Bihar Flood News: खगडिय़ा में बागमती पर बांध से बढ़ा कटाव का खतरा, 2009 में बीपी मंडल सेतु के नौ पाए धंस गए थे
Bihar Flood News बाढ़ का खतरा खगडि़या में बढ़ने लगा है। वर्ष 2009 में बीपी मंडल सेतु के नौ पाए धंस गए थे। इसके बाद बनाया गया स्टील पाइल ब्रिज का एक बड़ा हिस्सा 2014 में कोसी-बागमती की उफान में बह गया था।
बेलदौर (खगडिय़ा) [भवेश]। Bihar Flood News: कोसी क्षेत्र की लाइफ लाइन एनएच-107 से लगे बीपी मंडल सेतु सोनवर्षा घाट के पास बागमती की वेगवती धारा को बांध कर बनाई गई थी। यहां के लोगों को उसका दुष्परिणाम आज तक उठाना पड़ रहा है। जल विशेषज्ञ रणजीव कहते हैं- इस पुल को उत्तर प्रदेश पुल निगम ने बनाया था। उस समय निगम ने पुल को सोनवर्षा घाट से एक किलोमीटर आगे ले जाने की बात कही थी। लेकिन, उस पर अमल नहीं किया गया। सोनवर्षा के पास बागमती की बलवती धारा को सील कर उस पर पहुंच पथ बनाया गया। सोनवर्षा-डुमरी के आसपास ही कोसी-बागमती का संगम होता है। बागमती को बांधने से अब कोसी और बागमती दोनों नदियां बीपी मंडल सेतु के आसपास के कई गांवों का भूगोल बदल रही हैं। इससे बीपी मंडल सेतु पर भी खतरे के बादल मंडराते रहते हैं। हालांकि इस संबंध में बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल-दो, खगडिय़ा के कार्यपालक अभियंता गणेश प्रसाद सिंह कहते हैं कि पुनस्र्थापित बीपी मंडल सेतु पर कटाव आदि का कोई खतरा नहीं है।
2009 में धंस चुके हैं सेतु के नौ पाए
वर्ष 1990 में बीपी मंडल सेतु (लंबाई 673 मीटर) का उदघाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने किया था। लेकिन, वर्ष 2009 में उसके नौ पाए धंस गए थे और इससे होकर आवागमन बंद हो गया था। तब हल्के वाहनों के परिचालन के लिए 2011 में सेतु के बगल में 17 करोड़ की लागत से स्टील पाइल ब्रिज बनाया गया था। लेकिन, 2014 में कोसी- बागमती की उफान में ब्रिज का बड़ा हिस्सा बह गया। उसके बाद क्षतिग्रस्त डुमरी पुल के नौ पाए को तोड़कर हावड़ा ब्रिज की तर्ज पर 290 मीटर लंबा केवल स्टे ब्रिज का निर्माण किया गया। दिसंबर 2018 से उसे आवागमन के लिए खोल दिया गया।
बदलता रहा है तटवर्ती इलाके का भूगोल
पचाठ गांव के चंद्रदेव प्रसाद सिंह और डुमरी के महेश ङ्क्षसह कहते हैं कि जबसे सोनवर्षा के पास बागमती की धारा को बांधी गई है, तबसे बेलदौर प्रखंड की तटवर्ती चार पंचायतों- तेलिहार, डुमरी, बलैठा और इतमादी का भूगोल बदलते रहा है। चंद्रदेव प्रसाद सिंह ने कहा कि अभी भी पचाठ में कोसी कटाव कर रही है। 1990 के बाद से अबतक यहां के लोग किसी न किसी रूप में छह बार विस्थापित हो चुके हैं। वह कहते हैं कि पुल बनने के बाद उनलोगों की किस्मत स्याह हो गई है। पहले वे तीन सौ बीघे के स्वामी थे, अब भूमिहीन हैं। कटाव के कारण सारी जमीन नदी में समा गई।
बीपी मंडल सेतु का सोनवर्षा साइट से अगर विस्तारीकरण होता, तो वहां बागमती को बांधने की जरूरत ही नहीं पड़ती। नदी का प्राकृतिक बहाव अवरुद्ध नहीं होता। वैसा न होने का परिणाम आज बेलदौर के हजारों लोग कटाव के रूप में भुगत रहे हैं। - रणजीव, जल विशेषज्ञ
यहां कोसी और बागमती पर अलग-अगल दो सेतु बनने थे। लेकिन एक ही पुल के सहारे दोनों का पानी निकाला जा रहा है। बागमती का लेवल नीचे है। जब तक बागमती का लेवल कोसी के लेवल तक नहीं पहुंचेगा, तबतक बाढ़ के समय दिक्कत होती रहेगी। - दिनेश कुमार मिश्र, नदी विशेषज्ञ
वर्तमान में बीपी मंडल सेतु पूर्णत: सुरक्षित है। नदी की धारा तो इधर, उधर मुड़ेगी ही। कटाव को लेकर विभाग गंभीर है। उसकी रोकथाम के लिए बाढ़ पूर्व कटाव निरोधक कार्य व बरसात में फ्लड फाइटिंग कार्य कराए जाते हैं। - गणेश प्रसाद सिंह, कार्यपालक अभियंता, बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल-दो, खगड़िया।