सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दवा हो गई हवा... लखीसराय सीएचसी में 212 में से महज 62 दवा उपलब्ध
सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज और दवा को लेकर सरकार भले लाख दावे कर ले लेकिन सच्चाई इसके इतर है। सूची में दर्ज दवाओं में से महज 20 से 30 फीसद ही मरीजों को मिल पाती है। बाकी दवा उन्हें बाहर से खरीदनी पड़ती है। लखीसराय सीएचसी...
संवाद सूत्र, हलसी (लखीसराय)। हलसी प्रखंड मुख्यालय स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य कह्येंद्र का भी अमूमन वही हाल है जिसकी चर्चा नाकामी के रूप में होती है। यहां भी चकाचक भवन के अंदर सुविधा नदारद वाली बात लागू है। चिकित्सक, कर्मी, संसाधन और दवा की कमी के कारण रोगियों का कल्याण इस अस्पताल में नहीं हो पाता है। मरहम-पट्टी के बाद रेफर की औपचारिकता भी इस अस्पताल में की जाती है। टीकाकरण और संस्थागत प्रसव का लाभ कुछ हद तक हलसी प्रखंड के लोगों को मिल जाता है। दावा के नाम पर मरीजों को पुर्जा थमाया जाता है भले ही जितने दावे सरकार एवं विभाग की ओर से किए जाते रहे हों। यहां 212 तरह की दवा रहनी चाहिए जिसकी सूची वहां टंगी है लेकिन उपलब्धता मात्र 65 तरह की दवा की है। ऐसे में मरीजों का इलाज किस स्तर का और किस तरह होता होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
डेढ़ लाख की आबादी भगवान भरोसे
हलसी प्रखंड में एक लाख 70 हजार लोग निवास करते हैं। इनके लिए प्रखंड का सबसे बड़ा अस्पताल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हलसी ही है। यहां डेंटल चेयर, एक्स-रे आदि मशीन आदि एक साल से अधिक समय से आकर धूल फांक रही है। इसे व्यवस्थित करके चालू करने वाला कोई नहीं है। मानें तो विभाग को इससे मतलब नहीं है। सरकार के लाखों रुपये की संपत्ति इस तरह बर्बाद हो रही है।
साफ-सफाई का बेहतर इंतजाम, कर्मी नहीं
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हलसी के भवन और परिसर की साफ-सफाई की सुविधा उपलब्ध है। सफाई कर्मी यहां फर्श लेकर परिसर तक को साफ रखते हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हलसी को चार-पांच साल पूर्व विभाग ने उत्क्रमित करके सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनाया। बावजूद डाक्टर और चिकित्सा कर्मी की समस्या बरकरार है। प्रखंड के अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सकों से रोस्टर बनाकर इस अस्पताल के मरीजों का इलाज कराने का कार्य किया जा रहा है।
बाजार से खरीदनी पड़ रही दवा
शनिवार को ओपीडी में डा. ए. रहमान, डा. स्नेही, डा. एस. कुमार थे। मरीजों का इलाज किया जा रहा था। दवा के बदले उन्हें पुर्जा दिया जा रहा था। बताया गया कि सर्दी-खांसी की दवा है लेकिन विटामीन, कैल्शियम, आपातकालीन जाईलोकेन सहित अन्य जरूरी दवाएं नहीं है। जख्म, आग से जलने के इलाज की दवा भी उपलब्ध नहीं है। जबकि अस्पताल में प्रतिदिन ओपीडी में 160 से 180 मरीज इलाज कराने आते हैं।
सरकारी आवास नहीं रहने से परेशानी
अस्पताल के चिकित्सक एवं कर्मी के लिए सरकारी आवास नहीं है। अधिकतर कर्मी प्रखंड से बाहर से आते-जाते हैं। कुछ लोग स्थानीय स्तर पर किराए के मकान में रह रहे हैं। सड़क दुर्घटना एवं प्रसव के मरीजों को एंबुलेंस से लाने एवं पहुंचाने का कार्य किया जाता है।
स्वास्थ्य सुविधा एक नजर में
डाक्टर के स्वीकृत पद 07, पदस्थापित डेंटल, आयुष सहित 05
एएनएम स्वीकृत पद - 16, पदस्थापित 09
क्लर्क स्वीकृत पद - 01 पदस्थापित - 01
फार्मासिस्ट स्वीकृत - 01, पदस्थापित - 00
एंबुलेंस -01
मरीजों को सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई दवा ही लिखी जा रही है। जो दवा नहीं है उसकी मांग की गई है। अस्पताल में उपलब्ध कराए गए डेंटल चेयर, एक्स-रे की मशीन को चालू कराने का प्रयास किया जा रहा है। उपलब्ध संसाधन में रोगियों को बेहतर सुविधा और इलाज देने का प्रयास किया जा रहा है। -डा. राजेश भारती, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, सीएचसी, हलसी।