मधुमक्खी पालन: बेहतरीन शहद के लिए बिहार के इन जिलों का रुख करें किसान, भागलपुर में प्रशिक्षण शिविर में दी गई टिप्स

मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए भागलपुर में प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में नए किसानों को बताया गया कि वे कैसे अच्छी गुणवत्ता और ज्यादा शहद पा सकते हैं। बिहार के कई जिलों में मौसम और फसल के अनुसार शहद मिल सकता है।

By Shivam BajpaiEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 04:35 PM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 04:35 PM (IST)
मधुमक्खी पालन: बेहतरीन शहद के लिए बिहार के इन जिलों का रुख करें किसान, भागलपुर में प्रशिक्षण शिविर में दी गई टिप्स
मधुमक्खी पालन के लिए बिहार के कई जिलों में ले जाएं बक्से।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। नए किसान नवंबर में पूर्णिया के वायसी में बक्सा डालें, उन्हें अच्छी शहद मिलेगा। एक बक्से में 10 से 12 किलो शहद मिलेगा। 14 जनवरी के बाद बांका जिले के बौंसी, बाराहाट सहित अन्य इलाकों में बक्सा डाला जा सकता है। यहां गेहूं के खेत में सरसों, खेसाड़ी, तीसी आदि की फसल लगने के कारण अच्छी शहद मिलता है। दस मार्च को बक्सा को बिहपुर व खरीक इलाके में लाया जा सकता हैं, जहां लीची का शहद मिलेगा। यह बात गुरुवार को प्रशिक्षण के दौरान सूबे के मुख्य प्रशिक्षण बिहपुर के संजय चौधरी ने कही।

जिले में व्यवसायिक मधुमक्खी पालन और प्रसंस्करण विषय पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसका समापन शुक्रवार को होगा। प्रशिक्षण के अंतिम दिन प्रखंडों से चयनित 89 महिला और पुरुष मधुमक्खी पालन करने वाले उद्यमी किसानों को सर्टिफिकेट दिया जाएगा। प्रशिक्षण का आयोजन बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के कीट विज्ञान विभाग के अध्यक्ष सह मुख्य वैज्ञानिक डा. एसएन राय, डा. रामानुज विश्वकर्मा, मधुमक्खी पालक संजय चौधरी और उद्यमी प्रगतिशील किसान के द्वारा संचालित किया जा रहा है। जिला कृषि पदाधिकारी सह परियोजना निदेशक आत्मा कृष्ण कांत झा ने बताया कि जिले में महिला-पुरुष किसान द्वारा बड़े पैमाने पर मधु उत्पादन और विपणन किया जा रहा है।

बामेटी पटना द्वारा राज्य स्तर पर बिहार के सभी 38 जिलों से पांच-पांच मधु उत्पादन किसानों में प्रतियोगिता के बाद बिहपुर के मधुमक्खी पालक किसान संजय चौधरी को सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षक के लिए चयनित किया गया है, जो पूरे जिले के लिए गौरव का विषय है। आत्मा के उप परियोजना निदेशक प्रभात कुमार सिंह ने बताया कि जिले में उद्यानिक फसलों के साथ सरसों, लीची, तुलसी, आदि की पर्याप्त मात्रा में खेती होने के कारण जिले में झारखंड और पश्चिम बंगाल आदि राज्य के किसानों के द्वारा बक्सा लाकर मधु उत्पादन किया जा रहा हैं। जिले के किसान भी समूह में प्रशिक्षण उपरांत सफलता पूर्वक मधु उत्पादन और इससे जुड़े अन्य प्रकार के स्वरोजगार श्रृजन करेंगे।

उद्यान विभाग के सहायक निदेशक विकास कुमार के द्वारा सरकार द्वारा मधुमक्खी पलकों के लिए संचालित योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी गई। प्रशिक्षण कार्यक्रम में दो दिन 26 व 27 जुलाई को कृषि वैज्ञानिक और विशेषज्ञ द्वारा किसानों को सैद्धांतिक कक्षा में तकनीकी जानकारी दी गई और बुधवार व गुरुवार को बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर में प्रायोगिक कक्षा द्वारा किसानों को मधु उत्पादन के लिए बक्से का रखरखाव और मक्खी की पहचान करने व प्रसंस्करण उद्योग के लिए जानकारी प्रदान किया गया। शुक्रवार को कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी किसानो का योग्यता टेस्ट के बाद प्रमाणपत्र वितरण के साथ प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन किया जाएगा।

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