भागलपुर के अस्पताल का हाल : नवजात के इलाज को भटकते रहे पिता, डॉक्टरों ने बस टरकाया
भागलपुर के चिकित्सकों की लापरवाही के कारण एक बच्चे का इलाज नहीं हो सका। नवजात के इलाज के लिए एक पिता इधर से उधर भटकते रहे। डॉक्टर ने बस उसे टकराने का काम किया। इससे अस्पताल व्यवस्था की पोल खुल गई है।
जागरण सवांददाता, भागलपुर। जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय और अस्पताल (मायागंज) भागलपुर से सदर अस्पताल रेफर होने वाले मरीजों की जान अटकी हई है। क्योंकि सदर अस्पताल में डॉक्टर और संसाधन की कमी से प्राथमिक उपचार के बाद मरीजों को डॉक्टर मायागंज फिर से रेफर कर रहे हैं। दोनों अस्पताल के बीच दौड़ लगाने वाले मरीज की जान अटकी हुई है।
आज भी यहां एक मामला आया। मामले में अस्पताल प्रशासन और चिकित्सकों की लापरवाही देखी गई। मुंगेर से 9 वर्ष की गुड़िया का इलाज करने उसके पिता भागलपुर आए। उसके पिता ने बताया कि शुक्रवार को बेटी को लेकर मायागंज अस्पताल लेकर गए, वहां इमरजेन्सी के डॉक्टर ने उसे सदर अस्पताल रेफर कर दिए। सदर अस्पताल में सिटी स्केन करने के बाद डॉक्टर फिर मायागंज अस्पताल रेफर कर दिए। पिता यहां से वहां बाइक से बच्ची को लेकर भटकते रहे। लेकिन चिकित्सकों ने उसे सिर्फ टकराने का काम किया। इसी तरह सदर अस्पताल में करीब सात मरीजों को मायागंज अस्पताल रेफर किया गया है।
सदर अस्पताल की इमरजेंसी के डॉक्टर अभिषेक ने कहा कि बच्ची ने पांच दिनों खाना नहीं खाया था। उसे नीकु में भर्ती करने की जरूरत है। अस्पताल में इसकी कोई सुविधा नहीं है, इसका मायागंज में ही इलाज संभव है। वहीं सदर अस्पताल के प्रभारी डॉ एके मंडल ने कहा कि सदर अस्पताल में केवल छह डॉक्टर ही बचे हैं। कई कोरोना से संक्रमित हो गए हैं। मायागंज अस्पताल से तीन दिन पहले डॉक्टर की मांग की गई है, लेकिन डॉक्टर नहीं मिला। ऐसी हालत में सदर अस्पताल में गंभीर मरीजों का इलाज करना संभव नहीं है।
मायागंज अस्पताल में भी डॉक्टरों की कमी
मायागंज अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक डॉ पंकज कुमार ने कहा कि अस्पताल में करीब दो दर्जन डॉक्टर कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। करीब पांच सौ कोरोना मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। डॉक्टरों की कमी से फिर से डॉक्टरों की रोस्टर ड्यूटी बनाई जा रही है। कोरोना मरीजों के अलावा केवल यहां रोड एक्सीडेंट ओर सर्जरी के मरीजों को भर्ती किया जाता है। सदर अस्पताल में डॉक्टरों को भेजने के बारे में अस्पताल अधीक्षि ही बता सकते हैं, जो बीमार हैं।