बिहार में बाढ़ के साथ सताने लगी मानव तस्करी की आशंका, लोगों की मजबूरी का फायदा उठाते हैं स्‍मगलर

बिहार के सीमांचल इलाके में बाढ़ के दौरान मानव तस्कर सक्रिय हो जाते हैं। वे गरीब माता-पिता को लालच देकर बच्‍चों को अपने साथ ले जाते हैं। उनके गोरखधंधे का खुलासा करती खबर।

By Amit AlokEdited By: Publish:Sun, 05 Jul 2020 08:39 PM (IST) Updated:Mon, 06 Jul 2020 10:54 AM (IST)
बिहार में बाढ़ के साथ सताने लगी मानव तस्करी की आशंका, लोगों की मजबूरी का फायदा उठाते हैं स्‍मगलर
बिहार में बाढ़ के साथ सताने लगी मानव तस्करी की आशंका, लोगों की मजबूरी का फायदा उठाते हैं स्‍मगलर

पूर्णिया, शैलेश। बाढ़ के साथ ही बिहार के सीमांचल इलाके में मानव तस्कर सक्रिय हो जाते हैं। लाचार लोगों को चंद रुपये और बच्चों को महानगरों में अच्छा रोजगार दिलाने का लालच देकर तस्कर (Smuggler) ले जाते हैं। वे अच्छी रकम लेकर फैक्ट्री मालिकों के हाथों बच्चों को  बेच देते हैं। वहां बंधक बनाकर बच्चों से हाड़तोड़ मेहनत करवाई जाती है। उसके बाद अभिभावकों का बच्चों से कोई संपर्क नहीं हो पाता है।

पिछले साल लापता हुए थे एक दर्जन से अधिक बच्चे

पिछले साल बाढ़ के दौरान सीमांचल से एक दर्जन से अधिक बच्चों के लापता होने के मामले पुलिस के पास पहुंचे थे। उनमें पूर्णिया से तीन, कटिहार से पांच, अररिया से चार और किशनगंज से तीन बच्चे लापता हुए थे। चाइल्डलाइन ने भी पिछले साल दो बच्चों को मुक्त कराया था। 2018 में 17 और 2017 में 24 किशोर और किशोरियां के लापता होने का मामला पुलिस तक पहुंचा था।

बाढ़ के दौरान इलाके में सक्रिय हो जाते मानव तस्कर

चाइल्ड लाइन के मयूरेश गौरव बताते हैं कि बाढ़ के दौरान सीमावर्ती क्षेत्र के मानव तस्कर सक्रिय हो जाते हैं। ये लोगों को रोजगार के नाम पर बहला-फुसलाकर ले जाते हैं। अधिसंख्य मामलों में शिकार बच्चे होते हैं। मुख्यालय डीएसपी सह एंटी ह्यूमेन ट्रैफिकिंग सेल के नोडल पदाधिकारी पंकज कुमार ने कहा कि मानव तस्करी पर पुलिस की पैनी नजर रहती है। बाढ़ के समय विशेष टीम गठित की जाएगी जो बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में मानव तस्करों पर नजर रखेगी। गौरतलब है कि महाराष्ट्र, बंगाल, उत्तर प्रदेश, राजस्थान आदि में लोहा फैक्ट्री, चूड़ी फैक्ट्री, कालीन फैक्ट्री आदि से बच्चों को छुड़ाकर पुलिस लाती भी रही है।

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दिल्‍ली की ट्रेन में बैठा गायब हो गए चाचा

पूर्णिया जंक्शन पर 24 अगस्त, 2018 को बाढ़ के दौरान सीमांचल एक्सप्रेस ट्रेन से 12 बच्चों को मानव तस्करी की आशंका पर उतारा गया। उनमें से एक आरिफ ने बताया कि उसके गांव बराबर आने वाले एक चाचा ने उसे दिल्ली चलने के लिए कहा था। उसे कहा गया था कि अच्छा काम दिलवाने के अलावा उसे पढ़ाया भी जाएगा। पांच रुपये भी दिए गए थे। ट्रेन में आरिफ को बिठाने के बाद चाचा गायब हो गए। आरिफ को यह भी पता नहीं था कि उसे कहां जाना है और किस काम में लगाया जाएगा।

काम देने को कह ले जाए जा रहे थे बच्‍चे

अररिया में चार अक्टूबर, 2018 को आरपीएफ ने पूर्णिया स्टेशन से 10 बच्चों को बच्चों को बरामद किया। इन बच्चों में शामिल रौनक ने बताया कि कुछ लोगों ने उसके पिता से कहा था कि रौनक की नौकरी लगाई जाएगी और उसके बदले रुपये भेेजे जाते रहेंगे। उसे दिल्ली की धागा फैक्ट्री में काम देने के बारे में कहा गया था।

बच्चे को लेकर गए, फिर कोई संपर्क नहीं

बायसी में एक बच्चे को नौकरी के नाम पर तस्कर ले गए थे। इससे पूर्व इन तस्करों ने बाढ़ पीडि़तों की सहायता की थी। बच्चे को ले जाने के पूर्व तस्करों ने उसके अभिभावकों को पांच हजार रुपये भी दिए थे। हर महीने रुपये भेजने का भी आश्वासन दिया गया था। एक बार बच्चे को लेकर गए तो फिर उससे संपर्क नहीं हो सका। कुछ समय के बाद पुलिस ने राजस्थान की एक फैक्ट्री से कुछ बच्चों को मुक्त कराया। उनमें बायसी का उक्त बाल मजदूर भी शामिल था।

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