कूड़े के ढेर की जगह चमकती गलियां, सड़कों पर लगाए पौधे, जानिए खगडि़या के इस 'स्वच्छता दूत' को
खगडि़या की जो गलियां दो से तीन साल पहले से कूड़े से पटे रहते थे वे आज चकाचक हैं। उन सड़कों के किनारे पौधे भी लगाए जा रहे हैं। इस कार्य को कर रहे हैं वहां के स्वच्छता दूत...!
जागरण संवाददाता, खगडिय़ा। फरकिया में एक से बढ़कर एक अभिनव प्रयोग हो रहे हैं। फरकिया की धरती स्वच्छता के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण-संवर्धन का संदेश दे रहा है। फरकिया मिशन पिछले आठ सालों से लगातार गांव-गांव, गली-गली में साफ-सफाई अभियान चलाते हुए स्वच्छता का संदेश दे रहा है। उक्त संस्था द्वारा स्वच्छता को लेकर लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है।
उसकी ओर से पौधारोपण भी किया जा रहा है। आठ सालों में मिशन की ओर से अलौली, रामपुर अलौली, हथवन, रौन, अंबा, थरुआ टोला, मधुपुर, इचरुआ, कामाथाना, तिलक नगर आदि में लगातार साफ-सफाई अभियान चलाए जा रहे हैं। इस दौरान खाली जगहों पर पौधारोपण भी किया गया है। पर्यावरण के अनुकूल पौधे लगाए जा रहे हैं। कोरोना काल में मिशन के कार्यकर्ता तुलसी के पौधे भी बड़ी संख्या में लगा रहे हैं।
जिन सड़कों से होकर कोई गुजरना नहीं चाहते थे उसे किया चकाचक
एक माह पूर्व अभियान के छत्री यादव के नेतृत्व में नगर पंचायत अलौली की दो ऐसी सड़कों को चकाचक किया गया, जो मल-मूत्र से भरा पड़ा था। उधर से गुजरने की किसी की हिम्मत नहीं होती थी। ये दोनों ङ्क्षलक सड़क नाला रोड और पीसीसी रोड के नाम से विख्यात है। जो अलौली उत्तरी टोला, मध्य टोला, विश्वकर्मा नगर टोल, नवटोलिया, मुसहरी, रामपुर अलौली के लोगों को अस्पताल रोड से जोड़ती है।
मिशन की ओर से इन दोनों सड़कों की साफ-सफाई की गई। किनारे-किनारे दो सौ के आसपास पौधे भी लगाए गए। जिसमें 50 के आसपास पौधे नष्ट हो गए हैं। आज इन सड़कों से होकर लोग आराम से आते-जाते हैं।
मिशन के इस अभियान में संस्थापक अध्यक्ष किरणदेव यादव, दिनेश साह, बालेश्वर पासवान, भगलु महतो, महेंद्र यादव, इंदु भूषण पोद्दार, सरिता कुमारी, रेखा देवी, रंजू देवी, दानवीय यादव, कर्मवीर यादव, नागे पहलवान आदि महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
क्या कहते हैं मिशन के सदस्य
मिशन के महासचिव दिनेश साह और संयुक्त सचिव रंजू कुमारी कहते हैं-हमलोगों को कहीं से फंङ्क्षडग नहीं मिलती है। अपने साधन-संसाधन के बल पर वे यह अभियान चला रहे हैं। आज भी ग्रामीण क्षेत्र में साफ-सफाई को लेकर एक प्रकार की उदासीनता है। हमलोग इस उदासीनता को तोड़ रहे हैं। लोग जागरूक हुए हैं। पहले की अपेक्षा स्थिति सुधरी है। आप सरकार के भरोसे सबकुछ नहीं छोड़ सकते हैं।