भागलपुर की श्रेया की करें मदद, मूक बधिर है, पेटिंग और हस्तकला देखकर आप कहेंगे WOW

भागलपुर की श्रेया राउत को आपके मदद की जरुरत है। अगर श्रेया को गुरु मिल जाए तो वह की बोल उठेंगी कूची। इस मूक बधिर बच्ची को निजी स्कूल में नहीं मिला दाखिला। नाथनगर के सरकारी स्कूल में कक्षा चार में पढ़ती है श्रेया।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Mon, 27 Sep 2021 10:52 AM (IST) Updated:Mon, 27 Sep 2021 10:52 AM (IST)
भागलपुर की श्रेया की करें मदद, मूक बधिर है, पेटिंग और हस्तकला देखकर आप कहेंगे WOW
बिना गुरु के ही कई तरह की पेटिंग और हस्तकला में निपुण है श्रेया।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। जज्बा हो, जुनून हो तो हर चुनौती की चट्टान को हाथ से ही काटा जा सकता है। अपने आसपास देखिए तो पहाड़ को काटकर रास्ता बनाने वाले दशरथ मांझी मिल जाएंगे। इन्ही में से एक है, नाथनगर हारीटोला चंपानगर की श्रेया राउत। नाथनगर के ही सरकारी स्कूल में कक्षा चार में पढऩे वाली मूक-बधिर श्रेया ने बिना गुरु के पेटिंग बनाकर सभी का मन मोह लिया है।

दिव्यांग होने के नाते निजी स्कूल में दाखिला नहीं मिला। किसी तरह पिता संतोष कुमार राउत ने सरकारी स्कूल में दाखिला कराया। श्रेया अपनी कल्पना से पेटिंग, झूला मूर्ति, कलम स्टैंड व अन्य हस्तशिल्प कला बनाती है। जब उसकी इस कला के बारे में पिता को जानकारी हुई लेकिन उन्होंने इसका संज्ञान नहीं लिया। क्योंकि उनके सामने संकट इस बात का आखिर इस मूक-बधिर बच्ची को कौन कला सिखाने का गुरु मिलेगा।

चंपानगर में कपड़ा बुनने का काम करने वाले संतोष बताते हैं, श्रेया को कहीं से कोई प्रशिक्षण नहीं मिला है लेकिन इधर-उधर से खुद सीखा और पेटिंग करने लगी। बच्ची के मूक बधिर होने के कारण उसकी चिंता बनी रहती है। उन्होंने खादी ग्राम उद्योग में काम करने वाले उनके साथी ने श्रेया की कला को देखा तो उन्होंने प्रोत्साहित किया बच्ची को किसी अच्छे कला गुरु से प्रशिक्षण दिलाएं। कहते हैं, आज भी मुसीबतें अपार हैं लेकिन साथ देने वाला कोई दिख नहीं रहा है।

संसाधनों का अभाव होने के बावजूद कोई अच्छा गुरु मिल जाएं तो बच्ची के भविष्य में चार चांद लग जाएगा। तब बच्ची के आत्मनिर्भर बनने का भागीरथी प्रयास साक्षात हकीकत में बदलेगी। संतोष कहते हैं, मोहल्ले के कुछ लोगों ने भागलपुर के मूक-बधिर स्कूल में दाखिला दिलाने की बात कही। लेकिन वहां की खुद इतनी हालत खस्ता है वहां बच्चों की देखभाल क्या होगी। इसलिए बच्ची को वहां दाखिला नहीं दिलाया। श्रेया स्कूल में मेधावी छात्रा है, मूक-बधिर होने के कारण वह कापी में लिखकर ही अपनी पढ़ाई करती है। स्कूल में मेधावी बच्चों में शुमार है।

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