मुंगेर की स्वास्थ्य व्यवस्था: जब विशेषज्ञ ही नहीं, तो कैसे स्वस्थ्य होंगे मरीज, करना पड़ता है रेफर

मुंगेर की स्वास्थ्य व्यवस्था- 06 सौ के करीब हर दिन ओपीडी में होता है इलाज। 80 से 90 मरीज इंडोर के सभी विभाग में रहते हैं भर्ती। 05 से छह विभाग में विशेषज्ञ की नहीं हो सकी तैनाती। 115 चिकित्सक हैं जिले के स्वास्थ्य केंद्रों में तैनात।

By Shivam BajpaiEdited By: Publish:Tue, 16 Nov 2021 09:58 AM (IST) Updated:Tue, 16 Nov 2021 09:58 AM (IST)
मुंगेर की स्वास्थ्य व्यवस्था: जब विशेषज्ञ ही नहीं, तो कैसे स्वस्थ्य होंगे मरीज, करना पड़ता है रेफर
मुंगेर में हर रोज 600 से ज्यादा मरीज पहुंचते हैं अस्पताल।

संवाद सूत्र, मुंगेर : मुंगेर की स्वास्थ्य व्यवस्था पर नजर डालें तो जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत ठीक नहीं है। सदर, अनुमंडल और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों की है। जिले की आबादी 18 लाख के आसपास है। ऐसे में सदर अस्पताल पर ही पूरे जिले का भार है। अनुमंडलीय अस्पताल रहने के बाद भी मरीज इलाज कराने यहीं पहुंचते हैं। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले में स्वास्थ्य सेवा कितनी बदहाली के दौर से गुजर रहा है। सदर अस्पताल के कई विभाग बिना डाक्टर के संचालित है।

स्वास्थ्य कर्मियों की भारी कमी के कारण कई विभागों में डाक्टर को ड्रेसर से लेकर कंपाउडर तक का कमा करना पड़ता है। सदर अस्पताल में चिकित्सकों की कमी के कारण गंभीर या हादसे के शिकार ज्यादातर मरीजों को रेफर कर दिया जाता है। यहां चर्म रोग, ईएनटी, सर्जन, नेफ्रो विशेषज्ञ, न्यूरो सर्जन का पद वर्षों से खाली है, ऐसे में ज्यादातर मरीजों को रेफर कर दिया जाता है। अस्पताल में हाल के महीनों में आक्सीजन से लेकर बेड तक को व्यवस्थित तो कर दिया गया है, लेकिन, चिकित्सकों की कमी को दूर नहीं किया गया है। वर्तमान में चिकित्सकों के सृजत 154 पद में से 39 पद खाली है। शिशु रोग, फिजिशियन सहित कई विभाग के चिकित्सक हैं। ऐसे में बेहतर इलाज की परिकल्पना संभव नहीं है।

प्रखंड की स्वास्थ्य सुविधाएं और है बेहाल

टेटिया बंबर अस्पताल की हालत भी काफी दयनीय है। जगह के अभाव में मरीजों को फर्श पर लिटाकर इलाज किया जाता है। अस्पताल का भवन का निर्माण नहीं होने से अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के पुराने भवन में ही अस्पताल चलाया जा रहा है। अस्पताल में छह चिकित्सक, 12 एएनएम और ड्रेसर का पद रिक्त है। चिकित्सकों के पद रिक्त होने से मरीजों को परेशान होना पड़ता है। इसी तरह बरियापुर, खडग़पुर, तारापुर, असरगंज, धरहरा प्रखंडों में भी चिकित्सकों की कमी से मरीजों का हाल बेहाल है। मरीज के स्वजनों का कहना है कि स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर रहेगा तो मरीजों को परेशान नहीं होना पड़ेगा।

कई अवकाश पर तो कुछ ने दिया इस्तीफा

सदर अस्पताल में रोस्टर चार्ट ड्यूटी में ऐसे चिकित्सकों की ड्यूटी लगाई जा रही जिसमें कुछ ने इस्तीफा दिया है तो कुछ लंबे अवकाश पर हैं। अस्पताल पहुंचने वाले मरीज हर दिन रोस्टर में लगे संबंधित चिकित्सक का इंतजार करते हैं। लंबे प्रतीक्षा के बाद मरीज लौट जा रहे हैं। अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही का खामियाजा हर दिन मरीजों को उठाना पड़ रहा है। कई मरीजों ने इसकी शिकायत भी की फिर भी रोस्टर ड्यूटी चार्ट को नहीं बदला गया है।

'चिकित्सकों का पद खाली है, इसकी सूचना राज्य स्वास्थ्य समिति को दी गई है। कुछ चिकित्सकों ने काम छोड़ा है। चिकित्सकों की नियुक्ति के लिए आश्वासन मिला है। जल्द चिकित्सकों की पदस्थापना की उम्मीद है।'-डा. हरेंद्र कुमार आलोक, सिविल सर्जन।

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