TMBU : कुलपति के प्रभार का दावा करने वाले मानविकी डीन का इस्तीफा

TMBU अक्टूबर में डॉ. बहादुर मिश्र ने मानविकी डीन पद से दिया था इस्तीफा अब हुआ स्वीकार। डॉ. केष्कर ठाकुर होंगे मानविकी के नए डीन। मैथिली के विभागाध्यक्ष बने मारवाड़ी कॉलेज के डॉ. शिव प्रसाद यादव। दोनों अधिसूचना कुलसचिव ने जारी की है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Wed, 02 Dec 2020 11:46 AM (IST) Updated:Wed, 02 Dec 2020 11:46 AM (IST)
TMBU : कुलपति के प्रभार का दावा करने वाले मानविकी डीन का इस्तीफा
तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) का प्रशासनिक भवन।

भागलपुर, जेएनएन। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) कुलपति का प्रभार लेने का दावा करने वाले पीजी हिंदी विभाग के वरीय शिक्षक प्रो. बहादुर मिश्र ने अपना इस्तीफा दे दिया है। हालांकि उन्होंने 15 अक्टूबर को ही अपना इस्तीफा तत्कालीन प्रभारी कुलपति प्रो. अजय कुमार सिंह को सौंपा था, लेकिन उन्होंने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया था। करीब डेढ़ माह बाद उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है। इसी आधार पर अब उनकी जगह पीजी मैथिली विभाग के शिक्षक डॉ. केष्कर ठाकुर को मानविकी का डीन बनाया गया है।

डॉ. शिव प्रसाद बने मैथिली के विभागाध्यक्ष

जबकि मारवाड़ी कॉलेज मैथिली विभाग के शिक्षक डॉ. शिव प्रसाद यादव को पीजी मैथिली विभागा का नया विभागाध्यक्ष बनाया गया है। दोनों अधिसूचना मंगलवार को कुलसचिव कर्नल अरुण कुमार सिंह ने जारी की है। मैथिली विभागाध्यक्ष की अधिसूचना में कहा गया है कि रोटेशन के आधार पर तीन वर्षों के लिए उन्हें विभागाध्यक्ष बनाया गया है। बता दें कि मानविकी के तत्कालीन डीन डॉ. बहादुर मिश्र ने कुलपति का प्रभार का दावा करते हुए राजभवन को शिकायत की थी। उन्होंने कहा था कि जिस समय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति को टीएमबीयू का प्रभार दिया गया था। उस वक्त ही गलत हुआ था। उन्हें ही प्रभार मिलना चाहिए था। पर राजभवन जो उन्‍हें अपेक्षा थी ऐसा कुछ हुआ नहीं। बहरहाल राज्‍य भवन ने बीएयू के कुलपति को प्रभार मुक्‍त कर टीएमबीयू के नए प्रभारी कुलपति का दायित्‍व टीएनबी के प्राचार्य डॉ संजय कुमार चौधरी को दे दिया है। 

इतने दिनों से नहीं लिया गया था संज्ञान

करीब डेढ़ माह पूर्व डॉ. मिश्र के इस्तीफे पर टीएमबीयू ने चुप्पी साध रखी थी। इसके बारे में किसी को कानोंकान खबर नहीं थी। जब डॉ. मिश्र ने कुलपति के प्रभार का दावा किया तो अचानक उनके इस्तीफे की जानकारी लोगों को लगी। इस संबंध में डॉ. मिश्र से बात करने का प्रयास किया गया है, किंतु बात नहीं हो सकी। उनका दावा था कि वे बिहार, झारखंड और बंगाल में सबसे वरीय प्रोफेसर हैं। बावजूद उनके हक को मारा गया था।

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