बांका में विकसित हो रहा ग्रेजिंग लैंड, बकरी पालन के लिए इस तरह बंजर भूमि पर किया जा रहा तैयार
बांका में अब बंजर भूमि पर हरियाली दिखेगी। इसके लिए जिले में ग्रेङ्क्षजग लैंड विकसित किये जा रहे हैं। ग्रेजिंग लैंड में सालों भर चारा उपलब्ध होने से पशुपालकों को किसी भी मौसम में चारा प्रबंधन में परेशानी नहीं होगी। इसके लिए केविके काम कर रहा है।
जागरण संवाददाता, बांका। पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए जिले में ग्रेङ्क्षजग लैंड विकसित किये जा रहे हैं। जहां खासकर बकरी पालन किया जा रहा है।
इसके लिए किसानों व पशुपालकों को कृषि विज्ञान केंद्र तकनीकी सहयोग दे रहा है। इससे ग्रेङ्क्षजग लैंड में सालों भर चारा उपलब्ध होने से पशुपालकों को किसी भी मौसम में चारा प्रबंधन में परेशानी नहीं होगी। पशुपालन के क्षेत्र में इस तकनीक को अपना कर यहां के पशुपालक समृद्ध हो रहे है। जिससे अब सबौर कृषि विश्वविद्यालय ग्रेजिंग लैंड को अन्य जिले में भी विकसित करने की तैयारी में है।
अटारी कोलकाता के प्रधान वैज्ञानिक डॉ अभिजीत हल्दर के मुताबिक पशुपालन और पशुओं के हरे चारे के लिए ग्रेङ्क्षजग लैंड बेहतर विकल्प है। जो रोटेशनल फार्मिंग सिस्टम पर आधारित है। जिससे पशुओं को खासकर भेंड़ व बकरियों को सालों भर हरा चारा मिल सकता है। ग्रेजिंग लैंड को बगीचे और बंजर भूमि में भी विकसित किया जा सकता है। जिससे पारंपरिक फसलों की खेती भी प्रभावित नहीं होगी। प्रयोग के तौर पर विकसित किये जा रहे ग्रेङ्क्षजग लैंड से पशुपालन को काफी बढ़ावा मिलेगा। इसके लिए अन्य पशुपालकों को भी ग्रेजिंग लैंड तैयार करने के लिए जागरूक किया जाएगा।
सालाना दो लाख से अधिक की कर रहे कमाई
अमरपुर के पशुपालक हरेंद्र कुमार ने 2012 में एक बकरी से पशुपालन की शुरुआत की थी। इसके बाद कृषि विज्ञान केंद्र के तकनीकी सहयोग से अपने आम के बगीचे में ग्रेजिंग लैंड तैयार कर बकरी फार्म को विकसित किया। अभी उनके पास करीब 50 बकरे व बकरियां है। जिससे उन्हें सालाना दो लाख से अधिक की कमाई हो रही है। वे हर 10 महीने में तैयार करीब 20 बकरा बेचते हैं। एक बकरे की कीमत छह से सात हजार रुपए होते हैं। उन्होंने बबांका में विकसित हो रहा ग्रेजिंग लैंड
हर मौसम में कर सकते हैं हरे चारे का प्रबंधन
ग्रेङ्क्षजग लैंड के जरिए किसान व पशुपालक हर मौसम में हरे चारे का प्रबंधन कर सकते हैं। इसके लिए बगीचे व बंजर भूमि में हरे चारे के तौर पर मकई, बहु कटाई ज्वार, लोबिया, रैसबीन, शंकर नेपियर, पैराघास, व जई लगा सकते हैं। जिससे पशुओं को सालों भर हरा चारा मिलने से पशुपालन को नया आयाम मिलेगा। इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से ग्रेजिंग लैंड विकसित किए जा रहे हैं।
डॉ धर्मेंद्र कुमार, कृषि वैज्ञानिक, केविके