मौसमी रोजगार के कारण स्कूल से दूर रहने वाले बच्चों के लिए बनेगा छात्रावास, खेती-किसानी के समय बड़ी संख्‍या में बच्‍चे नहीं जाते हैं स्‍कूल

मौसमी रोजगार के कारण अब बच्‍चे स्‍कूल से दूर नहीं हो सकेंगे। इसके लिए सभी स्‍कूलों में छात्रावास का निर्माण कराया जाएगा। इससे ग्रामीण इलाके के बच्‍चों को सबसे अधिक फायदा होगा। दरअसल खेती-किसानी व अन्‍य समय बच्‍चे सबसे अधिक...

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Thu, 09 Dec 2021 11:54 AM (IST) Updated:Thu, 09 Dec 2021 11:54 AM (IST)
मौसमी रोजगार के कारण स्कूल से दूर रहने वाले बच्चों के लिए बनेगा छात्रावास, खेती-किसानी के समय बड़ी संख्‍या में बच्‍चे नहीं जाते हैं स्‍कूल
मौसमी रोजगार के कारण अब बच्‍चे स्‍कूल से दूर नहीं हो सकेंगे।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। लक्ष्मण के माता- पिता ईंट भट्टा पर मजदूरी करते हैं। ऐसे में माता-पिता लक्ष्मण को अपने साथ ईंट भट्टे पर लेकर जाते हैं। माता-पिता काम करते हैं, तो लक्ष्मण ईंट भट्टा पर अपने हम उम्र बच्चों के साथ खेलकूद में समय व्यतीत कर देता है। रंजो देवी भी धान की कटनी के लिए जाते समय अपनी पुत्री संध्या को साथ ले जाती है। ऐसे बच्चों के अभिभावकों को अपने बच्चों के भविष्य की चिंता सताती है, लेकिन वे कहते हैं कि आखिर करें तो क्या करें।

- बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के स्टेट प्रोजेक्ट आफिसर ने दिए निर्देश

- सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारी को भेजा पत्र

कलेजे के टुकड़ों को अकेले छोड़ भी तो नहीं सकते हैं। बात सिर्फ लक्ष्मण और संध्या की नहीं है। वित्तीय वर्ष 2021-22 को लेकर कराए गए गृहवार सर्वे में जिला में ऐसे 53 हजार 939 बच्चे चिह्नित किए गए, जो कई माह तक विद्यालय से गायब रहते हैं। ऐसे बच्चों के लिए अब जिलों में मौसमी छात्रावास (गैर आवासीय) की व्यवस्था की गई है। बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के स्टेट प्रोजेक्ट आफिसर श्रीकांत शास्त्री ने सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्र लिख कर जिला में चिह्नित किए गए बच्चों के लिए मौसमी छात्रावास संचालित करने के निर्देश दिए गए हैं। ऐसे बच्चों को कार्यस्थल के पास के विद्यालय में नामांकित कराएं। जिस कक्षा में छात्र पढ़ता था, उसी कक्षा में नामांकन करा छात्रों को विशेष प्रशिक्षण दिलाने की व्यवस्था करें। मौसमी छात्रावास सह विशेष प्रशिक्षण केंद्र के लिए राज्य स्तर से 1618.14 लाख रुपये आवंटित किए गए हैं। बांका के लिए 23.04 और भागलपुर के लिए 3.9 लाख रुपये आवंटित किए गए हैं।

इन जिलों में इतने बच्चे का किया गया है चयन

बांका : 768

भागलपुर : 130

अररिया : 423

जमुई : 151

कटिहार : 2589

खगडिय़ा : 414

किशनगंज : 1740

लखीसराय : 227

मधेपुरा : 568

मुंगेर : 577

पूर्णिया : 398

सहरसा : 509

सुपौल : 206  

chat bot
आपका साथी