बाढ़ के बाद अब कोसी और सीमांचल में रोग और कीट से किसान परेशान, फसल को भारी नुकसान

सुपौल में मूसलधार बारिश में 75 फीसद बिचड़ा पहले ही पानी में बह गया था। अब धान की फसल में रोग व कीट का प्रकोप होने के कारण किसानों को दवा का छिड़काव करना पड़ता है। बार-बार कीटनाशी व रोगनाशी दवा के छिड़काव में अधिक राशि खर्च होती है।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Sun, 27 Sep 2020 10:38 PM (IST) Updated:Sun, 27 Sep 2020 10:38 PM (IST)
बाढ़ के बाद अब कोसी और सीमांचल में रोग और कीट से किसान परेशान, फसल को भारी नुकसान
धान की फसल में रोग व कीट का प्रकोप।

सुपौल, जेएनएन। धान की फसल पर प्रकृति का कहर लगातार जारी है। धान रोपाई के समय सुखाड़ से परेशान किसानों ने पंप सेट लगाकर रोपनी तो कर ली लेकिन मूसलधार बारिश में 75 फीसद फसल पानी में बह गई। बारिश जब कम हुई तो अधिकांश किसान के पास बीज नहीं था कि वे दोबारा फसल लगा पाते। फिर भी किसानों ने जैसे-तैसे दोबारा रोपनी की। इधर लगातार हुई बारिश ने फिर उनकी परेशानियां बढ़ा दी है। फसल में रोग और कीट का प्रकोप बढ़ गया है।

धान की फसल में रोग व कीट का प्रकोप होने के कारण किसानों को दवा का छिड़काव करना पड़ता है। बार-बार कीटनाशी व रोगनाशी दवा के छिड़काव में अधिक राशि खर्च होती है, जिससे उत्पादन लागत बढ़ जाती है। उत्पादन लागत बढऩे से किसानों को फायदा भी कम हो जाता है।

कृषि वैज्ञानिक डॉ. मनोज कुमार इसे बड़ी समस्या नहीं मान रहे हैं। उनके अनुसार किसान विशेषज्ञों से सलाह लेकर उचित दवा का छिड़काव कर इस पर काबू पा सकते हैं लेकिन जानकारी के अभाव में किसान कृषि वैज्ञानिक से संपर्क नहीं कर दुकानदार से दवा खरीदकर छिड़काव करते हैं। इससे उन्हें फायदा नहीं मिल रहा है। वैज्ञानिक भी धान में लगने वाले रोग का कारण  मौसम में बार-बार आ रहे बदलाव को ही मान रहे हैं। बताया कि शुरुआती दिनों में हुई बारिश से जहां धान की फसल को फायदा हुआ वहीं कभी बारिश तो कभी धूप तो  कभी बादल के छाए होने के कारण धान की फसल पर तनाछेदक, गलका व खैरा रोग का प्रकोप बढ़ा है।

कृषक राजेंद्र यादव, विमल यादव, शिवनंदन यादव, विश्वनाथ यादव, पुलकित पंडित  आदि ने बताया कि धान के पौधों में तनाछेदक रोग लग गया है। धान के पौधे सूखते जा रहे हैं। इसके नियंत्रण के लिए दवा दिए जाने के बाद भी अपेक्षित लाभ नहीं मिला है। सरहोचिया के किसान रंजीत कुमार, देवीपुर कुपहा के किसान प्रमोद कुमार, धरहरा के किसान गजेंद्र कुमार ने बताया कि उन्होंने चार पांच एकड़ में धान की फसल लगाई है जिसमें गलका, तना छेदक बीमारी लग गई है।

chat bot
आपका साथी