Farmers' Problems: गंगा और कोसी में समा रहे उपजाऊ खेत, कटिहार के किसान मजदूरी करने को विवश
बिहार के कटिहार में गंगा और कोसी में उपजाऊ खेत समाते जा रहे हैं। हर साल आने वाली बाढ़ में किसान जहां अपनी फसलों की बर्बादी के साक्षात गवाह होते हैं तो वहीं उनके खेतों का दायरा नदियों की तेज धारा से होने वाले कटाव से कम हो रहा है।
संवाद सूत्र, कुर्सेला (कटिहार): कुर्सेला प्रखंड क्षेत्र के पत्थर टोला के किसानों का दुख-दर्द सुनने वाला कोई नहीं है। किसानों की उपजाऊ जमीन गंगा व कोसी के भीषण कटाव में प्रत्येक वर्ष समा रही है। खेत कटने से कई किसान अब मजदूरी करने को विवश हैं। किसानों का दुख-दर्द सुनने वाला कोई नहीं है। किसानों का कहना है कि हमलोगों के पास थोड़ी बहुत जो भी उपजाऊ जमीन थी, वह धीरे-धीरे प्रत्येक वर्ष गंगा व कोसी में समाती जा रही है। अब परिवार के गुजर-बसर पर भी आफत है। प्रखंड के बालू टोला, पत्थर टोला खैरिया, तीनघरिया बहियार के निचले इलाके में कटाव के कारण सैकड़ों एकड़ उपजाऊ जमीन गंगा-कोसी में समा गई है।
किसानों का कहना है कि इस ओर ना तो किसी जनप्रतिनिधि का ध्यान है और ना ही प्रशासन ध्यान दे रही है। जबकि प्रत्येक वर्ष बाढ़ का पानी पत्थर टोला गांव में प्रवेश कर जाता है। कटाव को रोकने के लिए प्रशासनिक स्तर से सिर्फ खानापूर्ति के लिए कटाव स्थल का निरीक्षण कर कटाव रोकने का आदेश दे देते हैं। लेकिन आदेश का कहां तक पालन होता है। इसके बारे में जानकारी नहीं लेते हैं और अपने कार्य में व्यस्त हो जाते हैं। ऐसे में हम किसानों का क्या होगा।
पत्थर टोला में दर्जनों एकड़ में लगी हरी सब्जी की फसल कटाव की भेंट चढ़ गई। वही किसान नंदलाल महतो, रामधारी महतो, विलास महतो, राजेश महतो, आनंदी महतो, चानो महतो, देवन, चमक लाल, महेंद्र, भूषण शिवम, लक्ष्मण सहित दर्जनों ग्रामीणों ने बताया कि इस वर्ष 10 एकड़ जमीन में हरी सब्जी लगाए थे। सब्जी का पौधा भी तैयार हो चुका था। इस वर्ष आई प्रलयंकारी बाढ़ एवं कटाव में खेत कटकर नदी में समा गई। लेकिन जनप्रतिनिधि को सिर्फ वोट से मतलब है। आज तक कटाव की समस्या की ओर किसी जनप्रतिनिधि ने ध्यान नहीं दिया। केवल चुनाव के समय बड़े-बड़े वादे करते हैं। लेकिन आज तक कटाव की समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है।
भूषण शिवम ने कहा कि हमलोगों के उपजाऊ जमीन से अब नदी बह रही है। अब हम लोगों को परिवार का भरण पोषण करने की समस्या आ गई है। किसानों पर मानों मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा है। अपने घर की सारी पूंजी सहित महाजन से कर्ज लेकर किसानों ने फसल लगाया था। लेकिन गंगा कोसी के भीषण कटाव के बाद जमीन गंगा कोसी में समा गई। महाजन से कर्ज लेकर सब्जी की खेती की थी। अब तो फसल की जगह सिर्फ पानी नजर आ रही है। किसानों की चिंता से किसी को कोई मतलब नहीं है।