भागलपुर में पांच कछुआ को मिला नया जीवनदान, वन विभाग ने इलाज कराकर गंगा में छोड़ा
भागलपुर कछुआ पुर्नवास केन्द्र से पांच कछुआ स्वस्थ हो गया। इसके बाद पांचों को गंगा में छोड़ दिया गया। इंडियन फ्लेप सेल टर्रटल को वन प्रमंडल पदाधिकारी भागलपुर के द्वारा गंगा में छोड़ा गया। कछुआ को नदी का सफाई कर्मी भी कहा जाता हैं।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। भागलपुर वन प्रमंडल में स्थित बिहार एवं झारखंड का एक मात्र कछुआ पुर्नवास केन्द्र से स्वस्थ होकर पांच 'इंडियन फ्लेप सेल टर्रटल' को मानिक सरकार घाट पर वन प्रमंडल पदाधिकारी भरत चिन्तपल्लि भागलपुर के द्वारा गंगा में छोड़ा गया। भागलपुर वन प्रमंडल के पशु चिकित्सा पदाधिकारी डा. संजीत कुमार द्वारा कछुआ को छोडऩे के पूर्व केयर टेकर आदित्य राज एवं मु. अरशद की मदद से कछुआ का विधिवत स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। कछुए का वजन 685 ग्राम, 300 ग्राम, 184 ग्राम, 153 ग्राम एवं 93 ग्राम था, जिसे कहलगांव, ला कालेज, जगतपुर, पकरा एवं मानिक सरकार घाट के पास से रेस्क्यू कर लाया गया था।
घर पर रखने पर होगी जेल
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के अनुसार कछुआ को घर में रखने पर सात साल तक कारावास की सजा हो सकती हैं। कछुआ को लोग अज्ञानतावश अपने घर के इक्युरियम में रखते हैं, जो कानूनी रूप से अवैध हैं। भागलपुर वन प्रमंडल पदाधिकारी ने लोगों से आग्रह किया है कि किसी भी वन्यजीव को पिंजरें या घर में ना रखें। ऐसा करने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
नहीं की स्वच्छता में अहम भूमिका
कछुआ नदी में सड़े-गले पदार्थो को खा कर जल को स्वच्छ एवं निर्मल बनाने का काम करता है। इसलिए कछुआ को 'नदी का सफाई कर्मी' भी कहा जाता हैं। कछुआ मनुष्य के लिए किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाता हैं। मछुआरों द्वारा वंशी से मछली का शिकार किया जाता है, जिससे हमेशा कछुआ वंशी में फंसने की संभावना बनी रहती हैं एवं कछुआ का मृत्यु हो जाता हैं। विक्रमशिला गंगेय डाल्फिन आश्रयणी क्षेत्र में वंशी से शिकार करना प्रतिबंधित हैं एवं ऐसा करने वाले व्यक्ति के उपर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
गंगा में आठ प्रकार का कछुआ
विक्रमशिला गंगेय डाल्फिन आश्रयणी में डाल्फिन के अलावा घडिय़ाल, उदविलाव एवं आठ प्रकार प्रजाति के कछुआ पाया जाता है। ठंड के दिनों में प्रवासी पक्षियों को अनुकूल वातावरण एवं खाना के कारण लगभग 100 से अधिक प्रजातियों के पक्षियों को देखा गया है। साल के अन्य दिनों में लगभग 150 स्थानीय पक्षियों को देखा जा सकता है।