हिंदू साम्राज्य दिनोत्सव: शिवाजी ने आज ही रखी थी हिन्दवी साम्राज्य की नींव, भागलपुर में RSS कार्यकर्ताओं ने मनाया उत्सव
Hindu Samrajya Day राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने आज भागलपुर में हिंदू साम्राज्य दिनोत्सव मनाया। यह कार्यक्रम वर्चुअल रूप में हुआ। इस कार्यक्रम का इंटरनेट मीडिया पर सीधा प्रसारण किया गया। कोराना काल में आरएसएस कुटुंब शाखा अपने-अपने घरों में लगा रही है।
भागलपुर, ऑनलाइन डेस्क। Hindu Samrajya Day: आज भागलपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक ने हिंदू सम्राज्य दिनोत्सव मनाया। ईश्वरनगर में आयोजित इस कार्यक्रम का इंटरनेट मीडिया पर इसका सीधा प्रसारण किया गया। इस अवसर पर भागलपुर जिला बौद्धिक शिक्षण प्रमुख हरविंद नारायण भारती ने सभी को संबोधित किया। कार्यक्रम में भागलपुर नगर शारीरिक शिक्षण प्रमुख रवि कुमार, नगर महाविद्यालय छात्र प्रमुख पृथ्वी कुमार उपस्थित थे। इस अवसर पर ईश्वरनगर संयुक्त विद्यार्थी शाखा के कार्यवाह भवेश कुमार ने व्यक्तिगत गीत गाए। अमृतवचन का वाचन दीनदयाल ने किया। प्रार्थना समीर ने कराया। कार्यक्रम में अरुण कुमार रजक, आदित्य, बिट्टू, ओंकर आदि उपस्थित थे। कोरोना काल होने के कारण इस कार्यक्रम का वर्चुअल रूप दिया गया था। स्वयंसेवक अपने-अपने घरों से इस कार्यक्रम में ऑनलइन भाग लिए।
हरविंद नारायण भारती ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में डॉ केशव बलिराम हेडगेवार और माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर 'गुरुजी' ने जो मार्ग दिखा दिया है, वही हमारे लिए पाथेय है। हम सभी उसी मार्ग में अग्रसर है। उन्होंने कहा वैश्विक महामारी की दूसरी लहर ने देश दुनिया को मर्माहत कर दिया। हमने अपने कई कार्यकर्ताओं को भी खोया है। उन्होंने उनके लिए संवेदना प्रकट की।
हिंदू साम्राज्य दिवस के बारे में कहा कि आज के दिन ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी को राजगढ़ के किले में छत्रपति शिवाजी का राज्यारोहण हुआ था। इसके साथ ही उन्होंने इतिहास की कई बातों का जिक्र करते हुए छत्रपति शिवाजी के जीवन काल पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि शिवाजी बचपन से ही वीर और तेजस्वी थे। भोजन के एक-एक निवाले में मां जीजाबाई के संस्कार उनके खून में समा गया था। राम-कृष्ण, अर्जुन-भीम की कथा और महाबली हनुमान की वीरता का बखान निरंतर उनको सुनाया जाता था।
उन्होंने एक कथा का जिक्र करते हुए कहा कि एक बार पिता के साथ शिवाजी को वीजापुर के दरबार में जाने का मौका मिला। जब शिवाजी सुल्तान के सामने पहुंचते हैं, तो उनके पिता ने शिवाजी को सुल्तान के सामने शीष झुकाकर प्रणाम करने को कहा। इस दौरान शिवाजी को लगता है कि ये पिताजी क्या कह रहे हैं। मां की प्रेरक सीख मानो शिवा से कह रही हो कि तुम्हें किसका भय है, तुम किससे डरते हो? यही प्रश्न शिवा के मन में बार-बार उस दरम्यान उठता है। इसके बाद उन्होंने ठान लिया कि मैं किसी भी कीमत पर सुल्तान के सामने सिर नहीं झुकाऊंगा। इसके बाद उनके पिता चिंतित हो उठे, उन्होंने पुनः शिवा से कहा कि सिर झुकाओ। वहीं, शिवाजी ने कहा कि मैं आपके और मां के सामने सिर झुका सकता हूं। लेकिन मैं सत्ता में बैठे अत्याचारी के सामने ऐसा नहीं कर सकता। इस दौरान आदिल शाह का मामला को संभाला। कहा कि क्यों बच्चे के पीछे पड़े हो, वो जब बड़ा हो जाएगा तो दरबार के सारे नियम कानून जान जाएगा। इस हठ के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा ही वीर शिवाजी के कई साहसिक कथाएं हमारे बीच हैं।
उन्होंने कहा कि शिवाजी इतने चरित्रवान थे कि अपने दुश्मन की बेटी, बहन और मां को भी इज्जत भरी निगाह से देखते थे। उन्हें भी मां कहकर बुलाते थे। अपने राज्य में हमेशा उन्होंने नारियों की रक्षा की। उनका सम्मान किया। विरोधियों के घरों की बेटी-बहन की भी खूब इज्जत की।
श्री भारती ने कहा कि शिवाजी गो भक्त थे। उन्होंने गाय को सम्मान दिलाने और इसकी रक्षा का अंत तक प्रयास किया। शिवाजी गाय को मां का रूप में देखते थे। शिवाजी ने भारत में हिन्दवी साम्राज्य की स्थापना की थी। आयोजित कार्यक्रम में जिले में संघ के कई कार्यकर्ता जुड़े। सभी ने संघ के मूल्यों व सिद्धांतों की रक्षा और उसका अनुसरण करने की प्रतिज्ञा लेते हुए हिन्दू साम्राज्य दिवस उत्सव की हार्दिक बधाई दी।
शिवाजी महाराज को किया याद
सुपौल के राघोपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने हिंदू साम्राज्य दिनोत्सव मनाया। कोरोना को लेकर इस कार्यक्रम को ऑनलाइन तरीके से मनाया गया। अध्यक्षता कर रहे निर्मल स्वर्णकार एवं अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। तत्पश्चात कार्यकर्ताओं ने शिवाजी महाराज के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित किए। प्रो. रामकुमार कर्ण ने कहा विषम परिस्थितियों में भी डट कर मुकाबला करने से लक्ष्य की प्राप्ति हो सकती है। शिवाजी महाराज के जीवन दर्शन से यह सीखने को मिलता है। प्रो. बैद्यनाथ प्रसाद भगत ने कहा कि सन 1674 ई. में पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी। इसके लिए उन्होंने मुगल एवं औरंगजेब से कई बार संघर्ष किया। सन 1674 ई. के ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी के दिन उनका राज्याभिषेक हुआ और वे छत्रपति बने। प्रशांत वर्मा ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपनी अनुशासित सेना एवं सुसंघठित प्रशासनिक इकाईयों की सहायता से एक योग एवं प्रगतिशील प्रशासन प्रदान किया। उन्होंने समर विद्या में अनेक नवाचार किये तथा छापामार युद्ध की नई शैली विकसित की। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आरएसएस के जिला व्यवस्था प्रमुख अमरजीत ने कहा हिन्दू साम्राज्य दीनोत्सव संघ के प्रमुख छह उत्सवों में से एक प्रमुख उत्सव है। मौके पर खंड कार्यवाह विनोदानंद, मुख्य शिक्षक राहुल निराला, बैजू स्वर्णकार, सुमन गुप्ता, मनोज मिश्रा, जितेन्द्र, आशीष, कन्हैया, संतोष, हिमांशु, अनीष, अंशुमन, अभिनव, अमितानन्द, विशाल, अमित आदि उपस्थित रहे।