चार साल बाद भी डिजिटल नहीं हुआ निगम का कामकाज, नगर आयुक्त के कार्यालय में धूल फांक रही कयोस्क मशीन

निगम प्रशासन ने 17 कंप्यूटर ऑपरेटरों के माध्यम से ऑनलाइन कामकाज की योजना बनाई थी जो अब तक क्रियान्वित नहीं हुई है। एक वर्ष पहले 10 लाख रुपये की कियोस्क मशीन खरीदी थी। यह नगर आयुक्त के कार्यालय में धूल फांक रही है।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Fri, 25 Sep 2020 10:41 PM (IST) Updated:Fri, 25 Sep 2020 10:41 PM (IST)
चार साल बाद भी डिजिटल नहीं हुआ निगम का कामकाज,  नगर आयुक्त के कार्यालय में धूल फांक रही कयोस्क मशीन
कचहरी के पास भागलपुर नगर निगम का मख्य कार्यालय

भागलपुर, जेएनएन। शहर को स्मार्ट सिटी योजना में चयन हुए चार साल बीत गए लेकिन, निगम को पूरी तरह से पेपरलेस करने का सपना पूरा नहीं हुआ। निगम की कई शाखाओं में कागज पर ही कामकाज हो रहा है। निगम प्रशासन ने 17 कंप्यूटर ऑपरेटरों के माध्यम से ऑनलाइन कामकाज की योजना बनाई थी, जो अब तक क्रियान्वित नहीं हुई है। नतीजतन, लोगों को अब काम कराने के लिए निगम कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ रहा है।

कियोस्क मशीन फांक रही धूल

लोगों की सुविधा के लिए नगर निगम ने एक वर्ष पहले 10 लाख रुपये की कियोस्क मशीन खरीदी थी। यह नगर आयुक्त के कार्यालय में धूल फांक रही है। अगर यह मशीन चालू रहती तो लोग अपनी शिकायत ऑनलाइन दर्ज करा सकते थे। शिकायत पर कितना अमल हुआ, इसकी भी जानकारी मिल जाती।

अभिलेखागार में पड़ी हैं फाइल

निगम कार्यालय के कोषागार में 120 वर्ष से अधिक पुराने दस्तावेज जीर्ण-शीर्ण अवस्था में रखे हुए हैं। योजना शाखा व वित्त शाखा में भी फाइलें पड़ी हुई हैं। इन फाइलों को कंप्यूटर में अपलोड तक नहीं किया गया है। 10 माह पहले कोषागार में रखे सैकड़ों दस्तावेजों को दीमक चट कर गए थे। कामकाज डिजिटल नहीं होने के कारण हर वर्ष 15 से 20 लाख रुपये प्रिंटर व कागज पर खर्च हो जा रहे हैं।

पार्षदों को दिया टैब, घर में होता है इस्तेमाल

डिजिटल कामकाज को बढ़ावा देने के लिए नगर विकास विभाग की ओर से सभी पार्षदों को टैब व लैपटॉप उपलब्ध कराए गए थे, लेकिन अधिकतर पार्षदों के स्वजन इसका इस्तेमाल वीडियो गेम खेलने में कर रहे हैं। जनता के हित में या निगम की बैठकों टैब का इस्तेमाल नहीं होता है।

पेपरलैस से आएगी पारदर्शिता

एक प्रोजेक्ट डिटेल तैयार करने में ए-4 साइज के सौ पन्नों का इस्तेमाल होता है। वेब ऐप्लिकेशन से पेपर की बचत होगी और विकास कार्यों पर आसानी से नजर रखी जा सकेगी। इसके अलावा संवेदक को वर्क आर्डर, इलेक्ट्रानिक मेजरमेंट बुक, बिल, बिल की मंजूरी और राशि भुगतान में किसी तरह की गड़बड़ी की आशंका नहीं रहेगी। इनकी जानकारी ऑनलाइन सिस्टम से मिल जाएगी।

यह भी होगा फायदा

हार्ड कॉपी में फाइल को एक से दूसरी जगह पहुंचाने में जहां समय अधिक लगता है, वहीं खर्च भी ज्यादा होता है। ई-फाइल से कार्य जल्द हो जाता है और कम खर्च के साथ यह पर्यावरण के लिए फायदेमंद भी है।

नगर निगम में जन्म-मृत्यु व ट्रेड लाइसेंस का कार्य ऑनलाइन हो रहा है। शेष कार्य विभाग का निर्देश मिलने पर होगा।

- सत्येंद्र वर्मा, उपनगर आयुक्त

chat bot
आपका साथी