आज भी यहां घर-घर पूजे जाते हैं धन्ना और माधव, अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ फूंका था बिगुल

अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बिगुल फूंकने वाले खगडिय़ा के धन्ना और माधव लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। 3 अगस्त 1942 को धन्ना और माधव अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लेने के लिए निकल पड़े थे। इस दौरान उन्हें गोलियों से भून डाला गया था।

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Mon, 25 Jan 2021 03:17 PM (IST) Updated:Mon, 25 Jan 2021 03:17 PM (IST)
आज भी यहां घर-घर पूजे जाते हैं धन्ना और माधव, अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ फूंका था बिगुल
खगडिय़ा के धन्ना और माधव लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं।

 जागरण संवाददाता, खगडिय़ा। गणतंत्र दिवस कल है। यह देश की आजादी के लिए अपने प्राणों को न्योछावर करने वालों को याद करने का दिन भी है। स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में खगडिय़ा का नाम भी स्वर्णाक्षरों में अंकित है। देश की आजादी के लिए अपने प्राणों को न्योछावर करने वाले वीर सपूत शहीद धन्ना और माधव को देश शत-शत नमन करता है। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए धन्ना और माधव ने अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया। उनका बलिदान इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है।

आज भी लोगों में प्रफुल्लित हो उठती है देशभक्ति की धारा

आज भी उनकी वीर गाथा को सुनकर लोगों में देशभक्ति की धारा प्रफुल्लित हो उठती है। अगस्त क्रांति के धन्ना और माधव अमर नायक हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने जब अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा दिया, तो 13 अगस्त 1942 को धन्ना और माधव अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लेने के लिए निकल पड़े। क्रांतिकारियों की टोली मानसी क्षेत्र के विभिन्न स्थानों से कूच कर रहे थे। हाथों में तिरंगा लेकर अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा बुलंद कर रहे थे। उस समय अंग्रेजों की टोली मानसी रेलवे अधिकारी विश्रामालय के निकट डेरा डाले हुए था।

दोनों माता-पिता के थे इकलौते संतान

धन्ना-माधव हाथों में तिरंगा लिए रेलवे अधिकारी विश्रामालय की ओर बढ़े। लेकिन अंग्रेज सिपाहियों ने गोलियों की बौछार कर दी। धन्ना और माधव अंग्रेजों से लोहा लेते हुए देश की आजादी के लिए बलिदान हो गए। लेकिन तिरंगा को झुकने नहीं दिया। गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मानसी स्थित शहीद स्थल पर उनकी शहादत को सलाम किया जाता है। मालूम हो कि धन्ना खुटिया पंचायत के बजरंग टोला स्थित शिवलाल महतो के पुत्र थे। माधव पश्चिमी ठाठा पंचायत अंतर्गत बख्तियारपुर गांव स्थित सूर्यनारायण ङ्क्षसह के पुत्र थे। दोनों ही माता- पिता के इकलौते संतान थे। आज भी वे यहां के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं।

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