Dussehra 2021: बिहार के इस गांव में हुई रावण की पूजा, बना है दशानन का मंदिर, लोग बोले- लंकापति पूरी करते हैं मनोकामना

Dussehra 2021 देशभर में दशहरा पर्व को धूमधाम से मनाया जा रहा है। बिहार में इस बार कई जगहों पर रावण वध का आयोजन नहीं किया गया है। वहीं बिहार का एक ऐसा गांव है जहां रावण की पूजा कई वर्षों से होती आ रही है।आस्था ऐसी है कि दशानन...

By Shivam BajpaiEdited By: Publish:Fri, 15 Oct 2021 08:34 PM (IST) Updated:Fri, 15 Oct 2021 08:34 PM (IST)
Dussehra 2021: बिहार के इस गांव में हुई रावण की पूजा, बना है दशानन का मंदिर, लोग बोले- लंकापति पूरी करते हैं मनोकामना
दशानन का मंदिर, लोग करते हैं पूजा।

 आनलाइन डेस्क, भागलपुर। Dussehra 2021: धर्म-पुराण, वेद-ग्रंथ में वर्णित है कि लंकापति रावण महान विद्वान और प्रखंड पंडित था। उसके जैसा शिवभक्त कोई नहीं था। ऐसी तमाम मान्यताएं और दंत कथाएं दशानन को लेकर प्रचलित हैं। दशहरे यानी विजयदशमी के पर्व पर रावण वध का आयोजन देश के कई राज्यों में किया जाता है। लेकिन बिहार का एक गांव ऐसा है, जहां लंकापति का वध नहीं, उसकी पूजा की जाती है। इतना ही नहीं, यहां दशानन का मंदिर भी बना हुआ है। लोगों की आस्था है कि रावण उनकी हर एक मनोकामना पूरी करता है।

बिहार के किशनगंज में रावण का मंदिर स्थित है। यहां के कोचाधामन प्रखंड स्थित रहमत पाडा के काशी बाड़ी गांव में लंकापति की पूजा की जाती है। यहां पर ग्रामीण रावण की मूर्ति की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। दूर गांव के लोग भी यहां आकर रावण से मन्नतें मांगते हैं। दशहरे पर यहां रावण वध का आयोजन कभी नहीं हुआ और न ही यहां के लोग रावण वध का आयोजन कहीं और देखने जाते हैं।

सावन में विशेष पूजा, शिवरात्रि में लगता है मेला

स्थानीय लोग बताते हैं कि यहां सावन के समय विशेष पूजा अर्चना की जाती है। साथ ही सावन के प्रत्येक सोमवार को भी रावण के पूजा के लिए ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ती है। इसके पीछे की वजह रावण का परम शिवभक्त होना है। यहां इस मंदिर में विधि विधान के साथ रावण की सुबह-शाम पूजा की जाती है। प्रत्येक वर्ष महाशिवरात्रि में रावण के वार्षिकोत्सव में विशेष पूजा अर्चना आयोजित की जाती हैं और गांव में मेला भी लगता है। 

मंदिर में रावण की पत्थर की मूर्ति स्थापित है। ग्रामीणों द्वारा पूरे विधि विधान से जहां अन्य देवी देवताओं की पूजा की जाती है, वहीं लंकेश्वर की भी पूजा और आरती सुबह शाम होती है। स्थापित मूर्ति में रावण के दस सिर और हाथ में शिवलिंग है। बताया जाता है कि पांच साल पहले ही रावण की मूर्ति स्थापित कर यहां उसकी पूजा शुरू हुई।

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