पुलिस केस नहीं, नष्ट सकते हैं सुबूत

भागलपुर । तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) में स्नातक पार्ट थ्री के गणित का प्रश्न पत्र ल

By JagranEdited By: Publish:Wed, 09 Dec 2020 05:22 AM (IST) Updated:Wed, 09 Dec 2020 05:22 AM (IST)
पुलिस केस नहीं, नष्ट सकते हैं सुबूत
पुलिस केस नहीं, नष्ट सकते हैं सुबूत

भागलपुर । तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) में स्नातक पार्ट थ्री के गणित का प्रश्न पत्र लीक मामले में कई सवाल खड़े हो रहे हैं। इस मामले में पुलिस केस नहीं होने के कारण सुबूतों को नष्ट होने का खतरा है। टीएमबीयू के प्रभारी कुलपति डॉ. संजय कुमार चौधरी ने डीन (मानविकी) के नेतृत्व में एक जांच टीम बनाई है। जिन्हें 10 दिनों का समय जांच के लिए दिया गया है। इसके बाद पुलिस केस की बात कही गई है, जबकि मामला उजागर होने के बाद प्रश्न लीक करने वाला गिरोह बचने क लिए सक्रिय हो गया होगा। सुबूतों को अलग-अलग माध्यमों से नष्ट किया जा सकता है। जिससे पुलिस गुना साबित ही न कर सके।

घटना के तुरंत बाद होनी चाहिए एफआइआर

कानूनविदों के मुताबिक किसी संस्थान में प्रश्न पत्र लीक जैसा मामला सामने आता है तो तत्काल पुलिस केस होना चाहिए। यदि संस्थान अपने स्तर से भी भी जांच कमेटी गठित करता है तो वह पुलिस की जांच के साथ ही चल सकती है। अन्यथा घटना के बाद पुलिस केस में जितनी देरी होगी उतनी ही जांच प्रभावित होगी। आरोपितों को बचाव का मौका मिलेगा। टीएमबीयू के मामले में भी जांच कमेटी को 10 दिनों का समय रिपोर्ट देने के लिए दिया गया है। ऐसे में जांच का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।

उधर, एक शिक्षक की भूमिका संदिग्ध होने की बात सामने आने पर टीएमबीयू अतिथि शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. आनंद आजाद ने कहा कि पार्ट थ्री के लीक प्रश्न पत्र मामले की गहन जांच होनी चाहिए। इसमें जो भी लोग शामिल हैं। उनपर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि कोई दूसरा ऐसा करने की हिमाकत न कर सके। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) के प्रदेश कार्य समिति सदस्य कुणाल पांडेय ने कहा है कि यदि इस मामले में लीपापोती का प्रयास हुआ तो उग्र आंदोलन होगा।

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