ज्‍वेलरी की खरीदारी कर रहे हैं संभलिए, भागलपुर के 80 फीसद के पास हॉलमार्क लाइसेंस नहीं

अब जेवरत पर हॉलमार्क अनिवार्य कर दिया गया है। सरकार के नए नियम के बाद सराफा कारोबारियों में हड़कंप। आनन-फानन में लाइसेंस के लिए कर रहे ऑनलाइन आवेदन अब प्रशासन के पाले में गेंद। भागलपुर के ज्‍यादातर दुकानदारों के पास हॉलमार्क लाइसेंस नहीं।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 03:02 PM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 03:02 PM (IST)
ज्‍वेलरी की खरीदारी कर रहे हैं संभलिए, भागलपुर के 80 फीसद के पास हॉलमार्क लाइसेंस नहीं
20 फीसद सराफा कारोबारियों ने भागलपुर जिले में ले रखा है लाइसेंस

जागरण संवाददाता, भागलपुर। सरकार की ओर से सभी तरह के सोने के जेवरत पर हॉलमार्क अनिवार्य कर दिया गया है। मंगलवार से ही यह नियम लागू हो गए हैं। लेकिन भागलपुर सराफा बाजार में अभी भी लगभग 80 फीसद स्वर्ण कारोबारियों के पास हॉलमार्क का लाइसेंस नहीं है, मतलब 20 फीसद दुकानदार ही हॉलमार्क के जेवरात बेच रहे हैं। सरकार के नए नियम के बाद सराफा कारोबारियों में हड़कंप मचा हुआ है। आनन-फानन में लाइसेंस के लिए आवेदन कर रहे हैं। अब बिना हॉलमार्क के जेवरात बेचने पर कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन की भी इस पर नजर है। मंगलवार को सराफा बाजार बंद होने के कारण पूरे दिन कारोबारी लाइसेंस और नए नियमों के बारे में जानकारी लेते रहे। दरअसल, भागलपुर में छोटे-बड़े मिलाकर 350 दुकानें हैं, इसमें से 250 कारीगर और छोटे दुकानदार हैं। भागलपुर में जेवरों की डिजाइन के लिए 10 कारखाने भी हैं। यहां से मुंगेर, खगडि़या, बांका के अलावा झारखंड के गोड्डा, साहिबगंज, पाकुड़ और दुमका से दुकानदार और ग्राहक पहुंचते हैं। जिला स्वर्णकार संघ के उप सचिव अनिल कड़ेल ने बताया कि जिले में 15 से 20 फीसद ही दुकानदारों के पास ही लाइसेंस है। कई कारोबारी ने आवेदन दिया है। अब हर किसी को हॉलमार्क मुहर लगी जेवरात को बेच सकते हैं।

एक सेंटर पर लगती है हॉलमार्क की मुहर

भागलपुर में जेवरातों पर मुहर लगाने के लिए एक ही सेंटर हैं। लाइसेंसी कारोबारी सोने के जेवरात को मुहर लगाकर ग्राहकों को बेचते हैं। हॉलमार्क का लाइसेंस पांच वर्ष तक रखने के लिए साढ़े 11 हजार देना पड़ता है। लाइसेंस बनाने का काम पटना में होता है। ऑनलाइन आवेदन देने के दो से तीन दिन का समय लाइसेंस बनने में लगता है।

घर में बिना हॉलमार्क के जेवर हैं तो परेशान न रहे

आपके घरों में बिना हॉलमार्क के जेवर हैं तो किसी तरह से परेशान होने की जरूरत नहीं है। गोल्ड हॉलमार्किंग के नियम के लागू होने असर घर पर रखे सोने की जेवरात पर नहीं पड़ेगा। घर में सोना आसानी से रख सकते हैं। पुरानी ज्वेलरी बिक्री करने पर भी कोई असर नहीं होगा। आप पहले की ही तरह उसे ज्वेलर्स के यहां बेच सकते हैं। यह नियम सिर्फ स्वर्ण दुकानदारों के लिए है। वह बिना हॉलमार्क के सोना नहीं बेच पाएंगे।

हॉलमार्क के फायदे

-हॉलमार्किंग ग्राहकों के लिए काफी फायदेमंद है। हॉलमार्क लगी जेवरात की खरीदारी करते हैं और जब आप बेचने जाएंगे तो किसी तरह की डेप्रिसिएशन कॉस्ट नहीं काटी जाएगी।

-सोने की पूरी-पूरी कीमत मिलेगी। इसके अलावा आप जो सोना खरीदेंगे उसकी गुणवत्ता की पूरी गारंटी रहेगी। ग्राहक ठगे नहीं जाएंगे।

-सर्टिफिकेशन ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड की तरफ से लाइसेंस दिया जाता है। इसकी देखरेख भी ब्यूरो के पदाधिकारी करते हैं।

-कई ज्वेलर्स बिना हॉलमार्क के गहने भी बेचते हैं, जिनके असली या नकली होने की पहचान करने में ग्राहकों को परेशानी होती है।

-नए नियम से अब सभी को शुद्ध् और गारंटी वाले जेवरात मिल जाएंगे। ग्राहकों को इससे फायदा होगा।

सराफा का दर

-18 कैरेट 39000

-22 कैरेट 47100

-24 कैरेट-50100

हॉलमार्क पर एक नजर

-20 फीसद सराफा कारोबारियों ने जिले में ले रखा है लाइसेंस

-05 वर्ष तक का लाइसेंस लेने में 11,500 आता है खर्च

-350 के आसपास दुकानें है सराफा की भागलपुर शहर में

-भागलपुर में एक सेंटर पर जेवरात पर लगता है हॉलमॉर्क की मुहर

-ज्यादातर 22 कैरेट सोने का बनाया जाता है जेवरात

-24 कैरेट सोना ज्यादातर बिस्कुट बनाने में होता है इस्तेमाल

-18 कैरेट सोने से बनी जेवरात की डिमांड है कम

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