कैसे हो रहा पोलिंग बूथ से बैंक अकाउंट कैप्चर? वोट डालते ही कट जा रहे पैसे, अररिया में प्रशासन अलर्ट

बिहार के मुंगेर और पूर्णिया से जो मामले सामने आए हैं उससे अब हर जिला प्रशासन अलर्ट मोड पर है। पहले जहां बूथ कैप्चरिंग को लेकर बिहार में अलर्ट होता था। अब पोलिंग बूथ से बैंक अकाउंट कैप्चर के नए मामले को लेकर सावधानी बरती जा रही है।

By Shivam BajpaiEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 02:25 PM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 02:25 PM (IST)
कैसे हो रहा पोलिंग बूथ से बैंक अकाउंट कैप्चर? वोट डालते ही कट जा रहे पैसे, अररिया में प्रशासन अलर्ट
मुंगेर और पूर्णिया से सामने आए मामले।

संवाद सूत्र, मधेपुरा : पोलिंग बूथ से बैंक अकाउंट कैप्चरिंगबिहार में पहली बार पंचायत चुनाव को निष्पक्ष शांतिपूर्ण व भयमुक्त तरीके से संपन्न कराने के लिए चुनाव आयोग ने कई तकनीकों का उपयोग किया है। इसी योजना के तहत फर्जी मतदान को रोकने के लिए बायोमेट्रिक मशीन का उपयोग किया जा रहा है। ताकि असली वोटरों की पहचान कर उसे मताधिकार के उपयोग की अनुमति दी जाय। लेकिन चुनाव आयोग द्वारा सुरक्षा को लेकर की गई यह व्यवस्था साइबर अपराधियों के हाथों का हथियार बन गया है। अपराधी बायोमेट्रिक मशीन में स्टोर किए गए वोटरों के डाटा चुरा कर उसका उपयोग वोटरों के खातों में जमा राशि की अवैध रूप से निकासी के लिए करने लगा। ऐसे ही दो मामले मुंगेर तथा पूर्णिया में 29 अक्टूबर को हुए मतदान के दिन सामने आए। साइबर अपराधियों ने संबंधित वोटरों के खाते से लाखों रुपए निकाल लिए।

कैसे काम करता है बायोमेट्रिक डिवाइस

साइबर एक्सपर्ट राकेश कुमार सिंह ने बताया कि बायोमेट्रिक डिवाइस किसी व्यक्ति को उसकी बायोलाजिकल विषेशताओं के आधार पर पहचान करने वाली एक डिवाइस है। यह तीन स्टेज में काम करता है। सबसे पहले किसी व्यक्ति का बायोमेट्रिक डिवाइस पंजीयन की प्रक्रिया की जाती है। इसमें व्यक्ति के हाथ की ऊंगुलियों की इमेज ली जाती है तथा नाम और आवश्यक जानकारी को रजिस्टर किया जाता है। अब जो फिंगर प्रिंट स्कैनर है वह इस इमेज को यूनिक कोड में बदलता है और फिर इसे कंप्यूटर मे स्टोर कर दिया जाता है।

इसके बाद कंप्यूटर के साफ्टवेयर द्वारा ऊंगुलियां और लकीर से एक पेर्टन तैयार किया जाता है। इस पेटर्न के अंतर्गत प्रत्येक व्यक्ति का अपना अलग-अलग न्यूमेरिक कोड बन जाता है। अब जब कोई व्यक्ति स्कैनर पर अपनी ऊंगुली लगाएगा तो बायोमेट्रिक मशीन उस ऊंगुली को स्कैन करती है। तो यह फिंगर प्रिंट न्यूमेरिक कोड के कंप्यूटर में स्टोर न्यूमेरिक केड से मिलाती है। जब इसका मिलान हो जाता है तो अपकी उपस्थिति रजिस्टर हो जाती है।

साइबर अपराधी कैसे करता है रुपए की निकासी

जैसे ही बायोमेट्रिक मशीन ऊंगली को स्कैन कर कंप्यूटर में स्टोर करती है, तो संबंधित व्यक्तियों के सारे डिटेल बैंक खाता व आधार नंबर समेत उसमें कैद हो जाता है। इसी का लाभ उठाकर अपराधी बनाए गए साफ्टवेयर के द्वारा संबंधित व्यक्ति का सारा डिटेल प्राप्त कर लेता है और मनचाहे तरीके से बैंक खातों में जमा राशि की निकासी कर लेता है। निकासी केस के रूप में नहीं बल्कि डिजिटल मार्केटिंग के द्वारा किया जाता है।

'जिले में नौ चरणों में हुए मतदान के दौरान इस तरह की शिकायत कहीं से भी नहीं आई है। मुंगेर तथा पूर्णिया में हुई घटनाओं को देखते हुए प्रशान पूरी तरह से सर्तक है और अगले चरणों में होने वाले मतदान के दौरान इस पर ध्यान रखा जाएगा।'- मनोहर कुमार साहू, जिला पंचायती राज पदाधिकारी, मधेपुरा

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