऐसे फर्जी शिक्षकों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करते हुए ली गयी वेतन की राशि वसूल की जाएगी। इसके बाद ही जिले में फर्जी प्रमाण पत्रों पर बहाल हुए 90 शिक्षकों ने खुद ही त्याग पत्र देकर नौकरी छोड़ दी थी।

2016 में 32 पंचायत सचिव के विरुद्ध दर्ज हुआ था केस

लगातार स्मार पत्र देने के बाद भी प्रमाण पत्र जमा नहीं करने पर संबंधित नियोजन समिति के अध्यक्ष सह बीडीओ द्वारा जिले के 32 पंचायत सचिव के विरुद्ध मामला दर्ज कराया गया था। इसके बाद प्रमाण पत्र जमा करने में गति आयी थी। जिले में सात हजार शिक्षकों के नियोजन के विरुद्ध 6900 शिक्षकों का प्रमाण पत्र जमा हो गया है। जिसमें से करीब 6500 शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच निगरानी विभाग कर चुकी है।

पोर्टल पर अपलोड करने का दिया निर्देश

शिक्षा विभाग के पोर्टल पर नियोजित शिक्षकों को अपना प्रमाण पत्र अपलोड करने का निर्देश दिया गया है। जिले में निगरानी विभाग के पास करीब एक सौ शिक्षकों का प्रमाण पत्र कई स्मार पत्र देने के बाद भी जमा नहीं किया गया है। प्रमाण पत्र जमा नहीं करनेवाले के विरुद्ध विभाग कार्रवाई का मन बना लिया है।

सुनील कुमार, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, स्थापना

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