गांधी के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प

तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के गांधी विचार विभाग की मेजबानी में आयोजित तीन दिवसीय भारतीय गाधी अध्ययन समिति का 42वां वार्षिक राष्ट्रीय अधिवेशन बुधवार को संपन्न हो गया।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 21 Nov 2019 02:34 AM (IST) Updated:Thu, 21 Nov 2019 06:14 AM (IST)
गांधी के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प
गांधी के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प

भागलपुर। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के गांधी विचार विभाग की मेजबानी में आयोजित तीन दिवसीय भारतीय गाधी अध्ययन समिति का 42वां वार्षिक राष्ट्रीय अधिवेशन बुधवार को संपन्न हो गया। देश के कोने कोने से आए विद्वतजनों ने अधिवेशन के विभिन्न सत्रों के गांधी और लैंगिक समानता पर विचार मंथन किया। अधिवेशन में छन कर आए विचारों को जनजन तक पहुंचाने का समिति ने संकल्प लिया। प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र दिया गया।

अधिवेशन की हुई समीक्षा व मूल्यांकन

समापन के पूर्व आइएसजीएस के मूल्याकन सत्र में एएन सिन्हा और पूर्व निदेशक डॉ. डीएम दिवाकर ने अधिवेशन की समीक्षा व मूल्याकन किया गया। डॉ. डीएम दिवाकर ने कहा कि समाज और शिक्षा में विकृतिया आई हैं। हम अपने युवाओं को कारखाने के लिए तैयार कर रहे हैं। उद्योगवाद से प्रदूषण के खतरे बढ़े हैं। लैंगिक समता लाने के लिए आर्थिक समता भी जरूरी है। मुख्य अतिथि मुंगेर विश्वविद्यालय की प्रतिकुलपति डॉ. कुसुम कुमारी ने कहा कि महात्मा गाधी बड़े प्रबंधक थे। उन्होंने प्रेम के जरिये समाजिक परिवर्तन का रास्ता दिखाया। महिलाओं को आगे लाया और उन्हें सम्मान दिया। वे यह मानते थे कि जब महिलाएं आत्मनिर्भर होंगी, तभी वे अपनी आवाज उठा सकेंगी। अध्यक्षता कर रहीं भारतीय गाधी अध्ययन समिति की अध्यक्ष डॉ. शीला राय ने किताब के साथ ही सामाजिक अनुभवों से भी गांधी को समझने की बात की। कहा, महिला स्मिता के लिए भारत जितना संघर्षशील पश्चिम के देश नहीं रहे। इसके पूर्व अधिवेशन के आयोजन सचिव व पीजी गाधी विचार विभाग के अध्यक्ष डॉ. विजय कुमार ने अतिथियों का स्वागत अंग वस्त्रम भेंट कर किया।

मंच संचालन किशन कालजयी कर रहे थे। धन्यवाद ज्ञापन नरेन नवनीत ने किया। आइएसजीएस के महासचिव डॉ. एससी जेना ने अधिवेशन से संबंधित प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। मुख्य रैपोर्टियर की भूमिका बीएनएमयू, मधेपुरा के जनसंपर्क पदाधिकारी डॉ. सुधाशु शेखर ने निभाई।

इस अवसर पर टीएमबीयू के डीएसडब्ल्यू डॉ. योगेंद्र, पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. परमानंद सिंह, डॉ. रीता झा, डॉ. उमेश प्रसाद नीरज, डॉ. अमित रंजन, गौतम कुमार, मनोज कुमार, डॉ. दीपक कुमार दिनकर, नरेन नवनीत, प्रकाश चन्द्र गुप्ता, डॉ. नीलिमा कुमारी, डॉ. अर्चना कुमारी साह, गौरव कुमार सिंह, सुनील कुमार, अभिनन्दन यादव, मुकेश मंडल, चंदन कुमार कर्ण, राजीव कुमार, पंकज कुमार, निकिता कुमारी, शारदा चौहान, शिल्पी कुमारी, वर्षा कुमारी, रीना, कंचन, सनोज कुमार चौधरी, पुष्पम, मुकुल, अभिषेक, जयकरण सत्यार्थी आदि उपस्थित थे।

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युवाओं को धैर्य रखने की जरूरत

इसके पूर्व प्रथम सत्र में युवा समागम हुआ। इसमें बड़ी संख्या में छात्रों और युवाओं की भागीदारी रही। इस अवसर पर शोधार्थी रोशन सिंह ने कहा कि आज सफलता पाने के लिए अतिशीघ्र की होड़ चल पड़ी है। हम युवाओं को धैर्य रखने की जरूरत है। गाधी विचार विभाग के प्रथम बैच के पूर्ववर्ती छात्र डॉ. विनोद कुमार राय ने कहा कि गांधी ने सर्वोदय का आदर्श पर प्रकाश डाला।

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जर्मनी के डेलीगेट ने कहा गांधी के विचार दुनिया के लिए अनुकरणीय

युवा समागम में जर्मनी से आए दो सदस्यीय डेलीगेट बेंजैमिन ग्रेसबर्ट और इमायली दमण भी शामिल हुए। दोनों जर्मनी के हिल्डसेम प्रांत के रहने वाले हैं। दैनिक जागरण से विशेष बातचीत बेंजैमिन ने कहा कि जर्मनी में भी गांधी के विचारों की पढ़ाई होती है। वहां बताया जाता है कि महात्मा गांधी ने भारत को अंग्रेजों के अत्याचार से आजादी दिलाई और विश्व को अहिसा और शांति का संदेश दिया। गांधी और हिटलर दोनों समकालिक थे जर्मनी में इनके प्रति क्या राय है पूछने पर दोनों ने बताया कि हिटलर के चलते जर्मनी ने अपने कई लोग खो दिया। वह हिसा का एक दौर था। गांधी का रास्ता हमें जीने का सही रास्ता दिखाता है। यह पूरी दुनिया के लिए अनुकरणीय है।

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पत्र प्रस्तुति के लिए मिला अवार्ड

प्रो. सोहन राजलक्ष्मी देवी तातेर रिसर्च पेपर अवार्ड के तहत तीन शोधार्थियों को पुरस्कृत किया गया। टीएमबीयू के पीजी अंबेडकर विचार की शोधार्थी खुशबू कुमारी प्रथम, राजनीति विज्ञान की शोधार्थी मेघा कुमारी द्वितीय और गांधी विचार के शोधार्थी राजीव कुमार रंजन तृतीय स्थान पर रहे।

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