भूख लगने पर ही करें भोजन, एक घंटे बाद पीएं पानी, प्रकृति ही चिकित्सक है, अनुसरण करें, नहीं होंगे बीमार
प्रकृति ही चिकित्सक मौसम के हिसाब से होती है बीमारी। भूख लगने पर ही करें सुपाच्य भोजन लीवर को दें आराम। भोजन करने के एक घंटे बाद पीएं पानी रहेंगे निरोग। जाने-माने वैध देवेंद्र कुमार गुप्त ने प्रकृति के साथ जीने की सलाह दी।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। यह सोचना गलत है कि अधिक खाने या पौष्टिक पदार्थों के सेवन से शरीर अधिक बलवान बनेगा, बल्कि इसके विपरीत पेट उन्हें पचा नहीं पाता, जिससे शरीर में रोगों की उत्पत्ति हो जाती है। रोगों से बचाव के लिए मौसम के अनुकूल भोजन करना चाहिए। यह कहना है शहर के जाने-माने वैध देवेंद्र कुमार गुप्त का। वे बुधवार को दैनिक जागरण द्वारा आयोजित लोकप्रिय कार्यक्रम प्रश्न पहर में पाठकों के प्रश्नों का जवाब दे रहे थे।
उन्होंने बताया कि स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक है कि भूख लगने पर भूख के तीन चौथाई ही भोजन करें। भोजन खूब चबाकर करें, ताकि उसमें पर्याप्त मात्रा में लार मिल सके। भोजन पचने में परेशानी नहीं होगी। लार ही भोजन-पानी का पाचक है। भोजन के साथ पानी पीने से पाचक रस पतले हो जाते हैं, इसलिए भोजन करते वक्त पानी नहीं पीना चाहिए। अगर मजबूरी हो तो एक-दो घूंट पानी पीएं। पानी भोजन के एक घंटे बाद ही पीएं। धीरे-धीरे घूंट-घूंट कर पानी पीएं। प्रतिदिन तीन से पांच लीटर तक पानी ग्लास से ही पीएं। इससे मल-मूत्र एवं पर्याप्त पसीना निकलेगा, जो शरीर के विभाज्य तत्वों को निकालकर उसे निरोग करता है। प्रकृति खुद चिकित्सक है। इसलिए मौसम के हिसाब से बीमारी होती है। बीमारी को दबाने से असाध्य बीमारी होती है। मौसमी बीमारी को दबाएं नहीं, बल्कि शरीर का विकार निकलनें दें। असाध्य बीमारी नहीं होगी।
भोजन के सामान्य नियम
भूख लगने पर खाएं। दो भोजन के बीच में छह घंटे का अंतर रखें। एक चौथाई पेट खाली रखें। एक बार में अधिक प्रकार की चीजें नहीं खाएं। अधिक गरम मसाले, नमक, मिर्च, व चटपटे भोजन खाने पर पानी पीना ही पड़ता है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। सादा भोजन करने की आदत बनाएं।
अंकुरित अनाजों का करें सेवन
चना, मूंग, मूंगफली, मटर, गेहूं, उड़द, मसूर, मेथी, कुलथी, सोयाबिन अंकुरित कर खाएं। मौसमी फल व सब्जियां सुबह के नाश्ते में लेने की आदत बनाएं। यह अमृत के सामान पौष्टिक आहार है।
गर्दन में दर्द रहता है। मोडऩे में काफी तकलीफ होती है? - अभिषेक, बांका
-कफ सूख गया है। सुबह में गर्म पानी पीकर उल्टी करें। दूध का सेवन बंद कर दें।
पैर में दर्द रहता है? - अनंत कुमार शर्मा, दहीटोला लेन
-पेट को साफ रखें। खाना खाकर तुरंत पानी नहीं पीएं।
जोड़ों में दर्द रहता है? - प्रमोद कुमार, छोटी खंजरपुर
-कब्ज के कारण यह समस्या है। खाने में परहेज करें। सहजन के पत्ते का काढ़ा बनाकर पीएं। सरसों तेल और लहसून मिलाकर मालिश करें।
कमर में दर्द रहता है? - पप्पू कुमार, इशाकचक
-मेथी अंकुरित कर एक चम्मच रोज खाएं। लहसून और सरसों तेल की मालिस करें।
-गैस बनता है? - आर्यन, तिलकामांझी
-रात में सोते समय त्रिफला चूर्ण लें। सुबह में नींबू-पानी पीएं। 50 एमएल क्रिस्टल वायल का सेवन करें।
हाथ-पैर में झुनझुनी होती है? - महेंद्र प्रसाद साह, बरारी
-पेट में आंव बनता है। पेट को साफ रखें। सहजन के पत्ते का काढ़ा पीएं।
पैर में दर्द रहता है? - जीएस चौबे, बंगाली टोला
-एक चम्मच अश्वगंधा का पाउडर एक ग्लास दूध और इतनी ही मात्रा में पानी के साथ लें। योगराज गुग्गल की दो गोली लें।
बायें हाथ में दर्द है और फूंसी निकल गया है? - अशोक प्रसाद गुप्ता, सिकंदरपुर
-सुबह-शाम नींबू-पानी पीएं। गुनगुना पानी फूंसी वाली जगह पर लाल होने तक रगडि़ए।
गुटखा की लत है? - राहूल, आदमपुर
-आजवाइन, सेंधा नमक, सरसों व फिटकरी का पाउडर बनाकर मंजन करें।
भूख नहीं लगती है? - आदित्य, भीखनपुर
अदरख व नींबू के आचार को खाने के पहले आधा चूसें। भूख लगेगी।