Durga Puja 2020: किशनगंज में सिंदूर खेला के साथ नम आंखों से मां दुर्गे को लोगों ने दी विदाई, अगले बरस आने का दिया न्योता
किशनगंज में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पुरोहित ने विधि पूर्वक विजयादशमी में विसर्जन की प्रक्रिया पूरी की। इसके बाद महिला श्रद्धालुओं ने मां दुर्गा को सिंदूर लगाया पान से गालों को चुमाया और मुंह मीठा कराया। इसके बाद मां को विदाई दी गई।
किशनगंज, जेएनएन। विजयादशमी पर शक्ति की देवी मां दुर्गा की विदाई से पूर्व महिला श्रद्धालुओं ने सिंदूर की होली खेली। बंगला परंपरा के अनुसार ठाकुरगंज नगर में स्थापित सभी पूजा पंडालों में सोमवार को विजयादशमी मनाया गया। पूजा पंडालों में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पुरोहित ने विधि पूर्वक विजयादशमी में विसर्जन की प्रक्रिया पूरी की। इसके बाद महिला श्रद्धालुओं ने मां दुर्गा को सिंदूर लगाया, पान से गालों को चुमाया और मुंह मीठा कराया। मां दुर्गा को विदा करने के लिए महिलाएं पूजा पंडालों में एकत्र हुईं और आपस में एक-दूसरे को सिंदूर लगाया। ढाक की धुन पर नाचती झूमती महिला श्रद्धालुओं ने मां को नम आखों से विदाई दी। साथ ही अगले बरस आने का न्यौता दिया।
आंखों में आंसू और चेहरे पर मुस्कान लिए महिला श्रद्धालुओं ने मां दुर्गा से मन्नतें व आशीष मांगी। अपने हर गलतियों के लिए क्षमा याचना की। मौके पर पुरोहित पार्वती चरण गांगुली ने बताया कि विजयादशमी के दिन बंगाली समाज में सिंदूर खेलने की परंपरा है। इसे सिंंदूर खेला के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि के नौ दिन पूजा-पाठ के बाद दशमी के दिन विवाहित महिलाएं एक-दूसरे के साथ सिंदूर की होली खेलती हैं। इसके पीछे मान्यता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा दस दिन के लिए आपने मायके आती हैं। इसलिए जगह-जगह उनके पंडाल सजते हैं।इन नौ दिनों में मां दुर्गा की पूजा और आराधना की जाती है और दशमी पर सिंदूर की होली खेलकर मां दुर्गा को विदा किया जाता है। नवरात्र पर जिस तरह लड़की के अपने मायके आने पर उसकी सेवा की जाती है, उसी तरह मां दुर्गा की भी खूब सेवा की जाती है। दशमी के दिन मां दुर्गा के वापस ससुराल लौटने का वक्त हो जाता है तो उन्हेंं खूब सजाकर और सिंदूर लगा कर विदा किया जाता है। आपस में सिंदूर की होली खेलने से पहले पान के पत्ते से मां दुर्गा के गालों को स्पर्श किया जाता है। फिर उनकी मांग और माथे पर सिंदूर लगाया जाता है।इसके बाद मां को मिठाई खिलाकर भोग लगाया जाता है। फिर सभी महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर लंबे सुहाग की कामना करती हैं। यह सुहाग की लंबी आयु की कामनाओं का प्रतीक है। इस रस्म को निभाते वक्त पूरा माहौल उमंग और मस्ती से भर जाता है और इसके थोड़ी देर बाद मां को विसॢजत करने का वक्त आ जाता है और सभी नम आंखों से मां चली ससुराल गीत गाने लगते हैं और अगले वर्ष उनके आने की कामना करते हुए विसॢजत कर देते हैं।