सुरक्षा एजेंसियों ने किया अलर्ट, विदेशी हथियार की म्यामार से हो रही तस्करी

अंतरराज्यीय वाहन चोर गिरोह के सदस्य उग्रवादियों की मदद से सीमा पार विदेशी हथियार आसानी से पार कराते हुए उसकी आपूर्ति बड़े आपराधिक गिरोहों और नक्सलियों को कर रहे हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Fri, 22 Feb 2019 09:37 PM (IST) Updated:Sun, 24 Feb 2019 05:37 PM (IST)
सुरक्षा एजेंसियों ने किया अलर्ट, विदेशी हथियार की म्यामार से हो रही तस्करी
सुरक्षा एजेंसियों ने किया अलर्ट, विदेशी हथियार की म्यामार से हो रही तस्करी

भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। देश में विदेशी हथियारों की पहुंच को आसान बनाने में इन दिनों अंतरराज्यीय वाहन चोर गिरोहों की बड़ी भूमिका सामने आ रही है। सुरक्षा एजेंसियों ने इसको लेकर अलर्ट भी जारी किया है कि म्यामार सीमा पर सक्रिय प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन विदेशी हथियारों की पहुंच बना रहे हैं। विदेशी हथियारों की तस्करी में शामिल अंतरराज्यीय वाहन चोर गिरोह में उत्तर प्रदेश के संभल, प्रतापगढ़, इलाहाबाद के नैनी, दिल्ली के मंडावली, बिहार में पटना, सिवान और खगडिय़ा के चोर भी शामिल हैं।

इनकी सक्रियता दिल्ली-एनसीआर और गुडग़ांव एरिया में अधिक बताई जा रही है। संभल में ही चोरी की लग्जरी गाडिय़ों के फर्जी कागजात बनाए जाते हैं। ये देश के महानगरों से लग्जरी वाहन चुरा कर कागजात के साथ मणिपुर के लिमाखोंग पहुंचाते हैं। वहां से म्यामार बार्डर पर सक्रिय प्रतिबंधित उग्रवादी संगठनों तक चोरी के लग्जरी वाहन पहुंचाए जा रहे हैं।

अंतरराज्यीय वाहन चोर गिरोह के सदस्य उग्रवादियों की मदद से सीमा पार विदेशी हथियार आसानी से पार कराते हुए उसकी आपूर्ति बड़े आपराधिक गिरोहों और नक्सलियों को कर रहे हैं। चोरी के लग्जरी वाहनों को गिरोह से म्यामार बार्डर पर सक्रिय प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ खापलांग, एनएससीएन, पेरामपाक, यूनीएलएफ के उग्रवादी लेते हैं।

अंतरराज्यीय वाहन चोर उन उग्रवादी संगठनों से विदेशी हथियार खरीदकर स्थानीय निवासियों की मदद से देश के कई हिस्सों में लाते रहे हैं। ये लोग म्यामार बार्डर पर सक्रिय उग्रवादियों से एके-47, 56, ग्रेनेड, घातक पिस्टल आदि खरीद कर नक्सलियों, आपराधिक गिरोहों और माफिया को आपूर्ति कर रहे हैं।

पूर्णिया दालकोला सीमा चेक पोस्ट पर गत 10 फरवरी को पकड़े गए विदेशी हथियार को लाने में भी ऐसे तत्वों की ही सहभागिता सामने आ रही है। भारत-म्यामार बार्डर की फ्री मूवमेंट रेजीम के 16 किलोमीटर एरिया में हथियार तस्करी को लेकर असम राइफल्स के कुछ जवानों की भूमिका भी संदेह के घेरे में बताई जा रही है। वहां के स्थानीय लोगों को भी हथियार तस्करी के धंधे में शामिल कर लिए जाने की बात सामने आ रही है। कहा जा रहा है कि प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन के उग्रवादी स्थानीय लोगों में कुछ को सब्जबाग दिखा गलत रास्ते पर ला रहे हैं। यह भी कि म्यामार सीमा पर सक्रिय उग्रवादी ऐसे लोगों को मुखबिर बना सेना पर घात लगा हमला करते रहे हैं।

सूबे में मौजूद आपराधिक गिरोहों को कारतूस की आपूर्ति भी म्यामांर से

जबलपुर सेंट्रल ऑर्डिनेंस डिपो से चुराए गए 70 से अधिक एके-47 और उसके पूर्व पुरुलिया में गिराए गए एके-47 तक पहुंच बनाने वाले माफिया को कारतूसों की आपूर्ति म्यामार बार्डर से ही तस्कर करते हैं। खगडिय़ा, पूर्णिया, मुंगेर, धनबाद और उत्तर प्रदेश के फाफामऊ के हथियार तस्कर वहां के प्रतिबंधित उग्रवादियों से कारतूस लाकर मुहैया कराते हैं। एके-47 पटना, मोकामा, बेगूसराय, मुंगेर, खगडिय़ा, सहरसा, बांका, भागलपुर, पूर्णिया, किशनगंज, फारबिसगंज में सक्रिय कुख्यात आपराधिक गिरोहों के पास मौजूद बताया जाता है।

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