बिहार के इस जिले में कुपोषण का बरप रहा कहर, 6000 बच्चे हुए शिकार

मुंगेर जिले में कुपोषित बच्चों को खोजने की रफ्तार धीमा स्वास्थ्य विभाग की दिख रही कमी। हर बच्चों के देखभाल के लिए सदर अस्पताल में खुला है पोषण पुनर्वास केंद्र। छह हजार में 1294 बच्चों ने कुपोषण को हराया।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 11:18 AM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 11:18 AM (IST)
बिहार के इस जिले में कुपोषण का बरप रहा कहर, 6000 बच्चे हुए शिकार
15 दिन एनआरसी में रखा जाता है कुपोषित बच्चे को।

मुंगेर [हैदर अली]। जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या छह हजार है। इसमें से लगभग साढ़े वर्ष में 1294 कुपोषण को हरा चुके हैं। वहीं, 4706 कुपोषित बच्चों को स्वास्थ्य विभाग अब तक नहीं खोज सकी है। विभाग की लापरवाही की वजह से अभी भी ऐसे बच्चे कुपोषण से जंग लड़ रहे हैं। विभाग का रवैया यही रहा तो जिले से कुपोषण का खात्मा जल्दी संभव नहीं है। दरअसल, सदर अस्पताल में कुपोषित बच्चों की बेहतर देखभाल के लिए सदर अस्पताल में पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) खोला गया है। इसका मकसद कुपोषित बच्चों को बेहतर चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध करा कर उन्हें कुपोषण के दायरे से बाहर निकालना है। वर्ष 2018 से कुपोषित बच्चों को यहां इलाज शुरू हुआ। अभी तक जिस अनुपात में बच्चों का इलाज होना चाहिए उस अनुसार बच्चों को भर्ती नहीं किया जा सका। यह कहना गलत नहीं होगा कि स्वास्थ्य विभाग कुपोषित बच्चों की बेहतर देखभाल को लेकर सजग नही है।

एक बच्चे को 15 दिन रखा जाता है, माताओं को मिलती है राशि

सदर अस्पताल में पोषण पुनर्वास केंद्र कुपोषित बच्चो के लिए बीस बेड उपलब्ध हैं। इसमें ज्यादातर बेड खाली रहते हैं। एनआरसी में एक कुपोषित बच्चे को उचित देखभाल के लिए 15 दिनों तक रखा जाता है। बच्चे जब स्वास्थ्य होकर घर जाने लगते है मां के खाता में बच्चों की देखभाल के लिए प्रतिदिन 257 रुपये की दर से 15 दिन का 3855 रुपये का भुगतान होता है। एनआरसी तक कुपोषित बच्चों को पहुंचाने वाली आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका को भी सौ रुपये प्रोत्साहन राशि दिए जाते हैं। सरकार की ओर से इस तरह की सुविधाएं देने के बाद भी केंद्र तक कुपोषण के शिकार बच्चे नहीं पहुंच पा रहे हैं।

जिले के बरियारपुर निवासी पायल कुमारी का छह माह का बेटा अभिनव काफी कमजोर था। बच्चे का वजन ढ़ाई किलोग्राम था। बच्चे को एनआरसी में भर्ती कराया गया। देखभाल के लिए मां भी एनआरसी केंद्र में बच्चे के साथ रही। उचित देखभाल होने के बाद बच्चे का वजह 10 दिनों में लगभग ड़ेढ किलोग्राम बढ़ गया। अभिनव अब पूरी तरह स्वस्थ्य है। मां के साथ बच्चा अपने घर गया।

सदर प्रखंड स्थित नवागढ़ी के कृष्णदेव प्रसाद का बेटे अभिजीत का उम्र 16 माह है। बच्चे का वजन तीन किलोग्राम था। बच्चे में कुपोषण का लक्षण था। अभिजीत को एनआरसी में भर्ती कराया गया। 10 दिन से बच्चे का वजन लगभग एक किलोग्राम बढ़ गया। स्वास्थ्य और वजन पहले से बेहतर हो गया है। एनआरसी केंद्र में 15 दिन रहने के बाद बच्चे को डिस्चार्ज किया गया।

पुनर्वास केंद्र में आने वाले बच्चों का उचित देखभाल किया जाता है। बच्चे के मां और स्वजन को भी कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य बेहतर करने के लिए जानकारी भी दी जाती है। तीन वर्षों के दौरान केंद्र पहुंचने वाले कुपोषित बच्चों की संख्या काफी कम है। स्वास्थ्य विभाग को कुपोषित बच्चों के बेहतर देखभाल के लिए और सजग होने की जरूरत है। -विकास कुमार, नोडल पदाधिकारी, एनआरसी।

कब कितने कुपोषित बच्चे भर्ती हुए

-2018- 646

-2019- 430

-2020- 117

-2021 - 101 (26 जुलाई तक)

-नोट-छह हजार बच्चे में 1294 बच्चों को भर्ती हुए।

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